उदयपुर। जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन ऑफ राजस्थान (जार), उदयपुर द्वारा मंगलवार को राजस्थान विधानसभा में प्रस्तुत किये जा रहे लोक सेवक संरक्षण संबंधी विधेयक के विरोध में जिला कलेक्टर महोदय को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन प्रस्तुत किया गया। ज्ञापन में बताया गया कि यह विधेयक प्रदेश के अध्याय में काला कानून है तथा यह लोकतंत्र के लिए खतरा भी है।
इस विधेयक से न केवल लोकतंत्र कमजोर होगा वरन राजस्थान में भ्रष्ट्राचार को बढावा मिलेगा तथा किसी भी दागी लोक सेवक को यह एक प्रकार से बचाने के लिए सुरक्षा कवच का काम करेगा। यह विधेयक भारतीय संविधान भी भावना के अनुकूल न होने के कारण अनैतिक व असंवैधानिक है। राजस्थान सरकार की ओर से जिस प्रकार इस विधेयक को पेश करने में जल्दबाजी दिखायी गयी है उससे सरकार की मंशा पर ही सवालिया निशान लग गये है तथा प्रदेश में सरकार के खिलाफ जबर्दस्त आक्रोश प्रदेश भर में समाचार पत्रों में ही दिख रहा है।
सरकार अपने आप को लोककल्याणकारी व संवेदनशील होने का दावा करती है तो इस प्रकार के विधेयक का कोई औचित्य नहीं है। हां यह सही है कि विधानसभा में राज्य सरकार के पास बहुमत है पर इसका मतलब यह तो नहीं कि प्रदेश की जनता की भावना के प्रतिकूल कोई विधेयक वहां पर आनन फानन में पास कर कानून बना दिया जाये। अगर ऐसा होता है तो यह आपातकाल के समय की याद दिलायेगा।
राजस्थान में पत्रकारों का सबसे बडा प्रतिनिधि संगठन होने के नाते जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन ऑफ राजस्थान (जार) ने प्रदेश के सभी पत्रकारों के संगठनों से रायशुमारी करके इस विधेयक का हर स्तर पर विरोध करने का निर्णय लिया है।
ज्ञापन देने वालों में अध्यक्ष डॉ. तुक्तक भानावत, डॉ. रवि शर्मा, कपिल श्रीमाली, संजय खाब्या, मुकेश हिंगड, मोहम्मद इलियास, प्रमोद सोनी, राकेश शर्मा ‘राजदीप’, धीरेन्द्र जोशी, पवन खाब्या, अजयकुमार आचार्य, भूपेश दाधीच, भूपेन्द्रकुमार चौबीसा, प्रकाश मेघवाल, सतीश शर्मा, अविनाथ जगनावत, जमाल खान, संपत बापना, अल्पेश लोढा, विशाल अग्रवाल, राजेन्द्रकुमार पालीवाल, सुरेश लखन, पदम जैन,आमिर शेख, अब्दुल अजीज सिंधी, कैलाश टांक, रामसिंह चदाणा, प्रमोद श्रीवास्तव, शैलेष नागदा, देवीलाल मीणा आदि उपस्थित थे।
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