उदयपुर : "रक्षाबंधन" धानमंडी स्थित कांग्रेस मीडिया सेंटर में "भारत छोड़ो आंदोलन (अगस्त क्रांति)" दिवस एवं "विश्व आदिवासी दिवस" के उपलक्ष्य में एक विचार संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर मुख्य वक्ता राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव एवं प्रवक्ता पंकज कुमार शर्मा ने ऐतिहासिक तथ्यों को साझा करते हुए कहा: "8 अगस्त 1942 को कांग्रेस महासमिति की ऐतिहासिक बैठक महात्मा गांधी के नेतृत्व में आयोजित हुई थी, जिसमें अंग्रेजों को भारत छोड़ने और सत्ता भारतीयों को सौंपने की चेतावनी दी गई। इसके अगले ही दिन, 9 अगस्त को गांधी जी के ‘करो या मरो’ के आह्वान के साथ देशभर में सत्याग्रहियों का जनसैलाब उमड़ पड़ा।यह आंदोलन भारत के स्वतंत्रता संग्राम का सबसे निर्णायक चरण था, जिसने अंग्रेजी हुकूमत की नींव हिला दी। भले ही अंग्रेजों ने इस आंदोलन का दमन किया, लेकिन इसी ने 15 अगस्त 1947 को मिली आज़ादी का मार्ग प्रशस्त किया।
आज का दिन हमें यह भी सिखाता है कि राष्ट्र तभी जीवंत रहता है जब उसमें आत्म-सम्मान और संघर्ष की भावना विद्यमान हो।"
अंत में शर्मा ने विश्व आदिवासी दिवस की प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि: "आदिवासी समाज भारतीय संस्कृति, परंपरा और प्रकृति से जुड़ा हुआ अमूल्य धरोहर है। उनके अधिकारों की रक्षा और सम्मान ही सच्चे लोकतंत्र की पहचान है।"
इस अवसर पर अनेक वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित रहे, जिनमें प्रमुख रूप से अशोक तंबोली, गोविंद सक्सेना, कन्हैयालाल मेनारिया, नारायण शर्मा, संजय मंदवानी, कृपाशंकर मिश्रा, जादूगर एम. लक्सकार, नरेश सेन, गज्जू सिंह परमार, नरेंद्र कुमार जैन, शंकरलाल सहित सैकड़ों गणमान्य नागरिक शामिल थे।
कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान और स्वाधीनता सेनानियों को श्रद्धांजलि अर्पित कर किया गया।