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मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को रोकने में

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04 Jan 18
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मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को रोकने में झालावाड़ । मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को रोकने में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं बीपीएम की प्रमुख भूमिका है। यह बात अतिरिक्त जिला कलक्टर ने बुधवार को मिनी सचिवालय के सभागार में आयोजित प्रधानमंत्री मातृ वन्दना योजना की कार्यशाला में कही।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मातृ वन्दना योजना महिलाओं को केन्द्र में रखकर बनाई गई है। इसके लिए सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं बीपीएम अपने संबंधित क्षेत्र की महिलाओं को जागरूक करें और उन्हें गर्भावस्था एवं प्रसव के पश्चात् माँ और शिशु की बीमारी से रक्षा हेतु सभी टीके एवं जांच करवाया जाना सुनिश्चित करवाएं।
महिला एवं बाल विकास विभाग के सीडीपीओ डॉ. जीएम सैय्यद ने कार्यशाला में प्रधानमंत्री मातृ वन्दना योजना की जानकारी देते हुए बताया कि उक्त योजना का मुख्य उद्देश्य गर्भवती महिलाओं को मजदूरी के आंशिक क्षतिपूर्ति के रूप में नकद प्रोत्साहन प्रदान करना है ताकि प्रथम बच्चे के प्रसव से पूर्व एवं पश्चात् उन्हें पर्याप्त आराम मिल सके तथा नकद प्रोत्साहन के माध्यम से गर्भवती महिलाओं एवं धात्री माताओं के स्वास्थ्य संबंधी व्यवहारों में सुधार हो सके। उन्होंने बताया कि सर्वे के अनुसार भारत में करीब 33 प्रतिशत महिलाएं कुपोषित हैं। गर्भावस्था के दौरान खून की कमी के कारण उन्हें एनिमिया की शिकायत हो जाती है। खून की कमी की पूर्ति करने हेतु भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 1 जनवरी 2017 से प्रधानमंत्री मातृ वन्दना योजना की शुरूआत की गई ताकि मातृ शक्ति को पोषक आहार गर्भावस्था तथा प्रसव के पश्चात् मिल सके।
उन्होंने बताया कि योजना के अन्तर्गत प्रथम किश्त के रूप में 1000 रुपए सक्षम अधिकारी द्वारा प्रमाणित ममता कार्ड के माध्यम से दिए जाएंगे। जिसके लिए गर्भावस्था का पंजीकरण एलएमपी की तिथि के 150 दिनों के अन्दर होना आवश्यक है। द्वितीय किश्त के रूप में 2000 रुपए भी सक्षम अधिकारी द्वारा प्रमाणित ममता कार्ड के माध्यम से दिए जाएंगे। जिसका दावा गर्भावस्था के छः माह पूर्ण होने पर ही किया जा सकेगा। उन्होंने बताया कि योजना में तृतीय किश्त के रूप में 3000 रुपए सक्षम अधिकारी द्वारा जारी जन्म प्रमाण-पत्र की छायाप्रति एवं ममता कार्ड टीकाकरण विवरण के माध्यम से दिए जाएंगे। जिसके लिए बच्चे के जन्म का पंजीकरण एवं रोगों से बचाव के लिए बीसीजी, डीपीटी, ओपीवी एवं हेपेटाइटिस-बी के टीके लगवाना आवश्यक होंगे। उन्होंने योजना में आवेदन की प्रक्रिया से अवगत कराते हुए जानकारी दी कि योजना अन्तर्गत मातृत्व लाभ हेतु किश्त की राशि प्राप्ति के लिए आवेदन आंगनबाड़ी केन्द्र पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका को जमा कराना होगा। उन्होंने बताया कि योजना के अन्तर्गत पात्र लाभार्थियों को योजना के मापदण्डों एवं शर्तों को पूर्ण करने पर सशर्त मातृत्व लाभ की किश्त का भुगतान लाभार्थियों के खाते में किया जाएगा। इस योजना का लाभ राज्य कर्मचारी एवं उसके परिजनों को देय नहीं है।
इस दौरान सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता विभाग के सहायक निदेशक गौरीशंकर मीणा ने विभाग द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं की जानकारी महिलाओं को दी। कार्यशाला में जिला रसद अधिकारी प्रतिभा देवठिया सहित आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं बीपीएम उपस्थित रहे।
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