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जैव विविधता दिवस पर संवाद

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22 May 20
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जैव विविधता दिवस पर संवाद

 जैव विविधता के बचने से ही संक्रामक रोगों पर प्राकृतिक रूप से नियंत्रण हो सकेगा। यह विचार विश्व जैव विविधता दिवस पर आयोजित संवाद में रखे गए। संवाद का आयोजन झील मित्र संस्थान, झील संरक्षण समिति व गांधी मानव कल्याण सोसाइटी द्वारा किया गया। 

संवाद में डॉ अनिल मेहता ने कहा कि मानव जीवन की समस्त समस्याओं का समाधान प्रकृति में है।  कोविड आपदा भी हमे यही संदेश दे रही है कि प्रकृति संरक्षण व प्रकृति मूलक जीवन शैली से ही मानव आपदाओं से मुक्त रह सकता है। मेहता ने कहा कि जैव विविधता को नष्ट करने से ही संक्रामक रोगों सहित अनेक प्राकृतिक व मानवीय आपदाएं जन्म ले रही है।

 डॉ तेज राज़दान ने बताया कि   इस वर्ष के जैव विविधता दिवस को इसीलिए " हमारे समाधान प्रकृति में है " विषय पर केंद्रित किया गया है। उदयपुर सहित पूरे दक्षिणी राजस्थान  की पर्यावरणीय समस्याओं के संदर्भ में " प्रकृति आधारित समाधान " ही एक स्थायी व सतत विकल्प है।

तेज शंकर पालीवाल ने कहा कि अरावली की पहाड़ियों व  जंगल का नाश होने से कई तरह की प्रजातियों के जीव लुप्त हो गयें हैं ।पहाड़ों का कटना, वनो का घटना ,यह जैविक विविधता के लिए हानिकारक हैं ।  हमे इस पर तुरंत ध्यान देना होगा।

 

नंद किशोर शर्मा ने कहा कि झीलों की जैव विविधता पर गंभीर संकट है। अतिक्रमण व प्रदूषण से कई  जलीय प्रजातियां संकट में है। यदि इन विविध जैव प्रजातियों को  नही बचाया गया तो झीलें अपना अस्तित्व खो देगी।

पल्लब दत्ता, दिगम्बर सिंह, कुशल रावल ने कहा कि पहाड़ो व जंगलों में  आग से कई तरह के छोटे जीव खत्म हो रहें हैं ,जिससे जीवो का भोजन चक्र असंतुलित हो रहा है। इस पर नियंत्रण जरूरी है।

 

 

 


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