उदयपुर। सात वर्ष की आयु से ही यश सनाढ्य महाराणा प्रताप को ईश्वर स्वरूप मानकर उनकी पूजा करते आ रहे हैं। अपने अध्ययन कक्ष में उन्होंने महाराणा प्रताप की प्रतिमा स्थापित की है, जहाँ वे प्रतिदिन विद्यालय जाने से पहले और लौटकर आने के बाद श्रद्धा भाव से पूजा करते हैं। महाराणा प्रताप के शौर्य से प्रेरित होकर यश तलवारबाज़ी की कला सीख रहे हैं और उसी शैली का अभ्यास करते हैं, जिसका प्रयोग स्वयं महाराणा प्रताप किया करते थे। साथ ही, वे उनकी जीवनी का गहन अध्ययन कर रहे हैं और यह जान रहे हैं कि उन्होंने अपने समाज के लिए कितने महान त्याग किए थे।
वर्तमान में यश विटी इंटरनेशनल स्कूल में कक्षा 5 के छात्र हैं। उनके पिता अक्षय सनाढ्य और माता दीप्ति शर्मा का कहना है कि मात्र चार वर्ष की आयु से ही यश को राजस्थानी संस्कृति और धरोहर के प्रति गहरी रुचि रही है और वे सदैव इसे जानने और समझने की जिज्ञासा रखते हैं। भविष्य में यश का संकल्प है कि वे लोगों को सोशल मीडिया के मोह से दूर कर हमारी गौरवशाली सांस्कृतिक विरासत से जोड़ें।