उदयपुर महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के प्रसार शिक्षा निदेशालय द्वारा कृषि विज्ञान केन्द्र प्रदर्शन की समीक्षा करने एवं पहचान बढाने के लिये ब्रेन स्टोर्मिग सत्र् पर एक दिवसीय बैठक सम्पन्न हुई। इस कार्यक्रम के प्रारम्भ में डॉ. एस.एल.मूंदडा, निदेशक प्रसार शिक्षा ने सभी सम्भागीयों का स्वागत किया एवं निदेशालय के द्वारा विगत वर्ष में किये गये गतिविधियों की उपलब्धियां के बारे में बताया।
बैठक की अध्यक्षता एम.पी.यू.ए.टी. के माननीय कुलपति प्रो. नरेन्द्र सिंह राठौड ने की। अपने उद्बोधन में उन्होंने बताया कि प्रत्येक कृषि विज्ञान केन्द्र विशिष्ठ पहचान हेतु अपने क्षेत्र की विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए कार्य को प्रतिपादित करें एवं भविष्य में इनमें क्या सुधार किये जाय इस पर अपने सुझाव दिये। प्रत्येक कृषि विज्ञान केन्द्र अपने उपलब्ध संसाधनों से आय अर्जित करने की कार्य योजना बनावें जिसमें उसके बजट का कम से कम ३० प्रतिशत योगदान होना चाहिये। कृषि को नवाचारों को अपनाने, स्वदेशी तकनीके में सुधार करने, कौशल विकास, जैविक खेती, मछलीपालन को अपनाने, लागत को कम करने, खाद्य प्रसंस्करण, कृषि अभियांत्रिकी को बढावा देने व कृषि विज्ञान केन्द्रों के प्रगतिशील कृषकों व को आगे लाने की आवश्यकता है।
इस अवसर पर निदेशक अनुसंधान डॉ. ए.के.मेहता, डॉ. जे.एल.चौधरी निदेशक डी.पी.एम, अधिष्ठाता-राजस्थान कृषि महाविद्यालय डॉ. अरूणाभ जोशी, सीटीएई डॉ. ए.के.शर्मा, डेयरी एवं खाद्य विज्ञान महाावद्यालय डॉ. वी.डी.मुदगल, मात्स्यिकी महाविद्यालय डॉ. एस.के.शर्मा और समुदाय एवं व्यवहारिक विज्ञान महाविद्यालय, डॉ. ऋतु सिंघवी ने अपने अपने विचार प्रकट किये। इस बैठक में विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्षों ने अपने अपने सुझाव दिये। विश्वविद्यालय की कुल सचिव, श्रीमती कविता पाठक, वित्त नियंत्रक श्री एस.के.सिंह , प्रभारी, कृषि प्रौद्योगिकी सूचना केन्द्र के डॉ. आई.जे.माथुर ने अपने विचार प्रकट किये
इस अवसर पर प्रत्येक कृषि विज्ञान केन्द्र के प्रभारियों ने विगत दो वर्षों की उपलब्धियों की जानकारी दी तथा आगामी तीन वर्ष की कार्य योजनाओ के बारे में बताया।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. लतिका व्यास ने किया। धन्यवाद प्रस्ताव प्रोफेसर पी.सी.चपलोत ने दिया।