उदयपुर : कला साहित्य संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग, राजस्थान सरकार द्वारा आयोजित सांस्कृतिक सृजन पखवाड़ा 17 सितंबर से 2 अक्टूबर के अंतर्गत राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर एवं साहित्य संस्थान, जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ (डीम्ड टू बी विश्वविद्यालय), उदयपुर द्वारा आयोजित साहित्यिक संगोष्ठी, विषय- हिंदी कहानी लेखन के अंतर्गत कार्यक्रम को प्रारंभ करते हुए मां सरस्वती वंदना अर्चना करते हुए कार्यक्रम को प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम का स्वागत उद्बोधन करते हुए प्रो, मलय पानेरी, प्राचार्य, माणिक्यलाल वर्मा श्रमजीव महाविद्यालय, उदयपुर ने संस्थान की गतिविधियों एवं विद्यापीठ की गतिविधियों पर प्रकाश डालते हुए हिंदी कहानी लेखन पर अपने विचार व्यक्त करते हुए, सभी अतिथियों का स्वागत अभिनंदन किया। कार्यक्रम के अध्यक्षता पर विराजमान प्रो, जीवन सिंह खर्कवाल निदेशक साहित्य संस्थान ने अपने विचार व्यक्त करते हुए संस्थान की गतिविधियों पर प्रकाश डालते हुए कवि प्रेमचंद की पंक्तियां व उपन्यासों द्वारा व्यक्ति के जीवन पर प्रभाव डालते हैं एवं रामायण महाभारत कहानियों द्वारा समाज का कल्याण होता है। साथ ही उन्होंने मानव जीवन में कल्पना के सब कुछ किया जा सकता है। उन्होंने कहानी की प्राचीनता के बारे में बात करते हुए पाषाण काल तक चले गए। उन्होंने कहा कि पाषाण काल में भी कहानी रही होगी। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रोफेसर तराना परवीन, मीरा कन्या महाविद्यालय, उदयपुर ने हिंदी कहानी लेखन विषय पर विचार व्यक्त करते हुए बताया कि हिंदी कहानी लेखन को लिखने का तरीका, भाषाओं को मिलाकर लिखने का तरीका, बताया। साथ ही उदाहरण के तौर पर एक कहानी प्रस्तुत की जिसका शीर्षक-चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी-जो वर्तमान की परिस्थितियों पर रही है। को बड़े प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया। साथ ही विद्यार्थियों से संवाद किया और उनकी जिज्ञासा को शांत किया। कार्यक्रम के विशिष्टअतिथि रामदयाल मेहरा, राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर ने अपने विचार व्यक्त करते हुए अकादमी की गतिविधियों एवं कार्यों पर अपने विचार व्यक्त किया। साथ कहानी लेखन विधा पर भी विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम में डा उग्रसेन राव, डी एस पालीवाल, पूनम भू, मनोहर मूंदड़ा, ने भी विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन डॉ कुलशेकर व्यास ने किया और धन्यवाद ज्ञापन डॉ महेश आमेटा, साहित्य संस्थान, ने हिंदी कहानी लेखन पर अपना विचार व्यक्त करते हुए बाहर से पधारे हुए अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया। साथ ही संस्थान के विद्यार्थियों का भी आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम के अंतर्गत साहित्य अकादमी उदयपुर से राजेश , मनोहर मूंदड़ा, डॉ उग्रसेन राव, डी एस पालीवाल, जयकिशन चौबे, गणेशलाल नागदा, पूनम भू, नारायण पालीवाल, शोयब कुरेशी, रवि देवड़ा, आनन्द, संगीता जैन, कमला शर्मा, के साथ संस्थान के विद्यार्थियों ने भाग लिया।