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पर्यावरण का संदेश देने के लिए पिता-पुत्री हर साल करते हैं विराजित* 

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01 Sep 25
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कोटा, शहर में हर चौक-चौराहे से लेकर कॉलोनियों तक में गणेशजी की स्थापना हो रही है। हर जगह गणेशजी की प्रतिमा कुछ खास अंदाज में नजर आ रही हैं। कुछ नया करने और पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने के लिए नयागांव निवासी दशरथ सिंह चौहान, बेटी लक्षिता 9 साल से खाद्य पदार्थों से गणेश प्रतिमा बना रहे हैं। जिनके विर्सजन पर जल प्रदूषित न हो। खाद्य पदार्थों को जलीय जीव-जंतु ग्रहण कर सके। इस बार भी पिता-पुत्री ने चावल के गणेशजी बनाए हैं। जिसमें 6 किलो कच्चे चावल लगे। मटकियों से आकार देकर चावल चिपकाए। इस प्रतिमा को उन्होंने घर के आंगन में विराजमान किया है। जहां मोहल्ले के लोग पूजा-अर्चना करते हैं। गणेश चतुर्दशी पर प्रतिमा सिर पर रखकर ले जाते हैं। किशोरसागर तालाब में विसर्जित करते हैं।

 

मूर्तियों की दुर्दशा देख आया आइडिया

 

लक्षिता बताती है कि अनंत चतुर्दशी के दिन किशोरसागर तालाब पर बचपन से जा रही हूं। जहां मूर्तियों की दुर्दशा देखी तो खाद्य पदार्थों से गणेश प्रतिमाएं बनाने का आइडिया आया। उसके बाद से बाजार से प्रतिमा लाने की बजाय घर पर ही बनाना शुरू किया।

 

अब तक बना चुके गुड़ से लेकर साबूदाने की मूर्तियां: दशरथ बताते हैं कि 2017 से वे इस प्रकार की मूर्तियां बना रहे हैं। अब तक गुड़, पेपर, दाल, लच्छा, साबूदाना, नारियल, मिट्टी व सोयाबीन, मुंगेडी के गणेशजी बना चुके हैं। इस साल 8 दिन की मेहनत कर चावल के गणेशजी बनाए हैं। यही नहीं, इस बार प्रतिमा को सैनिकों के सम्मान को समर्पित करते हुए सूंड पर ऑपरेशन सिंदूर भी लिखा है।


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