आज यहां अमेरिकन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज के प्रथम वर्ष में प्रवेश लेने वाले छात्र-छात्राओं की समक्ष उपरोक्त दो नाटिकाओं का मंचन किया गया । 3 दशकों से नशा मुक्ति एवं जल संरक्षण अभियान में लगे वरिष्ठ चिकित्सक डॉक्टर पी सी जैन के निर्देशन में इनका मंचन किया गया।
सर्वप्रथम जल कलश की आरती "ओम जय जलदेव हरे" के साथ कार्यक्रम प्रारंभ किया गया। इसके बाद प्रथम वर्ष के छात्रों द्वारा रचित नाटिका "बर्बाद पानी खत्म कहानी" का मंचन किया गया जिसमें एक फैक्ट्री द्वारा जल प्रदूषण करने पर जनता कैसे विरोध करती है यह दर्शाया गया। जल के प्रति जागरूकता जगाने का इस नाटिका में प्रयत्न किया गया। इसके बाद डॉक्टर पी सी जैन द्वारा अपनी पीपीटी के माध्यम से दैनिक जीवन जल बचाने तथा वर्षा काल में अपने अपने भूमि जल स्रोत को रिचार्ज करने की विधियां बताइ। भावी चिकित्सकों को जल जनित बीमारियों के बारे में भी जानकारी दी। इसके बाद छात्र-छात्राओं ने किस तरह अदृश्य जल गेहूं ,चावल, जींस, कुर्ता, साड़ी, टी-शर्ट, चॉकलेट, मोबाइल फोन इत्यादि को बनाने में खर्च होता है इसका प्रदर्शन किया और संदेश दिया कि हमें इनका अनावश्यक वह अति उपयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि हम अनजाने ही जल को समाप्त कर रहे होते हैं।
इसके बाद डॉक्टर पीसी जैन द्वारा रचित "नशे के 12 हाथ" नाटिका के मंचन में दिखाया गया कि यह 12 हाथ हर तरह के नशे की ओर ले जाने में सहायक होते हैं और के हाथ फिर नशे में जकड़ लेते हैं। अतः अभी से इसे बचकर रहना चाहिए। आपके नशे करने पर जो हमसे सबसे अधिक प्यार करते हैं हमारे माता-पिता उन्हें ही हम सबसे अधिक पीड़ा पहुंचाते हैं। डॉक्टर पी सी जैन आज सबसे अधिक बढ़ते मोबाइल एडिक्शन की चर्चा करते हुए कहा कि इससे व्यवहार में आक्रामकता बढी है, संवाद हीनता, घरेलू अपराध, मोटापा, नेत्र रोग जैसे मायोपिया , मस्तिष्क मे ड्रग्स जैसे प्रभाव होते हैं। अतः प्रतिदिन "डिजिटल फास्ट" करके और दूसरी एक्टिविटीज करके अपने आप को इसके दुष्प्रभावों से बचाना चाहिए।
अपने किसी भी मित्र या सीनियर के कहने पर हर प्रकार के नशे के लिए ना करना चाहिए। उन्होंने अपनी पी पी टी के माध्यम से महिला एवं पुरुष पर पड़ने वाले शराब, अफीम, तंबाकू, गांजा , स्मैक इत्यादि हर तरह के नशे का स्त्रियों के शरीर पर शारीरिक बनावट के कारण अधिक प्रभाव होते हैं जो आगे आने वाली जनरेशन मैं भी जाते हैं।
बर्बाद पानी ,खत्म कहानी
छात्रों द्वारा रचित इस नाटिका में एक फैक्ट्री द्वारा प्रदूशीत भूजल के लिए नारे लगाते हुए दिखाया गया है और फैक्ट्री मालिक को इस हेतु आगाह किया गया है कि वह भूजल को प्रदूषित न करें।
इनविजिबल ,अदृश्य जल
इसमें छात्र-छात्राओं ने जो जल हमें दिखाई नहीं देता पर खर्च होता है इसके बारे में सभी को बताया, जैसे 1 किलो चॉकलेट बनाने में 17500 लीटर पानी खर्च होता है, साड़ी बनाने में, जींस बनाने में, टी शर्ट बनाने में कितना ही पानी खर्च हो जाता है उसके बारे में जागरूक किया और बताया कि अनावश्यक इन वस्तुओं को नहीं खरीदें।
कार्यक्रम के अंत में नशा गीत नशा नृत्य सबने मिलकर गरबा करते हुए गाया।
डीआर पीसी जैन ने कहा कि मेडिकल में एडमिशन होने पर खुशी के आंसू आपके माता-पिता के आए होंगे पर नशे के चपेट में आकर क्या आप अपने माता-पिता के दुख के आंसू लाना चाहोगे? इस पर सभी छात्र-छात्राओं ने एक स्वर से कहा कि हम किसी भी नशे की चपेट में कितने भी आग्रह पर नहीं आएंगे।
कार्यक्रम का संयोजन राहुल शर्मा ने किया एवं धन्यवाद प्रिंसिपल विनय जोशी ने ज्ञापित किया।
नाटक मे जाहन्वी काखानी, अदित्री रोहतगी, शाकिब अली, तनिष्क जैन,कृष टेलर, युविका डाटा, नेहल सुहालका, शिखर झारवाल, प्रेम परिहार सम्मिलित हुई।