सनातन वैदिक पंचांग के अनुसार, प्रत्येक वर्ष फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होलिका दहन करने के बाद उसके दूसरे दिन प्रातः होली का त्यौहार मनाया जाता है। परन्तु इस वर्ष की होली अत्यधिक विशेष इसलिए है, क्योंकि इस वर्ष 499 वर्षों के बाद होली में शुभ संयोग बन रहा है। श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के डाॅ मृत्युंजय तिवारी ने बताया कि रंगों का उत्सव होली इस वर्ष 10 मार्च को सम्पूर्ण विश्व में खेली जाएगी, इसके पहले ऐसा योग 3 मार्च 1521 को बना था जब शनि तथा गुरु अपनी अपनी राशी में विराजमान होकर शश एवं मालव नामक राजयोग बनाया था। इस बार भद्रा का भी साया होली पर नहीं रहेगा। वैसे हिंदू धर्म में जितने भी त्योहार मनाए जाते है, सभी को सौभाग्य और समृद्धि से जोड़कर देखा जाता है और होली पर्व भी उन्हीं त्योहारों में से एक है। एक और गुरु बृहस्पति जहां ज्ञान, संतान, गुरु, धन-संपत्ती के प्रतिनिधि है तो वहीं शनि न्याय के देवता है। शनि का फल व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार मिलता है। अर्थात यदि व्यक्ति अच्छे कर्म करता है तो उसे अच्छे फल और बुरे कार्य करता है तो शनि उसे विभिन्न रूप में दंडित करता है। होली पर इन दोनों ग्रह की शुभ स्थिति किसी शुभ योग से कम नहीं है।
गजकेसरी योग में होगा होलिका दहन
डाॅ तिवारी ने बताया कि गजकेसरी योग को अधिक शुभ माना जाता है और इस योग में जो भी कार्य किया जाए उसका शुभ फल प्राप्त होता है। संस्कृत में गज अर्थात हाथी, तथा केसरी का अर्थ शेर होता है, हाथी और शेर का संबंध अर्थात राजसी सुख को संकेत करना । गज को गणेश जी का रूप माना जाता है। इस योग में व्यक्ति को फल उसकी राशि, नक्षत्र और गुरु की स्थिति के आधार पर मिलता है। वहीं इस बार सूर्य के नक्षत्र में होलिका दहन होने जा रही है। इस बार होलिका दहन के समय किये जाने वाले के संबंध में उन्होनें बताया कि होलिका दहन करने या फिर उसके दर्शन मात्र से भी व्यक्ति को शनि-राहु-केतु के साथ नजर दोष से भी मुक्ति मिलती है। होली की भस्म का टीका लगाने से नजर दोष तथा प्रेतबाधा से मुक्ति मिलती है। यदि आप अपनी कोई मनोकामना पूरी करना चाहते हैं तो जलती होली में 3 गोमती चक्र हाथ में लेकर अपनी इच्छा को 21 बार मन में बोलकर तीनों गोमती चक्र को अग्नि में डालकर अग्नि को प्रणाम करके वापस आ जाएं। यदि कोई व्यक्ति घर में होली की भस्म चांदी की डिब्बी में रखता है तो उसकी कई बाधाएं अपने आप ही दूर हो जाती है। डाॅ तिवारी ने सुझाव दिया कि अपने कार्यों में आने वाली बाधा को दूर करने के लिए आटे का चैमुखा दीपक सरसों के तेल से भरकर उसमें कुछ दाने काले तिल, एक बताशा, सिन्दूर और एक तांबे का सिक्का डालकर उसे होली की अग्नि से जलाएं। अब इस दीपक को घर के पीड़ित व्यक्ति के सिर से उतारकर किसी सुनसान चैराहे पर रखकर बगैर पीछे मुड़े वापस आकर अपने हाथ-पैर धोकर घर में प्रवेश कर लें। देखें कैसे उसकी सारी बाधाएं दूर होती है। तो देखा आपने कि कितने आसान है ये उपाय जिन्हें करने से आपको हर तरह की समस्याओं से मुक्ति तो मिलेगी ही साथ ही लाभ भी होगा। इस वर्ष होलिका दहन का शुभ मुहूत 9 मार्च फाल्गुन शुक्ला पूर्णिमा को संध्याकाल में 6 बजकर 22 मिनट से 8 बजकर 49 मिनट तक होगा।