कम आयु के नवयुवकों में बढ़ती हृदयाघात की समस्या चिकित्सा विज्ञान के लिए एक चुनौती बनती जा रही है, यह घटना पूरे परिवार को झकझोर कर देती है,परंतु कठिन दुख के समय में भी उपाध्याय परिवार ने परोपकार को ध्यान में रखते हुए पुत्र के नेत्रदान का निर्णय लिया,जिसकी शहर में सराहना हो रही है।
अग्रसेन विहार कॉलोनी,झालावाड़ निवासी मुकेश उपाध्याय के पुत्र तुषार उपाध्याय (37 वर्ष) सिर्फ युवाओं के ही नहीं, बल्कि अपने विनम्र स्वभाव,कार्यकुशलता और मधुर व्यवहार से हर उम्र वर्ग के चहते थे, कम उम्र में ही पार्षद के पद पर रहकर,उन्होंने जन सेवा के माध्यम से अपनी पहचान बनायी । पर कल दोपहर में अचानक तबियत बिगड़ने से उनका निधन हुआ ।
अचानक हुई इस घटना से पूरे परिवार पर वज्रपात हुआ, तुषार के चाचा अरविंद उपाध्याय के करीबी मित्र एवं सतगुरु सेवा संस्थान के ट्रस्टी मनोज शर्मा ने, तुषार के पिता मुकेश, माँ मधु,और पत्नि अनिला,छोटे भाई विशाल से तुषार के नेत्रदान करवाने का अनुरोध किया ।
पिता मुकेश पत्रकारिता के क्षेत्र में काफी समय से हैं,सामाजिक कार्य में जुड़े रहने से, उन्होंने तुरंत ही परिवार के सभी सदस्यों की ओर से नेत्रदान के लिए सहमति दे दी ।
सहमति मिलने के उपरांत, शाइन इंडिया फाउंडेशन के शहर संयोजक कमलेश दलाल की सूचना पर, कोटा से डॉ कुलवंत गौड़, नेत्र संकलन वाहिनी ज्योति रथ, लेकर एसआरजी हॉस्पिटल की मोर्चरी पर पहुंचे और ज्योति मित्र अजय गोयल के सहयोग से,परिवार के सभी सदस्यों के बीच में मोर्चरी में ही नेत्रदान की प्रक्रिया को संपन्न किया ।
डॉ गॉड ने बताया कि,युवावस्था में प्राप्त कॉर्निया से दो से अधिक लोगों की कॉर्निया अंधता को दूर करने में सहायक होता है ।