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श्रीमद जिनेन्द्र पंचकल्याणक प्रतिष्ठा प्राण महामहोत्सव का तीसरा दिनं

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03 May 23
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श्रीमद जिनेन्द्र पंचकल्याणक प्रतिष्ठा प्राण महामहोत्सव का तीसरा दिनं

श्रीमद जिनेन्द्र पंचकल्याणक प्रतिष्ठा प्राण महामहोत्सव,राज्याभिषेक, दीक्षा विधि संस्कार एवं दिगम्बर जैन महासभा के हुए आयोजन
उदयपुर। सकल दिगम्बर जैन समाज की ओर से आयोजित श्रीमद जिनेन्द्र पंचकल्याणक महा महोत्सव के अवसर पर बुधवार को चक्रवती की दिग्विजय यात्रा के वर्धमान सभागार पहुंचने पर वात्सल्य वारिधि आचार्यश्री वर्धमान सागर महाराज ससंघ के सानिध्य में राज्याभिषेक व दीक्षाविधि संस्कार का आयोजन जयकारों के बीच किया गया।
पंचकल्याणक प्रतिष्ठा प्राण महामहोत्सव के तीसरे दिन चक्रवर्ती की दिग्विजय यात्रा गाजे-बाजे के साथ निकाली गई।बैड की मधुर ध्वनियों के बीच निकली यात्रा के दौरान जैन समाज के लोगों ने नृत्य करते हुए खुशियां मनाई।  
वात्सल्य वारिधि आचार्यश्री वर्धमान सागर महाराज ससंघ के सानिध्य में जयकारों के बीच भगवान के माता-पिता ने संहितासूरि पंडित हंसमुख जैन धरियावद के मंत्रोच्चार के बीच तीर्थंकर बालक का राज्याभिषेक करवाया गया। बाद में वैराग्य दर्शन व तीर्थंकर महाराज का गृह त्याग का मंचन किया गया।  आचार्यश्री के सान्निध्य में दीक्षा विधि संस्कार, तपकल्याणक पूजा व हवन का आयोजन किया गया।
संचित पुण्यों से मिलता तीर्थंकररूपी कर्म का फल- आचार्य वर्धमान सागर
श्रीमद जिनेन्द्र पंचकल्याणक प्रतिष्ठा प्राण महामहोत्सव के तहत वर्धमान सभागार में आयोजित प्रवचन सभा में आचार्य वर्धमानसागर महाराज ने कहा कि तीर्थंकर राजकुमार भोगों से विरक्त होकर ,संयम की ओर कदम बढ़ाएं,दीक्षा धारण की, साधक बने और आत्म साधना में लीन होकर महामुनिराज ऋषभदेव ध्यान मग्न हुए छह माह की साधना की। मुनियों की आहार चर्या बताने के लिए वह आहार पर उठे,संसारी प्राणी की तरह श्री ऋषभदेव महामुनिराज को भी कर्म बंघ था अंतराय कर्म के उदय से 6 माह तक आहार नहीं हुआ क्योंकि श्रावक आहार विधि नहीं जानते थे। बिहार करते हुए जब ऋषभदेव महामुनिराज हस्तिनापुर गए तब राजा श्रेयांश को पूर्व भव का जाति स्मरण हुआ और पिछली आहार चर्या नवधा भक्ति याद आई तब उन्होंने ऋषभदेव महामुनि राज को नवधा भक्ति से आहार दिया।
ब्रह्मचारी गजू भैय्या राजेश पंचोलिया के अनुसार आचार्य श्री ने प्रवचन में बताया कि ऋषभदेव महामुनिराज  जन्म से मति ज्ञान श्रुतज्ञान, तथा अवधिज्ञान के धारी होते हैं। तथा जब मुनिराज बनते हैं तब उन्हें मंनपर्यय ज्ञान भी हो जाता है। नीलांजना की मृत्यु को देखकर राजा ऋषभदेव को वैराग्य हुआ दीक्षा के बाद  अंतरंग एवं बहिरंग तप के द्वारा ध्यान करते हुए कर्मों की निर्जरा कर केवल ज्ञान प्राप्त करेंगे  ।
20 वी सदी में उसी मार्ग का अनुसरण कर निर्वाह आगम अनुसार निर्दाेष चर्या का पालन कर प्रथमाचार्य श्री शांति सागर जी ने सन 1920 में मुनि दीक्षा ली। सन 1924 में आचार्य बने ।वर्ष 2024 को आचार्य पद का शताब्दी वर्ष अखिल भारतीय स्तर पर महासभा आयोजन कर रही हैं अनुकरणीय प्रयास के लिए आशीर्वाद। आचार्य श्री ने बताया कि आचार्य शांति सागर ने धर्म संस्कृति की रक्षा के लिए 1105 दिनो तक आहार में अन्न का त्याग किया।जिनवाणी का संरक्षण कराया।आचार्य श्री ने समाज को जागरूक एवम् संगठित होकर सभी को जनगणना,शिक्षा,तीर्थ रक्षा तथा आचार्य श्री के यश कीर्ति के गुणानुवाद  करने की प्रेरणा दी

आचार्य श्री के  मंगल देशना के पूर्व संघस्थ शिष्या आर्यिका श्री महायशमति माताजी के प्रवचन हुए ।प्रवचन में उदयपुर के पुण्य की सराहना कर बताया कि  यह आयोजन केवल सर्व ऋतु विलास मंदिर का नहीं होकर संपूर्ण उदयपुर नगरी का है ।उदयपुर नगरी न केवल झीलों की नगरी है वरन धर्म की नगरी है। पंचकल्याणक का महत्व बताते हुए माताजी ने बताया कि पंचकल्याणक पाषाण को भगवान बनाने की क्रिया है यह अनुष्ठान प्रेरणा देता है कि हमें धार्मिक क्रियाओं पालन करना चाहिए।
पंचकल्याणक आत्मा को परमात्मा बनाने , पतीत को पावन बनाने, तीर्थंकर प्रभु की  कथा सुनने और धर्म की महिमा बताने का माध्यम है। पंचकल्याणक में अभी तक आपने गर्भ कल्याणक और  जन्म कल्याणक देखा है। आज दीक्षा  तप कल्याणक होगा, कल केवल ज्ञान कल्याणक  और अंतिम दिवस मोक्ष कल्याणक होगा पंचकल्याणक से आपको छोटे-छोटे नियम लेकर जीवन को धर्म पर मार्ग पर चलने के लिए प्रयास करना चाहिए इसके लिए छोटे बच्चों को संस्कारित करना बहुत जरूरी है।
वात्सल्यमय जीवन दर्शन प्रदर्शनी 5 मई तकआमजन के लिए भी सुबह 8 से रात्रि 9 बजे तक खुली रहेगी श्रीमद जिनेन्द्र पंचकल्याणक प्राण प्रतिष्ठा महा महोत्सव के तीसरे दिन बुधवार को विभिन्न कार्यक्रम हुए।  जन्मकल्याणक के तहत प्रतिष्ठाचार्य संहितासूरि हंसमुख जैन के निर्देशन में प्रातः  जिनाभिषेक  एवं नित्यार्जन और बाल क्रीडा का आयोजन किया गया। वर्धमान सभागार में वात्सल्य वारिधि आचार्य वर्धमान सागर महाराज ससंघ के मंचासीन होने के बाद चित्र अनावरण दिगम्बर जैन महासभा के पदाधिकारियों द्वारा किया गया। दीप प्रवज्जलन एवम् शास्त्र भेंट करने सौभाग्य सेक्टर 11 पंच कल्याणक प्रतिष्ठा समिति  को मिला वही पाद प्रशालन करने का सौभाग्य डागरिया परिवार को प्राप्त हुआ।
सेक्टर 11 में 21 मई से 25 मई तक होने वाली पंच कल्याणक पत्रिका का आचार्य श्री ने विमोचन किया-शास्त्र सभा के बाद स्थानीय महिलाओ द्वारा आचार्य वर्धमान सागर गौरव गाथा  सुंदर नाटिका मंचन को देखने के लिए जैन समाज के लोगों का सैलाब उमड़ा।
हि.म.से.11 के अध्यक्ष रोशनलाल गतावत ने बताया कि आचार्यश्री ने सेक्टर 11 में पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव की स्वीकृति प्रदान की। प्रतिष्ठा महोत्सव आलोक स्कूल सेक्टर 11 में होगा। इस दौरान भंवर मुंडलिया, पारस चित्तौड़ा, राजेश देवड़ा सहित सेक्टर 11 के प्रतिनिधि उपस्थित थे। इस अवसर पर प्रतिष्ठा महोत्सव समिति अध्यक्ष्र राजेश बी.शाह, महामंत्री प्रकाश सिंघवी, विनोद ंकंठालिया सहित अनेक पदाधिकारी मौजूद थे।


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