उदयपुर। उदयपुर के चित्रकूट नगर स्थित रॉकवुड्स इंटरनेशनल स्कूल ने आईआईटी एवं स्टैनफोर्ड ग्रैड्स के एआई पाठ्यक्रमों को शुरू करने के लिए क्लोन फ्यूचरा के साथ हाथ मिलाया है। इससे यह 10 वर्ष से अधिक की उम्र के छात्रों के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) पाठ्यक्रम शुरू करने वाला उदयपुर का पहला निजी स्कूल बन गया है। अग्रणी एडटेक स्टार्टअप क्लोन फ्यूचरा ने स्टैनफोर्ड ग्रैड्स और आईआईटी एलुमनी के इन पाठ्यक्रमों को क्यूरेट किया है। पहली बार स्कूल आने वाले छात्र 3 महीने की अवधि में मशीन लर्निंग, डेटा साइंस और पायथन जैसे विभिन्न विषय सीखेंगे। इस अवधि के दौरान छात्र वास्तविक दुनिया की समस्याओं को हल करने और सामाजिक प्रभाव पैदा करने के लिए लाइव परियोजनाओं पर काम करेंगे। विकसित की गई सर्वश्रेष्ठ परियोजनाओं को उच्चतर-उन्नत पाठ्यक्रमों के लिए छात्रवृत्ति दी जाएगी और उन्हें आगामी कई आईआईटी टेक फेस्ट में प्रदर्शित किए जाने का अवसर मिलेगा।
रॉकवुड्स इंटरनेशनल स्कूल के निदेशक दीपक शर्मा ने कहा कि एआई पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए क्लोन फ्यूचरा के साथ जुड़कर हम बहुत खुश हैं। हमारा यह गठबंधन स्कूल के छात्रों को भविष्य को आकार देने वाली तकनीकों से अच्छी तरह वाकिफ कराएगा। कृत्रिम बुद्धिमत्ता, डेटा एनालिटिक्स जैसी तकनीकों और वैश्विक स्तर पर भारी प्रभाव डालने वाले विशाल डेटा के साथ यह बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है कि स्कूली छात्र नवीनतम घटनाक्रम के प्रति सचेत बने रहें। रॉकवुड्स इंटरनेशनल स्कूल की प्रिंसिपल डॉ. वसुधा नील मणि ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस वक्त की जरूरत है। यह स्कूलों का कर्तव्य है कि वे तकनीक के अनुप्रयोग और उसकी सकारात्मकताओं से छात्रों को लैस करें। राजस्थान में इसको संस्थापित करके और बच्चों को आईआईटी वालों से विश्वसनीय परामर्श प्राप्त करने का अवसर देकर हमें गर्व हो रहा है।
क्लोन फ्यूचरा की सीईओ विदुषी डागा ने कहा कि एआई पाठ्यक्रमों के संयोजन और उनको प्रारंभ करने का विचार बच्चों को कम उम्र में ही उन्नत तकनीकों के बारे में जागरूक बनाने, उन्हें भविष्य के लिए तैयार करने और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने लायक बनाने की इच्छा से उपजा है। ध्यान रहे कि बच्चे छह साल की उम्र से ही कोड करना सीखने लगते हैं। उन्होंने कहा कि बच्चों की जिंदगी में तकनीक बहुत बड़ी भूमिका निभा रही है। अब आप बच्चे से गैजेट दूर नहीं कर सकते। इसलिए एआई वाले गैजेट्स पर बच्चे का समय बिताना उसे सकारात्मक परिणामों की ओर ले जाता है। एआई अब स्मार्टफोन, स्मार्ट कार, सोशल मीडिया फीड, ड्रोन, वीडियो गेम, नेविगेशन तथा ट्रैवल, बैंकिंग व वित्तीय सेवाओं के माध्यम से हमारे रोजमर्रा के जीवन का एक हिस्सा बन गई है, जिसके कारण इसे सीखना अपरिहार्य हो चुका है। दुनिया भर में एआई से काम लेने वाले एज्यूकेशन सेक्टर के 2021 तक 47.5 प्रतिषत बढ़ जाने की उम्मीद है।