बुराई को खुद में ओर अच्छाई को दुसरों में तलाश करेंःआचार्य ज्ञानचंद

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12 Aug 25
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बुराई को खुद में ओर अच्छाई को दुसरों में तलाश करेंःआचार्य ज्ञानचंद

उदयपुर। अरिहंत भवन उदयपुर चातुर्मासरत जैनाचार्य ज्ञानचंद्र महाराज ने कहा कि हमें बुराई को खुद में ओर अच्छाई को दुसरों में तलाश करनी चाहिए। आप अपने दिनचर्या पर ध्यान लगाइए।  आपके कान क्या सुनना पसंद करते हैं।
उन्होंने हक़िकत यह है कि सामने वाला आपकी झूठी प्रशंसा भी कर रहा हो और दूसरों की झूठी निंदा भी कर रहा हो तो आपको उसे सुनने में रस आता है। सीमा से अतिरेक स्थिति में अपनी प्रशंसा सुनना भी खतरे का कारण बन जाती है।
इसलिए जब भी आपके लिए कोई अच्छा बोलता है तो उस वक्त सोचिए अपने में कमी क्या है। कमी का ध्यान आते ही, आपकी आत्मा हल्की होती जाएगी। गलती का सुधार होने पर तो आत्मा पूरी तरह शुद्ध हो जाती है। जिस दिन अपना विरोध सुनने की क्षमता आ गई,आपका विकास होना शुरू हो जाएगा।
संत भगवंतो में बहुत गुण होते हैं। तपस्वी, वक्ता, विद्वान्, क्रियाधारी सब होंगे, पर उनमें भी एक मोटी कमी पाई जाएगी। वो अपनी प्रशंसा सुनने के इच्छुक अधिक मिलेंगे। लेकिन जिसने विरोध सुनकर सुधार किया, वह भगवान हो गया। महासती मृगावती, इंद्रभूति गौतम का नाम शास्त्र के पृष्ठों पर अंकित है।
आदर्श त्यागी सुदर्शन मुनि महाराज के 36 की तपस्या के पूर के उपलक्ष में निम्न 14 महानुभावों स्नेहलता कोठारी,अमरचंद मेहता,प्रमिला मेहता, विजयलक्ष्मी मुरड़िया,प्रेमलता लोढ़ा, मीनू छाजेड़,नूतन कोठारी, मंजू मेहता, श्याम सुंदर छाजेड़़, भावना सहलोत, आरती मेहता, भोपाल रांका
हर्षिता संचेती, अनुपमा मेहता ने मासखमण’ करने का संकल्प लिया। आज तप को लेकर महिलारत्न आशा और रचिता ने सुंदर एकांकी प्रस्तुत किया।


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