ट्रेंड्स ऑफ ट्रांसफॉर्मेशन इन ऑन्कोलॉजी’ सम्मेलन का दूसरा दिन

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23 Aug 25
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ट्रेंड्स ऑफ ट्रांसफॉर्मेशन इन ऑन्कोलॉजी’ सम्मेलन का दूसरा दिन

उदयपुर, कैंसर के उपचार में दुनियाभर में नवीन आविष्कार हो रहे हैं और डेली प्रेक्टिस में इसके सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। नवीन चिकित्सा तकनीकों और पारम्परिक उपचार विकल्पों के सामन्जय को लेकर उदयपुर में कैंसर रोग विशेषज्ञों की अन्तरराष्ट्रीय कांफ्रेस में कई नये और सकारात्मक विचार सामने आ रहे हैं। पैसिफिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, पारस हेल्थ और कैंसर रिसर्च एंड स्टैटिस्टिक फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में चल रहे तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन ट्रेण्ड्स ऑफ ट्रांसफोर्मेशन इन ऑन्कोलॉजी का दूसरा दिन ज्ञानवर्धक और नवाचार से परिपूर्ण रहा। सम्मेलन के चौयरमेन डॉ. मनोज महाजन के नेतृत्व में, देश-विदेश के विशेषज्ञों ने कैंसर उपचार में सेलुलर थेरेपी, लिक्विड बायोप्सी और इम्यूनोथेरेपी के नवीनतम आयामों पर प्रकाश डाला।
सम्मेलन चौयरमेन डॉ. मनोज महाजन ने बताया कि दूसरे दिन की प्रमुख गतिविधियों में स्तन कैंसर में सेलुलर थेरेपी पर चर्चा की गयी। यहां ट्रीपल नेगेटिव और एचईआर 2 ब्रेस्ट कैंसर में कार टी और ट्यूमर इनफिलट्रेटिंग लिम्फोसाइट्स थेरेपी के अनुसंधानात्मक प्रयोगों पर से चर्चा हुई।
विशेषज्ञों ने सरक्लूटिंग ट्यूमर डीएनए की भूमिका को मीनिमल रेजिड्ल डिजिज की निगरानी और उपचार प्रतिक्रिया में महत्वपूर्ण बताया। यहां मेटास्टेटिक स्तन कैंसर पर सीटीडीएन की उपयोगिता पर भी गहन चर्चा हुई।
डॉ. आशय कर्पे ने फेफड़ों के कैंसर के इलाज में नवाचार विषय पर बोलते हुए नॉन स्मॉल सैल लंग कैसर और स्मॉल सैल लंग कैसर में कार टी और टीसीआर थेरेपी के प्रयोगों को प्रस्तुत किया है और कहा कि बढ़ते कैंसर रोगियों और रोग की जटिलता को देखते हुए यह उपयोगी साबित हो सकते हैं। यहां डॉ. कर्पे ने सरक्लूटिंग ट्यूमर सेल्स और सीटीडीएनए के माध्यम से डायग्नोज, एमआरडी ट्रेकिंग और प्रतिरोध की पहचान पर जोर दिया। एनसीसीएन/एएससीओ गाइडलाइन के अनुसार लिक्विड बायोप्सी की तुलना पारंपरिक टिशू बायोप्सी से की गई।
डॉ. मनोज महाजन ने कार टी यूनिट की स्थापना पर जोर दिया और काननी आवश्यकताएं, इंफ्रास्ट्रक्चर संबंधी जरूरतें, टीम का सहयोग और सेल प्रोसेसिंग लैब कॉर्डिनेशन जैसे पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की, उन्होंने अपने व्याख्यान में वित्तीय, काननी और नैतिक जिम्मेदारियों पर भी गहन चर्चा करते हुए, इन बातों को ध्यान में रखना आवश्यकत बताया।
जापान से आए डॉ. गुयेन दुय सिन्ह, टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल मुम्बई से अनुभव प्राप्त डॉ.विजय पाटिल ने हेड एंड नेक कैंसर में एचपीवी रिलेटेड और नॉन एचपीवी ट्यूर्म्स में कार टी, नेचुरल किलर सेल थेरेपी की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने बीमारी वापस होने के लक्षणों और जाचों पर भी विचार रखे।
डॉ.सौरभ शर्मा ने रिनेल सेल कार्सिनोमा को लक्षित करने वाली कार टी, टीसीआर और एनके सेल थेरेपी की समीक्षा की, उन्होनें आरएनए सिग्नेचर, एक्स्ट्रासेल्युलर वेसिकल्स और सीटीडीएन के माध्यम से रोग की निगरानी और प्रतिरोध की पहचान पर विचार प्रस्तुत किये।
डॉ. मनोज महाजन ने प्रोस्ट्रेट कैंसर को लक्षित करने वाली कार टी और टीसीआर थैरेपी पर चर्चा की, साथ ही उन्होंने कहा कि गांवों में प्रोस्ट्रेट कैंसर के कई मरीज हैं जो समय पर जांच नहीं करवाते हैं और लक्षणों को नजरअंदाज करते हैं इस कारण उन्हें समस्याओं का सामना करना पड़ता है। समय पर डायग्नोज होने पर उपचार में सफलता प्राप्त होने की संभावना अधिक होती है।
डॉ.सौरभ शर्मा ने बताया कि पहले दिन कार टी सैल थेरेपी पर केंद्रित रहा, जिसमें डीएलबीसीएल, ऑल और एमएम में स्वीकृत कार टी उपचार,वास्तविक दुनिया के आंकड़े बनाम क्लिनिकल ट्रायल्स,बायोमार्कर आधारित उपचार और रोगी चयन पर स्वीकृत कार टी उपचारों की समीक्षा की गई।


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