संसद ने बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक, 2024 को पारित कर दिया है। राज्यसभा ने इसे ध्वनिमत से मंजूरी दी, जबकि लोकसभा इसे पहले ही दिसंबर 2024 में पारित कर चुकी है। इस विधेयक में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं, जो बैंक खाताधारकों और सहकारी बैंकों के लिए उपयोगी साबित होंगे।
अब बैंक खाताधारक अधिकतम चार नामांकित व्यक्ति जोड़ सकते हैं। साथ ही, नकद और सावधि जमा दोनों के लिए संयुक्त नामांकन की अनुमति होगी, जबकि लॉकर के लिए केवल एक नामांकन ही मान्य होगा।
विधेयक में "पर्याप्त हित" शब्द की नई परिभाषा दी गई है और सहकारी बैंकों के निदेशकों का कार्यकाल 8 वर्ष से बढ़ाकर 10 वर्ष किया गया है, जिससे यह संविधान के 97वें संशोधन अधिनियम, 2011 के अनुरूप हो जाएगा। अब केंद्रीय सहकारी बैंक के निदेशक को राज्य सहकारी बैंक के बोर्ड में सेवा देने की अनुमति भी मिल सकेगी।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बहस का जवाब देते हुए बताया कि सरकार जानबूझकर कर्ज न चुकाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई को लेकर प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि पिछले 5 वर्षों में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बैंक धोखाधड़ी से जुड़े 112 मामलों की जांच शुरू की है।
सीतारमण ने कहा, "बट्टे खाते में डालना ऋण माफ करना नहीं होता," और बैंक ऋण वसूलने के अपने प्रयास जारी रखते हैं। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने पिछले वर्ष 1.41 लाख करोड़ रुपये का लाभ कमाया है, और 2025-26 में इसमें और वृद्धि की संभावना है।
विधेयक के तहत बैंकों को वैधानिक लेखा परीक्षकों के पारिश्रमिक निर्धारण में अधिक स्वतंत्रता दी जाएगी और अब रिपोर्टिंग तिथियां हर महीने की 15वीं और अंतिम तारीख होंगी, जो पहले दूसरे और चौथे शुक्रवार को निर्धारित होती थीं।
वित्त मंत्री ने बताया कि यह विधेयक इसलिए भी अद्वितीय है क्योंकि इसमें पांच अलग-अलग अधिनियमों में संशोधन किए गए हैं और आठ टीमों ने मिलकर इस पर काम किया, जिससे बजट भाषण के उद्देश्यों को पूरा किया जा सके।