उदयपुर पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से शिल्पग्राम में आयोजित तीन दिवसीय शास्त्रीय संगीत और नृत्य समारोह “मल्हार” के आखिरी दिन नोएडा की अनु सिन्हा और उनकी सहनेत्रियों ने कथक में अपनी मोहिनी अदाओं और पद घातों से दर्शकों को रोमाचित करते हुए अपनी प्रस्तुतियों के माध्यम से मल्हार के झरने का आभास करवाया।
शिल्पग्राम के दर्पण सभगार में अनुसिन्हा के कार्यक्रम की शुरूआत प्रथम पूज्य भगवान श्री गणेश की वंदना से हुई।गण्सपति उत्सव के ठीक एक दिन पहले कला रूप में गणे स्तुति दर्शकों द्वारा सराही गई। एक ताल में राग देस में रची स्तुति में भक्ति भाव उत्कृष्ट ढंग से झलका। इसके बाद गुरू पं. राजेन्द्र गंगानी द्वारा रचित तथा राग मालकौंस में निबद्ध ध्रुपद में नृत्य का लासय और नृत्यांगनाओं की माहिनी छवि दर्शकों के मानस पटल पर अंकित सी हो गइ। ’’शंकर अति प्रचंड, नाचत कर घुघरू बाजत...‘‘ रचना में नृत्यांगनाओं का सामंजस्य और लयकारी श्रेष्ठ बन सकी।
अनु सिन्हा द्वारा अपने दल की सख्यिों झलक, अदिति और स्मिता के साथ प्रस्तुत मल्हार मौसम के अनुकूल प्रस्तुति रही। तीन ताल में निबद्ध इस रचना में आंगिक विन्यासों से ऐसा लगा मानों मल्हार किसी झरने की तरह प्रस्फुटित हुआ हो। इसमें अनुसिन्हा का फुट वर्क और भाव भंगिमाएँ दर्शनीय व मनोरम बन सकी। इसके बाद तीन ताल में निबद्ध रचना ’’गुरू बिन ऐसी कौन करे..‘‘ कार्यक्रम की आकर्षक प्रस्तुति बन सकी। अदाकारा अनु सिन्हा ने इसें बाद मीरा बाई का एक भजन ’’थाणै कांई कांई समझावां म्हारा सांवरा गिरधारी..‘‘ में अनु का नृत्याभिनय तथा भाव सम्प्रेषणता ने दर्शकों को अभिभूत सा कर दिया। इसके बाद सरगम में समवेत रूप से नर्तन अल्हादकारी बन सका। अनु सिन्हा के साथ नृत्यांगना स्वीटी गोसाई, अदिति भाद्वाज, स्मिता बंसल, झलक कालरा, भवानी गंगानी, धीरेन्द्र तिवारी व आकाश द्विवेदी ने अपने नृत्य का जौहर दिखाया। प्रस्तुति में गायन पर विजय परिहार, तबले पर निश्थि गंगानी, सारंगी पर ललित सिसोदिया, पंढंत व नृत्य में धीरेन्द्र तिवारी, पखावज व नृत्य में भवानी गंगानी व प्रवीण सिं ने संगत की।
इइसे पूर्व प्रसिद्ध संगीतकार और गजल फनकार डॉ. प्रेम भण्डारी, केन्द्र के प्रभारी निदेशक सुधांशु सिंह और नृत्यांगना अनु सिन्हा ने दीप प्रज्ज्वलित करके कार्यक्रम की शुरूआत की।