शिक्षा केवल डिग्री प्राप्त करने का साधन नहीं, बल्कि व्यक्ति की बौद्धिक क्षमता, नैतिक मूल्यों और व्यावहारिक कौशल का विकास करने का माध्यम है। यह संदेश राजस्थान के राज्यपाल एवं कुलाधिपति श्री हरिभाऊ किसनराव बागड़े ने शुक्रवार को महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमपीयूएटी), उदयपुर में वरिष्ठ अधिकारियों और विभागाध्यक्षों को संबोधित करते हुए दिया।
राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालय का मुख्य उद्देश्य केवल ज्ञान का उत्पादन करना नहीं, बल्कि बौद्धिक सम्पदा का संरक्षण, भारतीय परंपरागत ज्ञान को आधुनिक शिक्षा में समाहित करना, उच्च गुणवत्ता वाला शोध करना और उसके लाभों को किसानों तक पहुँचाना होना चाहिए।
स्वागत और उपलब्धियों का बखान
कार्यक्रम की शुरुआत में कुलगुरु डॉ. अजीत कुमार कर्नाटक ने राज्यपाल का स्वागत किया और एमपीयूएटी की अब तक की उपलब्धियों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि 1999 में स्थापित इस विश्वविद्यालय ने कृषि शिक्षा, अनुसंधान, कौशल विकास और नवाचार में निरंतर प्रगति की है।
एमपीयूएटी की उपलब्धियों में 58 पेटेंट, 81 अंतरराष्ट्रीय एमओयू, मक्का और औषधीय फसलों की उन्नत किस्मों का विकास, 26 अनुसंधान परियोजनाएँ, लाखों किसानों को प्रशिक्षण, और मजबूत रिसर्च इंडेक्स शामिल हैं। स्कोपस एच-इंडेक्स 83 और गूगल एच-इंडेक्स 97 विश्वविद्यालय के शोध स्तर को दर्शाते हैं।
भारतीय ज्ञान परंपरा से प्रेरणा
राज्यपाल बागड़े ने अपने अभिभाषण में प्राचीन भारतीय शिक्षा पद्धति का उदाहरण देते हुए कहा कि गुरुकुलों में पढ़ने वाले छात्र भले ही डिग्रीधारी इंजीनियर नहीं थे, फिर भी वे तकनीकी रूप से इतने सक्षम थे कि मजबूत इमारतों और यंत्रों का निर्माण करते थे। उन्होंने कहा कि शिक्षा केवल पुस्तकीय नहीं होनी चाहिए, बल्कि जीवन और समाज को समृद्ध करने वाला व्यावहारिक ज्ञान होना चाहिए।
उन्होंने बताया कि 1895 में एक भारतीय इंजीनियर ने ऋषि भारद्वाज के ग्रंथ यंत्र सर्वस्व से प्रेरणा लेकर विमान का डिज़ाइन तैयार किया और उसका सार्वजनिक प्रदर्शन किया। यह कार्य राइट ब्रदर्स से भी पहले हुआ था, लेकिन अंग्रेजों ने इस अविष्कार को धूल चटा दी। यह उदाहरण इस बात का प्रमाण है कि भारत की ज्ञान परंपरा कितनी प्राचीन और उन्नत रही है।
उच्च शिक्षा की नई दिशा
राज्यपाल ने कहा कि आज आवश्यकता है कि विश्वविद्यालय केवल पढ़ाई-लिखाई तक सीमित न रहें, बल्कि समाज को ऐसे तकनीकी पेशेवर प्रदान करें जो न केवल कुशल हों, बल्कि नैतिक मूल्यों से भी संपन्न हों। उन्होंने प्रोफेसरों से आह्वान किया कि वे विद्यार्थियों को क्वालिटी एजुकेशन दें और खासकर कमजोर वर्ग के छात्रों के लिए छात्रवृत्ति जैसी सुविधाओं पर विशेष ध्यान दें।
उन्होंने विश्वविद्यालय को संबद्ध कॉलेजों को NAAC मान्यता दिलाने, वित्तीय स्थिति को मजबूत करने, और शिक्षा प्रणाली को आधुनिक बनाने पर बल दिया।
विश्वस्तरीय वैज्ञानिकों का सम्मान
इस अवसर पर MPUAT के वैज्ञानिक डॉ. एन.एल. पंवार और डॉ. विनोद सहारन को विशेष सम्मान प्रदान किया गया। दोनों वैज्ञानिकों का नाम स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय और एल्सिवियर द्वारा घोषित दुनिया के शीर्ष 2% वैज्ञानिकों की सूची में शामिल किया गया है। राज्यपाल ने उन्हें सम्मानित करते हुए कहा कि यह न केवल विश्वविद्यालय के लिए बल्कि पूरे राजस्थान के लिए गौरव का क्षण है।
कुलगुरु का विज़न और प्रधानमंत्री का आह्वान
कुलगुरु डॉ. अजीत कुमार कर्नाटक ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रधानमंत्री के विकसित भारत 2047 विज़न में कृषि और ग्रामीण विकास के क्षेत्र में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने बताया कि एमपीयूएटी ने एनईपी-2020 को लागू करने और कृत्रिम बुद्धिमत्ता तथा डेटा साइंस जैसे विषयों में स्नातक पाठ्यक्रम शुरू करने में अग्रणी भूमिका निभाई है।
बैठक और विचार-विमर्श
बैठक में अकादमिक गतिविधियों, NAAC मान्यता, विश्वविद्यालय की वित्तीय स्थिति, शैक्षणिक और ग़ैर-शैक्षणिक पद, संरचनात्मक ढाँचा, सूचना प्रौद्योगिकी और अन्य गतिविधियों की समीक्षा की गई। विशेषज्ञों और विभागाध्यक्षों ने इन विषयों पर विस्तार से विचार रखे।
सम्मान और धन्यवाद
अंत में सामुदायिक एवं व्यावहारिक विज्ञान महाविद्यालय की अधिष्ठाता डॉ. धृति सोलंकी ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. विशाखा बंसल और डॉ. रूपल बाबेल ने किया। सहयोग कुलगुरु निजी सचिव विशाल अजमेरा, मनोज भटनागर और दिनेश कुमार ने किया।