गलत तथ्यों को हटाने के लिए शीघ्र अधिसूचना जारी करे एनसीईआरटी - इतिहास संकलन समिति

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11 Aug 25
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गलत तथ्यों को हटाने के लिए शीघ्र अधिसूचना जारी करे एनसीईआरटी - इतिहास संकलन समिति


उदयपुर,  वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप को हल्दीघाटी युद्ध में हारा हुआ बताने तथा मेवाड़ को मराठा साम्राज्य के अधीन बताने वाले नक्श के मामले में अब भारतीय इतिहास संकलन समिति ने भी परिणाम आने तक संघर्ष का ऐलान कर दिया है। इतिहास संकलन समिति की उदयपुर जिला इकाई की रविवार को यहां विश्व संवाद केन्द्र में हुई आपात बैठक में यह निर्णय किया गया।

जिला महामंत्री चैनशंकर दशोरा ने बताया कि बैठक में मंगलायतन विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. परमेन्द्र कुमार दशोरा ने मार्गदर्शन प्रदान किया। उन्होंने कहा कि उदयपुर नगर के इतिहास के प्राध्यापक, शिक्षक, इतिहासविद, इतिहासप्रेमी बंधु प्रयत्न कर सम्पूर्ण जनमानस को आगाह करवाएं कि शिक्षातंत्र में गलत जानकारी प्रदान करना तथा भ्रामक इतिहास बच्चों को पढ़ाना अक्षम्य अपराध है। महाराणा प्रताप न केवल मेवाड़ अपितु सम्पूर्ण भारत के लिए स्वतंत्रता के मार्गदर्शक के रूप में एक आदर्श के रूप में स्वीकार किए गए हैं। हल्दीघाटी युद्ध में महाराणा प्रताप की विजय स्वतंत्रता के लिए किए गए अचल, अविरल एवं सतत संघर्ष का ध्वज लेकर समाज का मार्गदर्शन करती रही तथा आगे भी करती रहेगी।

बैठक में इतिहास संकलन समिति के चित्तौड़ प्रांत संगठन सचिव रमेश शुक्ला, प्रांत अध्यक्ष प्रो. जीवन सिंह खरकवाल, प्रांत महामंत्री डॉ. विवेक भटनागर, प्रांत कोषाध्यक्ष गौरीशंकर दवे, प्रांत मंत्री डॉ. मनीष श्रीमाली, महानगर मंत्री दीपक शर्मा, डॉ. सुभाष भार्गव आदि ने विचार रखे।

बैठक में निर्णय किया गया कि केन्द्र सरकार तथा एनसीईआटी से सम्पर्क कर उनसे मांग की जाएगी कि महाराणा प्रताप एवं मेवाड़ से सम्बंधित गलत एवं भ्रांत जानकारी पाठ्यपुस्तकों से हटाई जाए। यह जानकारी आने वाली पीढ़ी को दिग्भ्रमित कर रही है। इसे विलोपित कर सही तथ्य अंकित किए जाएं। हल्दीघाटी युद्ध सहित अन्य सभी भ्रांत धारणाएं जो मेवाड़, राजस्थान और भारत के संदर्भ में हैं, उन पर तत्काल अधिसूचना जारी की जाए और संशोधन के आदेश जारी किए जाएं जिससे पूरे देश में एक साथ संशोधन हो सके। राजस्थान के इतिहास के बारे में जो गलत नक्शा बताया गया है उसे हटाकर वास्तविक स्थिति जिसमें कि राजस्थान की सारी रियासतें स्वतंत्र थी, यह पढ़ाया जाए।

इसके लिए एक तथ्यात्मक रिपोर्ट तैयार की जा रही है और इसे भारतीय इतिहास संकलन योजना के केन्द्रीय नेतृत्व को भी भेजकर राष्ट्रीय स्तर पर एनसीईआरटी की पुस्तकों में तथ्य सुधार का प्रयास किया जाएगा। 

 


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