उदयपुर। अणुव्रत समिति उदयपुर द्वारा अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह के अंतर्गत सातवें दिन आज आरएमबी गेलड़ा माध्यमिक विद्यालय में जीवन विज्ञान कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
विद्यालय के प्रधानाध्यापक विकास सिंघवी ने सभी अणुव्रत समिति से आये सभी सदस्यों का शब्दों के द्वारा एवं उपरना के द्वारा स्वागत किया गया।
अध्यक्ष प्रणिता तलेसरा ने सभी का स्वागत किया एवं जीवन विज्ञान के बारे में प्रकाश डालते हुए कहा कि जीवन विज्ञान हमें जीवन के विभिन्न पहलू और विज्ञान के साथ इसके संबंधों को समझने का अवसर प्रदान करता है जीवन विज्ञान में शिक्षा का महत्वपूर्ण स्थान है। शिक्षा व्यक्ति एवं सामाजिक जीवन की आधारशिलाएं हे स्वस्थ समाज एवं स्वस्थ व्यक्ति के निर्माण में शिक्षा की महती उपयोगिता है।
शिक्षा का मूल उद्देश्य विद्यार्थी का सर्वांगीण विकास है। यदि व्यक्ति के जीवन में कोई भी पक्ष न्यून कमजोर रह जाता है तो वह उसके व्यक्तित्व का अधूरापन होता है संतुलित व्यक्तित्व के विकास के लिए जीवन के हर पक्ष पर ध्यान देना आवश्यक होता है। आज की शिक्षा प्रणाली में बौद्धिक विकास के पर्याप्त तत्व समाहित है शारीरिक विकास पर भी थोड़ा ध्यान केंद्रित है किंतु मानसिक एवं भावनात्मक विकास जो व्यक्तित्व के विकास में महत्वपूर्ण घटक है शिक्षा के क्षेत्र में आचार्य तुलसी एवं आचार्य महाप्रज्ञ ने जीवन विज्ञान की एक नई अवधारणा प्रस्तुत की है शिक्षा प्रणाली में उसको समुचित स्थान देने पर वर्तमान की शिक्षा प्रणाली को संपूर्णता प्रदान की जा सकती है ।
कार्यक्रम की मुख्य वक्ता संगीता पोरवाल ने बताया कि जीवन विज्ञान एक जीवन जीने की कला है इसमें हमें अपने जीवन में चार बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए पहला स्वभाव में परिवर्तन ,दूसरा तोल मोल के बोले ,तीसरा सोच को रियल थिंकिंग बनाए, चैथा सहन शीलता व सहिष्णुता को अपने जीवन में अपनाए।
सचिव लक्ष्मी कोठारी ने आभार की रसम अदा करी एवं जानकारी दी की आज के कार्यक्रम में अध्यक्ष प्रणिता तलेसरा ,परामर्शक सूर्य प्रकाश मेहता,उपाध्यक्ष कुंदन भटेवरा ,सचिव लक्ष्मी कोठारी, पूर्णिमा बोकाडिया, संगीता पोरवाल ,प्रतिभा सुराणा की गरिमा मय उपस्थिति रही। करीब 100 बच्चों ने जीवन विज्ञान के बारे में जानकारी प्राप्त की।