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स्वर सुधा" द्वि-मासिक स्नेह मिलन शहर के कोलाहल से दूर रमणीय स्थल पर आयोजित

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15 Oct 25
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स्वर सुधा" द्वि-मासिक स्नेह मिलन शहर के कोलाहल से दूर रमणीय स्थल पर आयोजित

उदयपुर  "स्वर सुधा" समूह की द्वि-मासिक स्नेह मिलन शहर के कोलाहल से दूर, एक रमणीय स्थल पर आयोजित हुई, जहाँ सदस्यों ने नैसर्गिक वातावरण में संस्कृति और साहित्य के आनंद का आनंद लिया।

मीडिया समन्वयक प्रोफेसर विमल शर्मा ने बताया कि "स्वर सुधा" गायकी में  निखार लाने के लिए बना एक वरिष्ठ नागरिक समूह है जो नियमित ऑनलाइन रियाज करते हुए द्विमासिक स्नेह मिलन आयोजित करता है 

स्नेह मिलन परंपरा के अनुरूप माँ सरस्वती की सामूहिक सादर वंदना से प्रारम्भ हुआ। तत्पश्चात स्वादिष्ट अल्पाहार का आयोजन किया गया। 

श्रीमती उषा कुमावत ने मंच संभालते हुए श्री के के त्रिपाठी को स्वागत भाषण के लिए आमंत्रित किया, जिन्होंने सभी सदस्यों का हार्दिक स्वागत किया और समूह के नियमों से पुनः परिचय कराया। प्रस्तुतियों का शुभारंभ श्री हरीश बहादुर सिंह द्वारा अपनी मधुर आवाज़ में गीत "वक्त करता जो वफ़ा तथा कभी दूर जब दिन ढल जाए" से हुआ। इसके बाद श्रीमती कुसुम लता त्रिपाठी ने गांव की अल्हड़पन को दर्शाते हुए "हमारे गांव कोई आएगा तथा जिंदगी सेहरा भी है" प्रस्तुत किया। श्री बी.एल. कुमावत ने वरिष्ठजनों की सच्चाइयों को समर्पित कविता "पता ही नहीं चला" सुनाकर वातावरण को गंभीरता से परिपूर्ण किया। श्री के. के. त्रिपाठी ने नीलकमल के मधुर गीत "तुझको पुकारे मेरा प्यार तथा तेरे मेरे सपने अब एक रंग हैं" प्रस्तुत कर रोमांटिक छवियाँ पैदा कीं। इसके बाद श्री एम. पी. माथुर ने "ख्यालों में किसी के" अपनी मनमोहक आवाज में गाया। डॉ. सुनीता सिंह ने झुमका गिरा रे के साथ मार्मिक कविता का पाठ किया।श्री रवि पाठक ने अस्वस्थता के बावजूद "मन रे तू काहे न धीर धरे" का गान कर सभी को मंत्रमुग्ध किया। फिर श्री आर. सी. जोशी ने हरियाणा की व्यंग्यात्मक प्रस्तुतियाँ दीं, जबकि श्रीमती रजनी जोशी ने "हम तेरे प्यार में सारा आलम" से खूब तालियां बटोरीं।श्रीमती रेणु माथुर ने "तुम बिन जाऊं कहां" तथा सच्ची घटनाओं का प्रस्तुति देते हुए माहौल को बांध दिया। श्रीमती मंजू गर्ग ने असमिया लोक एवं स्व. भूपेन हजारिका की यादों से जुड़ी "दिल हुम हुम करे तथा आज की मुलाकात बस इतनी" गाकर दर्शकों का मन मोह लिया। श्री अशोक जोशी ने "तेरे प्यार की तमन्ना तथा पौंछ कर अश्क" के गीत की मधुर प्रस्तुति दी। श्री बी. एन. पांडेय ने "ये दुनिया उसी की तथा इतना न हुस्न पे गुरूर" से खूब प्रशंसा पाई।समापन के रूप में श्रीमती उषा कुमावत ने फरीदा खानम की मशहूर ग़ज़ल "आज जाने की ज़िद न करो तथा चुरा लिया है तुमने जो दिल" गाकर सभी को ग़ज़लों की विशिष्ट दुनिया में ले गए। इसके बाद हाऊजी हुआ जिसमें श्रीमती मंजू गर्ग प्रथम, डॉ. सुनीता सिंह द्वितीय, श्री विजय गर्ग तृतीय, श्रीमती रजनी जोशी चतुर्थ, और श्रीमती रेणु माथुर बंपर हाउस विजेता रहीं। अंत में सुरुचि-भोज के साथ हास्य प्रसंग, गाने और कविताओं का मधुर संयोजन प्रस्तुत कर बैठक का सफल समापन किया गया।


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