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बड़ी झील पर बढ़ते  प्रदूषण से  महाशीर मछली पर संकट

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04 Aug 24
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बड़ी झील पर बढ़ते  प्रदूषण से  महाशीर मछली पर संकट

उदयपुर ,  पारिस्थितिक तंत्र की दृष्टि से विश्व की महत्वपूर्ण झील  बड़ी  तालाब पर  प्रदूषण  बढ़ रहा है। इसे रोका नहीं गया तो झील की महाशीर मछली  का जीवन संकट  पड़ जायेगा । रविवार को आयोजित झील संवाद में इस पर गहरी चिंता व्यक्त की गई। संवाद में बड़ी झील को "इको सेक्रेड",  अर्थात  "पर्यावरणीय पवित्र झील"  घोषित करने की मांग की गई। 


संवाद में महाशीर कंजरवेशन रिजर्व मॉनिटरिंग कमिटी के सदस्य झील संरक्षण समिति के डॉ अनिल मेहता ने कहा कि  राज्य सरकार द्वारा बड़ी झील को  महाशीर कंजरवेशन रिजर्व घोषित किया हुआ है। साथ ही यह झील सज्जनगढ़ के इको सेंसिटिव जोन का भी हिस्सा है। ऐसे में इसे मानवकृत प्रदूषण से रोकना बहुत जरूरी हैं।  झील सीमा में   खाद्य सामग्री,स्नेक्स ,शराब  सेवन  तथा   पूरे क्षेत्र में  पॉलिथिन व डिस्पोजेबल प्लास्टिक उपयोग को पूर्ण  प्रतिबंधित  कर देना चाहिए । मेहता ने कहा कि  यदि  प्लास्टिक व अन्य प्रदूषक कचरा  झील में जाने से नहीं रोका गया तो महाशीर   मछली के चयापचय, विकास और प्रजनन  पर दुष्प्रभाव पड़ उनके जीवन पर संकट आ जायेगा।

झील विकास प्राधिकरण के पूर्व सदस्य तेज शंकर पालीवाल ने दुख  जताया कि ऐतिहासिक व पर्यावरणीय रूप से हमारी  महान विरासत बड़ी झील में वाहन उतार उनकी   धुलाई  हो रही है।   जबकि वाहनों का तेल, ग्रीस इत्यादि  झील में प्रकाश व हवा के प्रवाह को रोक देता है ।पालीवाल ने कहा कि किनारों की सड़कों पर भारी मात्रा में कचरे का विसर्जन है। मृत पशु विसर्जित किए जा रहे है। यह सभी  झील  व जलीय जीवों के स्वास्थ्य  के लिए घातक  हैं।

गांधी मानव कल्याण समिति के निदेशक नंद किशोर शर्मा ने कहा कि    किनारों पर बारह  से पंद्रह स्थान ऐसे हैं जहां खाने पीने की स्टालों  से भारी मात्रा में कचरे का विसर्जन हो रहा है।झील के आसपास  की पहाड़ियों पर तक कचरा  विसर्जन है। बरसाती प्रवाह के साथ  बह यह कचरा झील में समाहित हो जायेगा व प्रदूषण को बढ़ाएगा। 

अभिनव संस्थान के निदेशक कुशल रावल ने कहा कि  बड़ी का पारिस्थितिकी तंत्र हिमालयी तन्त्र के सदृश्य  है। ऐसा माना जाता है कि  कभी हिमालय की पारिस्थितिकी पर संकट आया तो बड़ी झील एक ' जीन बैंक " साबित होगी।  ऐसे में  इस महत्वपूर्ण झील को    गंदा करना एक गंभीर  अपराध है  ।  

झील प्रेमी द्रुपद सिंह, मोहन सिंह व रमेश चंद्र राजपूत ने कहा कि झील पर  प्रदूषणकारी गतिविधियों का  बढ़ना  राजस्थान उच्च न्यायालय के निर्देशों की अवेहलना है। प्रशासन को तुरंत झील स्वच्छता, सुरक्षा पर ध्यान देना होगा।  इसके आसपास व किनारों पर व्यावसायिक गतिविधियां रोकनी होगी। 

संवाद में  झील पर जा रहे नागरिकों से  कचरा विसर्जन नही करने की अपील की गई।
 
 संवाद से पूर्व झील पेटे के एक हिस्से से भारी मात्रा में डिस्पोजेबल प्लास्टिक, शराब, पानी की बोतलों व अन्य कचरे को हटाया गया। श्रमदान में भ्रमणार्थियो ने भी हाथ बंटाया।


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