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फिजूलखर्ची रोकने और परंपराओं को सार्थकता से निभाने का आह्वान 

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16 Oct 25
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फिजूलखर्ची रोकने और परंपराओं को सार्थकता से निभाने का आह्वान 

मंथन कार्यक्रम में जीवन संतुलन और संवाद का संदेश गूंजा

-डॉ. नम्रता बियानी और गीता मूंदड़ा ने दिए आत्मनियंत्रण, संवाद और सकारात्मकता के सूत्र

उदयपुर। संवाद, संतुलन और सह-अस्तित्व की भावना ही समाज की वास्तविक प्रगति का आधार है। और समाज की प्रगति तभी संभव है जब समाज की प्रथम इकाई हर परिवार-हर व्यक्ति की प्रगति हो। इस प्रगति में यदि बाधा बन रहा है तो यह है दिखावा और दिखावे के चलते फिजूलखर्ची। समाज के हर जिम्मेदार को दिखावे पर नियंत्रण रखते हुए कथनी और करनी में एकरूपता लाने के लिए संकल्परत होना होगा।

यह बात उदयपुर नगर माहेश्वरी युवा संगठन व माहेश्वरी फ्रेंड्स समिति के संयुक्त तत्वावधान में रविवार को यहां भुवाणा स्थित महेश सेवा संस्थान में आयोजित मंथन-समस्या से समाधान तक अभियान का द्वितीय अध्याय में वक्ताओं ने कही। ‘बंधन या बोझ - अंतरमन की पीड़ा खुशी या कसक’विषय पर वक्ताओं ने समाज में टूटते परिवार, दिखावे की होड़ आदि विषयों पर विचार रखे।

मुख्य वक्ता अखिल भारतीय माहेश्वरी महिला संगठन की पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष गीता मूंदड़ा ने कहा कि जीवन को आसान बनाना पड़ता है - कुछ बातों को आत्मसात कर, कुछ को नजरअंदाज कर। उन्होंने पारंपरिक रीति-रिवाजों और मांगलिक आयोजनों को आधुनिक जीवनशैली के साथ जोड़ने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि फिजूलखर्ची और दिखावे पर नियंत्रण रखते हुए, कथनी और करनी में एकरूपता लाना ही सच्ची संस्कृति है।

अष्ट सिद्धा समिति की राष्ट्रीय प्रभारी डॉ. नम्रता बियानी ने अपने प्रेजेंटेशन “Me and We Time” में जीवन में आत्मसंतुलन और रिश्तों के लिए समय निकालने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि अपने और अपनों के लिए समय का संतुलन बनाए रखना बेहद आवश्यक है। उन्होंने मोबाइल उपवास का सुझाव देते हुए बताया कि इससे आत्मनियंत्रण बढ़ता है और रिश्तों को समय देने का अवसर मिलता है। उन्होंने कृतज्ञता की भावना अपनाने और आरोप-प्रत्यारोप से दूर रहकर केवल सकारात्मकता फैलाने का आग्रह किया।

उदयपुर नगर माहेश्वरी युवा संगठन के अध्यक्ष मयंक मूंदड़ा ने बताया कि अध्यक्षता करते हुए जीएसटी असिस्टेंट कमिश्नर मोहित मूंदड़ा ने अपने संक्षिप्त उद्बोधन में कहा कि रिश्ते संवाद से बनते हैं। संवाद टूट भी जाए तो प्रेम और धैर्य से उन्हें नया रूप दिया जा सकता है।

संगठन के महामंत्री अर्चित पलोड़ ने बताया कि कार्यक्रम में इन्हीं विषयों पर समाज की प्रतिभाओं द्वारा दो लघु नाटिकाएं भी प्रस्तुत की गईं। कार्यक्रम के दौरान उदयपुर की समाजसेवी पूनम भदादा को विश्व संस्कृति एवं पर्यावरण संरक्षण आयोग, नई दिल्ली द्वारा मानद डॉक्टरेट उपाधि मिलने पर सम्मानित किया गया। पिछले दो दशकों से वे मानवता और समाज सेवा के क्षेत्र में सक्रिय हैं।

कोषाध्यक्ष सुदर्शन लढ्ढा ने बताया कि मुख्य अतिथि दक्षिणी राजस्थान प्रादेशिक माहेश्वरी युवा संगठन के प्रदेश अध्यक्ष राघव कोठारी ने अपने उद्बोधन में कार्यक्रम की सार्थकता की सराहना करते हुए आयोजकों को बधाई दी। खुले मंच सत्र में प्रतिभागियों ने भी विचार रखे। आरंभ में प्रशासनिक अधिकारी रमेश बहेड़िया, निवर्तमान पार्षद आशीष कोठारी, महेश सेवा संस्थान के अध्यक्ष राजेश राठी, माहेश्वरी फ्रेंड्स समिति के राकेश काबरा, भरत बाहेती, तरुण असावा, दर्शन असावा, आशीष मूंदड़ा, पुनीत हेड़ा, अर्पित कालानी, मयंक दिलीप मूंदड़ा, हितेश मूंदड़ा, सौरभ लढ्ढा, माहेश्वरी महिला संगठन की जिलाध्यक्ष मंजू गांधी आदि ने अतिथियों व वक्ताओं का स्वागत किया। अंत में आभार प्रदर्शन ने किया। 


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