इण्डिया बुक ऑफ रिकॉर्ड 2025 में दर्ज हुआ चमत्कार-आशय ने आंखों पर पट्टी बांधकर जीती चेस

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08 Aug 25
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इण्डिया बुक ऑफ रिकॉर्ड 2025 में दर्ज हुआ चमत्कार-आशय ने आंखों पर पट्टी बांधकर जीती चेस


उदयपुर के 11 वर्षीय आशय पुरोहित ने दिखाया अद्भुत मानसिक संतुलन, एकाग्रता और स्मरण शक्ति का करिश्मा
उदयपुर। कल्पना कीजिए एक 11 वर्षीय बालक, आंखों पर पट्टी बांधे हुए, सामने रखी चेस बोर्ड को देख भी नहीं सकता, लेकिन उसके मन की आंखें एक-एक चाल को साफ़ देख रही हैं, समझ रही हैं और जीत की दिशा तय कर रही हैं।
यह कोई कल्पना नहीं वरदन् हकीकत है। उदयपुर के आशय पुरोहित की सच्ची, साहसी और प्रेरणादायक उपलब्धि ने उन्हें इण्डिया बक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज करा दिया। आशय पूरोहित डॉ. गजेंद्र पूरोहित (प्रख्यात गणितज्ञ एवं यूट्यूबर) और श्रीमती स्वर्णलता पूरोहित के पुत्र हैं। आशय ने ब्लाइंडफोल्ड चेस (आंखों पर पट्टी बांधकर चेस खेलना) में ऐतिहासिक जीत दर्ज कर इण्डिया बुक अरॅफ रिकार्ड्स में अपना नाम दर्ज किया।                                                            
आशय को यह सफलता ए ब्रेन कोच जयपुर में विशेष माइंड ट्रेनिंग लेने के बाद मिली, जहाँ उन्हें प्रवीण कुमार पारीक एवं श्रीमती निशा पारीक जैसे अनुभवी प्रशिक्षकों से मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। इस प्रशिक्षण ने न केवल उनकी स्मरण शक्ति को बढ़ाया, बल्कि उनके फोकस, लॉजिकल थिंकिंग और ब्रेन प्रोसेसिंग स्पीड को भी नई ऊँचाइयाँ दीं। इस असाधारण उपलब्धि के साथ आशय ने यह साबित कर दिया कि मानसिक शक्ति, स्मरण क्षमता और एकाग्रता का संगम किसी भी असंभव को संभव बना सकता है।
ब्लाइंडफोल्ड चेस कोई साधारण खेल नहीं,यह वह स्तर है जहाँ खिलाड़ी को पूरी चेसबोर्ड की स्थिति केवल कल्पना और स्मृति के सहारे अपने दिमाग में बनानी होती है। और आशय ने इस कठिनतम चुनौती को आत्मविश्वास, रणनीति और धैर्य के साथ पार करते हुए विजेता बनकर सबको चौंका दिया।
आशय की माता स्वर्णलता पूरोहित कहती हैं कि आशय शुरू से ही अलग सोचने वाला, जिज्ञासु और गहराई में जाने वाला बच्चा रहा है। उसे हमेशा नयी चीज़ों को समझने, उनके पीछे की वजह जानने और खुद से चुनौतियाँ लेने का शौक रहा है। उसकी स्मरण शक्ति, एकाग्रता और सोचने की शैली इतनी परिपक्व है कि कई बार हम खुद भी हैरान रह जाते हैं। आज जो उसने ब्लाइंडफोल्ड चेस में कर दिखाया, वह उसी अंतर्निहित प्रतिभा और जुनून का परिणाम है। समाज के कई शिक्षकों, अभिभावकों और गणमान्य व्यक्तियों ने आशय की इस उपलब्धि की मुक्तकंठ से सराहना की है, और यह विश्वास जताया है कि वह भविष्य में भारत का नाम अंतरराष्ट्रीय मंचों पर रोशन करेगा।


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