GMCH STORIES

अहंकार मनुष्य को ले डूबता है -महामण्डलेश्वर हरिओमदास महाराज

( Read 35208 Times)

09 Jun 18
Share |
Print This Page
अहंकार मनुष्य को ले डूबता है -महामण्डलेश्वर  हरिओमदास महाराज सरस्वती विद्या मंदिर स्कूल उदाजी का गडा में चल रही श्री राम कथा के अष्ट्म दिन महामण्डलेश्वर श्रीमहंत श्री हरिओमदासजी महाराज ने प्रवचनों की अमृतवर्षा की । कथा के दौरान महाराजश्री ने कहा अहंकार मनुष्य को ले डूबता है । रावण के अंहकार के कारण रावण के पूरे परिवार का सर्वनाश हो गया ।
अभिमान नहीं, कर्म की करो पूजा
किस्मत से कर्म नहीं कर्म से किस्मत बदल जाती है । मनुष्य के सुख और दुख का कारण उसके कर्म है । इसलिए इंसान को सबसे पहले अपने कर्म की पूजा करनी चाहिए । उक्त भक्तिपूर्ण विचार सरस्वती विद्या मंदिर स्कूल, उदाजी का गडा में चलु रही श्रीराम कथा के व्यासपीठ पर बैठे महामण्डलेश्वर श्रीमहंत श्री हरिओमदासजी महाराज ने आठवें दिन उपस्थित भक्तों को मनुष्य कर्मों पर प्रकाश डालते हुए व्यक्त किए ।मानव को सत्य का ज्ञान हो, जीव सत्य का मार्ग अपनाये, जो व्यक्ति अंधकार से प्रकाश की और आये, हिंसा छोड अहिंसा का रास्ता अपनाये, पाप से पुण्य की ओर अग्रसर हो यह परम लक्ष्य श्रीराम कथा का है ।मानव योनी में जन्म लेने मात्र से जीवन को मानवता प्राप्त नहीं होती । यदि मनुष्य योनी में जन्म लेने के बाद भी उसमें स्वार्थ की भावना भरी हुई है, तो वह मानव होते हुए भी राक्षसी वृत्ति की पायदान पर खडा रहता है । यदि व्यक्ति स्वार्थ की भावना को त्याग कर हमेशा परमार्थ भाव से जीवन यापन करे तो निक्षित रूप् से यह एक अच्छा इंसान है ।
इश्ट देव का वंदन जरुरी - महामण्डलेष्वर हरिओमदास महाराज
श्रीराम कथा के अश्ट्म दिवस में महाराजश्री ने कथा के बीच-बीच में उपस्थित श्रद्धालुओं को जीवन दर्षन की बातें भी बताई । इसमें उन्होंने भक्ति के विशय में विस्तार से वर्णन किया । उन्होंने सभी को अपना एक ईश्ट देव चुनने की सलाह दी । कहा कि हम चाहे किसी भी मंदिर में जाएं या किसी भी देवता का पूजन करें लेकिन अपना एक ईश्ट देव जरुर चुनें । अन्य देवताओं से भी अपने ईश्ट देव के प्रति श्रद्धा रखने का ही वरदान मांगे । तुलसीदासजी ने भी गणेष वंदन कर भगवान राम की प्राप्ति का वर मांगा था । आत्मा का रिष्ता परमात्मा से रखो । भावविभोर होकर भगवान को अपना लो । बाकी रिष्तें सब बेकार है ।
हमें अपने बच्चों को संस्कार और अच्छी षिक्षा अवष्य देना चाहिए । बच्चे षिक्षा तो प्राप्त कर रहे हैं, लेकिन संस्कार भूल रहे हैं । संस्कारवान नई पीढी ही अपने जीवन को सफल और सार्थक कर सकती है । लोक कल्याण ही परम धर्म है । इससे जीवन आनंदित होता है । सभी को आनंदित करना ही सच्चा धर्म है ।
मांस खाने से नहीं मिल पाती भगवान की कृपा-महामण्डलेष्वर हरिओमदास महाराज
भजन करना है तो भोजन करना सीखना जरुरी है, क्योंकि भोजन का सीधा फर्क मनुष्य की सोच पर पडता है । लोग जैसा भोजन करते हैं उनकी सोच वैसी ही हो जाती है, अगर कोई दूषित भोजन करता है तो उसके मन में धार्मिक ख्याल आना काफी मुश्किल होता है । मांस खाने से भगवान की कृपा से वंचित हो जाते हैं । यह बात राम कथा के आंठवे दिन कथावाचक महामण्डलेष्वर हरिओमदासजी महाराज ने कही । भजन तभी होता है जब भोजन ठीक होता है । लोग धीरे-धरे सादे भोजन के महत्व को भूलते जा रहे हैं, वे फास्ट फूड और पश्चिमी जीवन शैली को ही अपने जीवन में उतार चुके हैं । ऐसी स्थिति में वे न चाह कर भी भगवान से दूर होते जा रहे हैं । साधना करने से भगवान की कृपा होना जरुरी होता है और जब हम जीवन हत्या करके उनका मांस खाते हैं तो हमारा मन तो दूषित होता ही है । साथ ही भगवान की कृपा भी नहीं मिल पाती ।

श्रीराम कथा की पूर्णाहूति षनिवार को
सरस्वती विद्या मंदिर स्कूल उदाजी का गडा में श्रीराम कथा की पुर्णाहुति महायज्ञ षनिवार को प्रातः ९ बजे से महायज्ञ प्रारंभ होगा । प्रतिदिन के भांति श्री राम कथा दोपहर २ बजे से इसके साथ ही भागवत कथा की पूर्णाहूति ।

आज श्री राम कथा में महाराजश्री ने श्रोताओं को रामेश्वर स्थापना, अंगद संवाद, लक्ष्मण शक्ति की कथा विस्तार से सुनाई ।इसके साथ ही सायं ५ बजे भगवानजी को भोग एवं उसके बाद व्यासपीठ की आरती उतारी गई एवं प्रसाद वितरण किया गया ।


Source :
This Article/News is also avaliable in following categories : Chintan
Your Comments ! Share Your Openion

You May Like