उदयपुर। पर्वाधिराज पर्युषण के दूसरे दिन सूरजपोल स्थित दादाबाड़ी में शास्त्र कल्पसूत्र वाचन के प्रवचन हुए। साध्वी विरलप्रभा श्रीजी की पावन निश्रा में साध्वी विपुल प्रभा श्रीजी ने पद्मनाभ स्वामी, द्रौपदी और पांडवों के बारे में विवेचन किया। डताउपडी का हरण कर पद्मनाभ ले आये और दूत को द्रौपदी वापसी के लिए इनकार करने पर युद्ध करना पड़ा। श्रीकृष्ण देवपुरुष हैं। पद्मनाभ के द्रौपदी से बचाव का आग्रह करने पर उसने स्त्री वेश में श्रीकृष्ण की शरण मांगी। साध्वी कृतार्थप्रभा श्रीजी ने कहा कि ऋषभदेव स्वामी के साथ नवें अछेरा में 108 साधु मोक्ष को पधारे। आदिनाथ भगवान के काल में 108 मुनि मोक्ष को पधारे। शीतलनाथ स्वामी के काल में हरिवंश की स्थापना हुई।
ट्रस्ट सचिव दलपत दोशी ने बताया कि रविवार को भगवान महावीर के जन्मवाचन पर प्रवचन होगा तथा माता त्रिशला को आये 16 स्वप्न के दर्शन कराए जाएंगे। जन्मवाचन के पश्चात भगवान महावीर के पालन को झूला झुलाया जाएगा तथा झूले की बोली लगाने वाले अपने घर ले जाकर रात्रि जागरण होगा।