GMCH STORIES

शायद ही इनसे बड़ा कोई दानी होगा

( Read 18212 Times)

15 Jan 20
Share |
Print This Page
शायद ही इनसे बड़ा कोई दानी होगा

बुजुर्ग एक दूसरे के प्रति और अपने वचन के प्रति कितने अडिग रहते है,इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है,की नीला निवसरकर जी के पति श्री अरविंद निवसरकर जी का जब आज से ठीक डेढ़ साल पहले 26 मार्च को निधन हुआ तो,उन्होंने अपने तुरंत अपनी इकलौती बेटी उषा को कहा कि,शोक मत करो,कहीं देह खराब न हो जाये,इस कारण जल्दी से इसको मेडिकल कॉलेज में भावी चिकित्सकों को पढ़ने के लिये भिजवा दो । नीला जी और अरविंद जी भले दो जिस्म हो पर वह एक जान , एक विचार वाले इंसान थे । दोनों पति-पत्नि 2015 में इंदौर में दधीचि देहदान समिति के नंद किशोर व्यास जी के पास अपना देहदान का संकल्प पत्र भरकर आये थे।  दोनों एक दूसरे को वचन दे चुके थे कि,कभी भी हम दोनों में से कोई एक दुनिया से चला जायेगा,तो दूसरे को वचन याद रखते हुए,उसकी देहदान का काम करवाना होगा।  बेटी उषा के कोटा आने के बाद,वह भी इसलिए कोटा आ गए कि,बेटी के पास रहेंगे तो शायद हमारी अंतिम इच्छा पूरी हो सकेगी । कोटा आते ही दोनो पति-पत्नी,अपने दामाद सतीश लवलेकर के पीछे पड़ गए,की हमारा देहदान का रजिस्ट्रेशन करवाओ,उसके बाद शाइन इंडिया फाउंडेशन के सहयोग से दोनो का रजिस्ट्रेशन हुआ ।

सोमवार शाम,तिल चौथ की संध्या के समय नीला जी की मृत्यु हुई,उसके बाद से परिजनों ने प्रयास किया कि उसी समय मेडिकल कॉलेज को देह सौंपी जाए ,पर दुर्भाग्यवश यह हो न सका । फिर मंगलवार सुबह,हिन्दू धर्म में ,दान  के सबसे बड़े पर्व मकर सक्रांति पर इनका देहदान संभव हुआ । शाइन इंडिया के सदस्यों का कहना है कि,सभी लोग पुण्य प्राप्त करने के लिये मकर सक्रांति पर्व पर ,पता नहीं क्या क्या दान पुण्य करते है,परंतु इस महादान पर्व पर कोई अपनी देह भी दान कर जाए,ऐसा शायद ही देश में कहीं हुआ हो । नीला जी अंतिम समय तक अपने विचारों सिद्धांतों पर अडिग रही । सादगी से रहना,सलिखे से कपड़े पहनना,मंद मंद मुस्कान से मीठी बोली बोल बोलकर सभी का मन मोह लेना,उनके स्वभाव में था । पति के स्वर्गवास होने के बाद भी कभी उन्होंने इसका कोई गम नहीं किया । नियति भी देखिये जिस जगह आज उनके पति की देह से आने वाले भावी चिकित्सक अपनी पढ़ाई कर रहे है,आज के बाद से अब उनकी खुद की देह से भी,वह फिर अपने पति के साथ मेडिकल कॉलेज के बच्चों को ज्ञान अर्जित करने में मदद करेंगी ।

मेडिकल कॉलेज ,कोटा में देहदान के दौरान अरिहंत एजुकेशन ग्रुप के निदेशक श्री विरेन्द्र जैन, उषा व सतीश लवलेकर ,नवीन गौड़ ,भोज राज जी नागर, महावीर जी, धर्मराज जी, देवेन्द्र सैनी,तन्मय जी आदि ने शाइन इंडिया फाउंडेशन के डॉ .कुलवन्त गौड़ के नेतृत्व में मेडिकल कालेज कोटा की डॉक्टर प्रतिमा जयसवाल को श्रीमती नीला जी का पार्थिव शरीर मेडिकल कॉलेज भवन में देहदान कर मेडिकल कालेज के स्टूडेंट्स के अध्यन हेतु  सौंपा ।


Source :
This Article/News is also avaliable in following categories : Kota News
Your Comments ! Share Your Openion

You May Like