उदयपुर। जिले की अदालतों में चेक अनादरण (चेक बाउंस) के करीब 47 हजार मामले लंबित पड़े हैं, जिनमें से 40 हजार मामलों में पुलिस अब तक समन और वारंट की तामील ही नहीं करवा पाई है। नतीजा यह है कि जिन आरोपियों को अदालत में पेश होना चाहिए, वे खुलेआम घूम रहे हैं और पीड़ित सालों से कोर्ट व थानों के चक्कर काटने को मजबूर हैं।
अधिकांश मामले उन लोगों से जुड़े हैं जिन्होंने या तो अपनी मेहनत की कमाई उधार दी या व्यापारिक लेन-देन में चेक लिया। पर्याप्त राशि न होने पर चेक बाउंस हो गए और बार-बार तकाजा करने के बावजूद भुगतान नहीं हुआ। अंततः पीड़ितों ने अदालत का दरवाजा खटखटाया, लेकिन पुलिस द्वारा समय पर तामील न करवाने से केस वर्षों तक अटके हुए हैं।
वरिष्ठ अधिवक्ता सुशील कोठारी का कहना है कि चेक अनादरण के अधिकतर मामले समन और वारंट की तामील नहीं होने से पेंडिंग हैं। पुलिस गिरफ्तारी वारंट तो दूर, समय पर समन तक तामील नहीं करवा पाती। उन्होंने कहा कि कोर्ट को इस दिशा में सख्ती बरतते हुए ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए जिससे समय पर तामील हो सके।
बॉम्बे हाईकोर्ट भी पहले कह चुका है कि अगर समन और वारंट की समय पर तामील हो, तो चेक बाउंस से जुड़े करीब 60 प्रतिशत मामले सुलझ सकते हैं। कोर्ट ने सुझाव दिया था कि सरकार को भी डिजिटल माध्यम से तामील व्यवस्था बनाने पर विचार करना चाहिए, जैसे कूरियर एजेंसियां दस्तावेज रिसीव करवाती हैं।
इन मामलों में देरी से छोटे व्यापारी, दुकानदार और आमजन आर्थिक और मानसिक रूप से टूटते जा रहे हैं। करोड़ों रुपये फंसे होने से पीड़ित बढ़ते तनाव और आर्थिक बोझ झेल रहे हैं, जबकि आरोपी बेखौफ कारोबार कर रहे हैं।