उदयपुर। उदयपुर की प्रख्यात संगीत प्रेमियों के संस्था सुरों की मंडली की ओर से महान गायिका, स्वर कोकिला लता मंगेशकर जी की जयंती के पावन अवसर पर, उन्हें समर्पित भावभीनी संगीतमय श्रद्धांजलि कार्यक्रम एक शाम लता जी के नाम का आयोजन किया गया।
इस विशेष संध्या में, सुरों की मंडली के सुर साधकों ने लता जी के अमर गीतों को गाकर स्वर कोकिला को श्रद्धासुमन अर्पित किए।
यह शानदार कार्यक्रम संस्थापक मुकेश माधवानी व संयोजक स्वर सम्राट कैलाश केवल्या के कुशल निर्देशन और मार्गदर्शन में सम्पन्न हुआ।
कला प्रेमियों और श्रोताओं से खचाखच भरी महफ़िल में कलाकारों ने एक से बढ़कर एक सुमधुर प्रस्तुतियाँ देकर पूरे माहौल को आनंदमय और सुरमयी बना दिया।
कार्यक्रम की शुरुआत भक्तिमय सरस्वती वंदना के साथ की गई। इसके बाद, सभी गायकों ने अपनी मधुर आवाज़ और प्रस्तुतियों से श्रोताओं का दिल जीत लिया।
प्रशांत सिंह ने अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति में "दिल हूम हूम करे" गीत गाया, वहीं मुकेश शर्मा एवं मधु कैवल्या ने युगल गीत "धीरे-धीरे बोल कोई सुन ना ले" प्रस्तुत कर सभी का ध्यान आकर्षित किया। दिलीप जैन ने "सोलह बरस की बाली उमर को सलाम" गीत गाकर महफ़िल को और जोशीला बना दिया।
संयोजक कैलाश केवल्या ने अपनी मधुर आवाज़ में "जाने क्यों लोग मोहब्बत" प्रस्तुत किया। दिव्या जी एवं नारायण जी ने मिलकर सदाबहार गीत "कोरा कागज" गाया, जबकि बृजलाल जी सोनी ने "माई रे में कैसे कहूं" प्रस्तुत कर श्रोताओं को भावुक कर दिया। चेतना जैन ने अपनी सुरीली आवाज़ में "नाम गुम जाएगा" गाया, और संस्थापक मुकेश माधवानी ने लता जी के सबसे पसंदीदा गीतों में से एक "लग जा गले" गाकर महफ़िल में समां बाँध दिया।
पवन शर्मा ने "बहिया ना धरो बलमा" प्रस्तुत किया, और इन सभी के अतिरिक्त, महेंद्र चावला एवं अन्य गायकों ने भी अपनी शानदार प्रस्तुति से मंच को सुशोभित किया।
इस सफल और यादगार आयोजन को मूर्त रूप देने में कमेटी के सदस्य मुकेश शर्मा, पवन शर्मा, दिलीप जैन, नारायण लोहार का सराहनीय और अमूल्य सहयोग रहा।
कार्यक्रम का मंच संचालन चेतना जैन एवं नूतन वेदी जी बहुत ही कुशलता और बेहतरीन अंदाज़ में किया।
कार्यक्रम के अंत में सभी ने महान गायिका लता मंगेशकर जी के संगीत के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त की और उनके अमूल्य योगदान को याद किया।