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चश्मा पहन खिल उठे नन्हें चेहरे – आर-केग ने वंचित बच्चों को दी नई दृष्टि

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19 Sep 25
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चश्मा पहन खिल उठे नन्हें चेहरे – आर-केग ने वंचित बच्चों को दी नई दृष्टि

 

उदयपुर, उदयपुर के हिरणमगरी सेक्टर-6 स्थित गायत्री सेवा संस्थान के विवेकानंद सभागार में झाड़ोल उपखंड के लीलावास गाँव की कालबेलिया बस्ती के दृष्टिबाधित बच्चों को विशेष परामर्श अनुसार तैयार किए गए नम्बरी चश्मे वितरित किए गए। यह पहल राजस्थान चाइल्ड एडवाइजरी ग्रुप (आर-केग) द्वारा की गई, जिसने हाल ही में गाँव का दौरा कर बच्चों की गंभीर समस्याओं को सरकार के सामने रखा था और उनके समाधान हेतु हर संभव प्रयास का संकल्प लिया था।

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दृष्टिबाधित बच्चों को मिला नया उजास
लीलावास की कालबेलिया बस्ती लंबे समय से कचरा बीनने और पुनर्चक्रण कार्य के माध्यम से समाज की स्वच्छता में योगदान देती रही है। लेकिन यहाँ परिवारों को भोजन की कमी, कुपोषण, निरक्षरता और बच्चों की दृष्टि संबंधी परेशानियों जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा था। बच्चों की उदयपुर स्थित महाराणा भोपाल चिकित्सालय में जांच करवाई गई और विशेषज्ञों द्वारा सुझाए गए विशेष चश्मे आज वितरित किए गए। नन्हीं बच्ची ‘खुशी’ ने जब पहली बार चश्मा पहनकर अपने पिता को देखा तो खुशी से गले लग गई।

आर-केग का संकल्प
आर-केग अध्यक्ष एवं समाजसेवी चन्द्रगुप्त सिंह चौहान ने बताया कि दौरे में सामने आए मुद्दों पर सरकार और अधिकारियों से चर्चा की गई, जिसके तहत गाँव को माँ-बाड़ी की सौगात मिली। उन्होंने कहा कि आर-केग तब तक गाँव का फॉलोअप करता रहेगा जब तक सभी बच्चे मुख्यधारा से नहीं जुड़ जाते।

आर-केग महासचिव एवं राजस्थान बाल आयोग के पूर्व सदस्य डॉ. शैलेन्द्र पण्ड्या ने बताया कि सरकारी अस्पताल में चश्मे उपलब्ध न होने पर भामाशाह डॉ. राहुल व्यास, हिम्मत सोनी और प्रेम चारण के सहयोग से बच्चों को यह सुविधा उपलब्ध कराई गई।

भामाशाहों का योगदान
भामाशाह हिम्मत सोनी ने आर-केग की इस पहल की सराहना करते हुए 100 और बच्चों की निःशुल्क जांच एवं चश्मे उपलब्ध कराने की घोषणा की।

कार्यक्रम में सहभागिता
इस अवसर पर आर-केग पदाधिकारी प्रदीप रावानी, समिधा संस्थान से सुनीता राठौड़, अनुसंधान अधिकारी अशोक मालवीय, कुंतल जोशी, सुनील पालीवाल, आरोग्य शेखर व्यास, अरुण शर्मा, दिलीप दमामी, मदन लाल, गायत्री सेवा संस्थान से नितिन पालीवाल, आशीता जैन सहित बच्चों के अभिभावक उपस्थित रहे।

इन चश्मों के माध्यम से नई दृष्टि पाकर नन्हे बच्चों के चेहरे खिल उठे और उनके जीवन में उजास की नई किरण जगमगा उठी।


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