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बालिका शिक्षा प्रोत्साहन में डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड ने किया मेवाड़ी परम्परा का निर्वहन

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29 Sep 25
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बालिका शिक्षा प्रोत्साहन में  डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड ने किया मेवाड़ी परम्परा का निर्वहन

उदयपुर। बालिका शिक्षा प्रोत्साहन में महाराणाओं के विद्यादान की परम्परा का निर्वहन करते हुए डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय, जगदीश चौक, उदयपुर में अध्ययनरत 230 बालिकाओं की सम्पूर्ण वार्षिक फीस जमा करवाई। 161 वर्ष पूर्व मेवाड़ के 71वें श्री एकलिंग दीवान महाराणा शम्भूसिंह जी ने अपने शासनकाल के दौरान शम्भूरत्न पाठशाला की नींव रख बालिका शिक्षा को प्रोत्साहन दिया था।

महाराणा शम्भूसिंह जी के शासनकाल (1861-1874 ई.) में उदयपुर राज्य का पहला स्कूल जनवरी 1863 ई. में खोला गया था। जिसे ‘शम्भूरत्न पाठशाला’ का नाम दिया गया। इसे 1866 ई. में कन्या विद्यालय के रूप में स्थापित किया गया जो भारत में मेवाड़ रियासत की ओर से पहला कन्या विद्यालय था।

डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने कहा कि बालिका शिक्षा ही सशक्त समाज की वास्तविक आधारशिला है। आज के दौर में भी ऐसी कई बालिकाएँ है, जो घरेलू समस्याओं एवं आर्थिक कारणों से अपनी पढ़ाई बीच में छोड़ देती हैं। बालिकाओं को शिक्षा से जोड़ना केवल उनके भविष्य को उज्ज्वल बनाना ही नहीं बल्कि समाज और राष्ट्र की प्रगति को भी सुनिश्चित करना है।

अपने पुरखों की मेवाड़ी परम्परा को आगे बढ़ाते हुए, डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने शिक्षा सुधार, नारी सशक्तिकरण, पशु कल्याण, शहीद सैनिकों की विधवाओं और पूर्व सैनिकों के कल्याण हेतु कई सराहनीय कार्यों के साथ अपने पर्यावरणीय दृष्टिकोण के तहत ‘गो ग्रीन’ और ‘सेव वाटर’ अभियानों के माध्यम से विद्यालयों और नागरिकों को पर्यावरणीय जिम्मेदारी का समय-समय पर बोध कराया है। समाज में निस्वार्थ सेवा कर्म एवं दायित्व निर्वहन को आगे बढ़ाते हुए आप विश्व-कीर्तिमानों की शृंखला में अब तक नौ ‘गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड’ अपने नाम कर चुके हैं। ये उपलब्धियाँ वैश्विक स्तर पर पर्यावरण और परोपकार के प्रति मेवाड़ की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती हैं।

 

विद्यालय की प्राचार्या ने बताया कि मेवाड़ के विकास की नींव सुदृढ़ करने में शिक्षा का विशेष योगदान रहा है। मेवाड़ के महाराणाओं ने सदैव प्रजाहित एवं समाज उत्थान के लिये विद्यादान को परम आवश्यक मानकर, योजनागत तरीकों से शिक्षा को जन-जन तक पहुँचाने के पावन कार्य किये, उसी मेवाड़ी परम्परा का डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ वर्तमान में निर्वहन कर रहे हैं।


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