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दो दिवसीय अंतराष्ट्रीय प्रकृति सम्मेलन का शुभारम्भ

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11 Oct 25
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दो दिवसीय अंतराष्ट्रीय प्रकृति सम्मेलन का शुभारम्भ

प्रकृति संरक्षण एक दीर्घकालिक प्रयास है जिसकी जिम्मेदारी हम सभी पर संयुक्त रूप से हैं : प्रो पी सी त्रिवेदी

नीतिकर संस्थानों की बागडोर सक्षम हाथों में रहेगी तो ही प्रकृति का संतुलित उपभोग होगा अन्यथा दोहन होने की पूर्ण सम्भावना है : प्रो सच्चिदानंद सिन्हा

दो दिवसीय अंतराष्ट्रीय प्रकृति सम्मेलन का शुभारम्भ

उदयपुर : प्रकृति शोध संस्थान का प्रथम दो दिवसीय अंतराष्ट्रीय प्रकृति सम्मेलन आज एच सी एम आर आई पी ए, ओ टी सी, सभागार मे प्रारम्भ हुआ |

उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए पांच विश्वविद्यालय के कुलपति रहे प्रो पी सी त्रिवेदी ने कहा कि प्रकृति संरक्षण एक दीर्घकालिक प्रयास है जिसकी जिम्मेदारी हम सभी पर संयुक्त रूप से हैं | नीतिकर संस्थानों की बागडोर सक्षम हाथों में रहेगी तो ही प्रकृति का संतुलित उपभोग होगा अन्यथा दोहन होने की पूर्ण सम्भावना है | प्रकृति में मनुष्य की आवश्यता के लिए पर्याप्त संसाधन है किन्तु अति दोहन के दुष्परिणाम हमें आज झेलने पड रहे है |

जे एन यू के प्रो सच्चिदानंद सिन्हा ने मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए अमर्त्य सेन की पुस्तक से दृष्टांत सुनते हुए बताया कि हर सभ्यता ने प्रकृति का आंकलन अलग अलग स्तर पर हुआ हैं | वर्तमान में प्रकृति को हम उपभोग की वस्तु के रूप में ले रहे हैं जो सर्वदा अनुचित हैं| उत्तराखंड के भूस्कालन को उन्हीने प्रकृति के अनुचित आंकलन की परिणीति बताया | उन्होंने भारत की सौर ऊर्जा नीति व देश मे हो रही आशातीत प्रगति को पर्यावरण एवं प्रकृति के लिए वरदान बताया |

मुख्य अतिथि डॉ सुदीश नंगिया ने प्रकृति के पंच तत्व व ऋतुओं के बीच संतुलन को बनाये रखने को आज की सबसे बड़ी चुनौती बताया |

मीडिया समन्वयक प्रो विमल शर्मा ने बताया कि संस्थान के कुलगीत, माता सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलन से प्रारम्भ हुए उद्घाटन सत्र मे प्रकृति संस्थान के संस्थापक एवं सम्मेलन के चेयरपर्सन प्रो प्रहलाद राय व्यास ने  स्वागत करते हुए सम्मेलन एवं संस्थान उद्देश्यों पर प्रकाश डाला | उन्होंने बताया की प्रकृति शोध संस्थान की स्थापना का उद्देश्य आम नागरिकों, शिक्षकों, पर्यावरणवेत्ताओं को जोड़कर पर्यावरण की दृष्टि से समाजसेवा करना व चेतना जागृत करना हैं |  पर्यावरण अवनयान रोकना एक बड़ी चुनौती हैं जिसके लिए युवा पीढ़ी को आगे लाने की अवश्यता हैं | संस्थान अपने ग्यारह प्रादेशिक केंद्र के माध्यम यह कार्यक्रम सुचारु रूप से क्रियान्वित कर रहा हैं | दो दिवसीय इस सम्मेलन में भारत के 18 राज्यों से आए प्रतिनिधि अपने कार्यों को 10 तकनिकी सत्र, 2 पेनल परिचर्चा के माध्यम से प्रस्तुत करेंगे |

डॉ प्रदीप त्रिखा ऑर्गनिजिंग सेक्रेटरी ने प्रतिवेदन पढ़ते हुए जलवायु परिवर्तन को आज विश्व की सबसे बड़ी समस्या बताया |

 

डॉ पी आर व्यास ने बताया कि संस्थान द्वारा निम्न विभूतियों को प्रशास्ति पत्र व स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया

1 प्रकृति रत्न : प्रो एच एन मिश्रा, प्रयागराज

2 प्रकृति प्रहरी: डॉ श्याम सुन्दर भट्ट, भीलवाड़ा

3 प्रकृति प्रेमी: 

प्रोफेसर बी पी नाथानी श्रीनगर गढ़वाल,

 डॉ अनुश्री जोशी अहमदाबाद, 

 डॉ मोहन निमोले उज्जैन, 

 प्रोफेसर लक्ष्मण परमार बांसवाड़ा, 

 प्रो ए आर सिद्दीकी, जे एन यू, 

प्रोफेसर जीएस चौहान, यू जी सी, 

एस के श्रीमाली,

अनंत गणेश त्रिवेदी, यासीन पठान

सचिव हीरा लाल व्यास ने बताया कि सम्मेलन मे 68 शोधार्ती पत्र वाचन सहित 160 संभागी हैं |

आज के तकनिकी सत्र : पेनल परिचर्चा :  सूत्रधार प्रो पी सी तिवारी

वक्ता: डॉ कृष्ण मोहन, डॉ ऐ आर सिद्दीकी, डॉ सीमा झालान, डॉ एम एस नेगी.

भोजन पश्चात तीन समानांतर तकनिकी सत्र में 48 शोध पत्रों का वचन हुआ व 35 पत्र पोस्टर के रूप में प्रदर्शित किये गये |

सम्मेलन के सफल संचालन में डॉ नेहा पालीवाल, डॉ कमलेश श्रीमाली, डॉ पलक भारद्वाज, डॉ शारदा जोशी, डॉ हेमंत नागदा, डॉ हरेश राय, डॉ किरण मीणा, डॉ विष्णु पालीवाल का विशेष सहयोग रहा


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