मानवता की रक्षा के लिए संवाद, सहयोग और शांतिपूर्ण समाधान ही एकमात्र रास्ता है: फूल सिंह मीणा

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08 Aug 25
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मानवता की रक्षा के लिए संवाद, सहयोग और शांतिपूर्ण समाधान ही एकमात्र रास्ता है: फूल सिंह मीणा

उदयपुर   हिरोशिमा - नागासाकी जन संहार के 8 दशक बीत जाने के बाद भी शान्ति का सर्वमान्य हल न खोज पाना मानव सभ्यता की हार है। असल में तो मानवता कभी पराजित नहीं होती और इसीलिए आज विश्व कल्याण और प्राणी मात्र के योग क्षेम की चिंता प्रत्येक प्रज्ञा शील उत्तरदायी मानव को हुई है, किन्तु विश्व के राजनीतिकों पर विश्व जनता जनार्दन के मत सम्मत का न्यूनतम भी प्रभाव नहीं है। जब तक लोकमत का असर इन राजनीतिकों पर नहीं होगा, युद्ध की भीषण सम्भावना बनी रहेगी। उक्त विचार आज हिरोशिमा त्रासदी की 80 वीं वार्षिकी के अवसर पर शान्तिपीठ संस्थान के तत्वावधान में राजकीय रेजीडेंसी कन्या उच्च माध्यमिक विद्यालय के सभागार में आयोजित युवा शान्ति सम्मेलन में बोलते हुए क‌ईं वक्ताओं ने व्यक्त किये।

मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए उदयपुर ग्रामीण विधायक फ़ूल सिंह मीणा ने कहा कि भारत हमेशा शान्ति चाहता है, सारा समाज शान्ति चाहता है। ऋषि मुनियों व दार्शनिकों ने जो शान्ति का मार्ग दिखाया, वह सर्वकालिक प्रासंगिक है। उन्होंने शान्तिपीठ के जियो और जीने दो की कार्यप्रणाली से युवाओं को जुड़ने का आह्वान किया। उन्होंने कहा एक पेड़ मां के नाम अभियान से जुड़ कर वृक्षावली विकसित करना चाहिए जो शान्ति का ही कार्य है।

शान्तिपीठ के संस्थापक महासचिव अनन्त गणेश त्रिवेदी ने कहा कि भारतीय ऋषि परम्परा ने विश्व समुदायों व राष्ट्रों में पारस्परिक विश्वास व एकता का बुनियादी आधार प्रस्तुत किया जो सर्वमान्य हल खोजने की सामर्थ्य पैदा करता है। उन्होंने कहा दुनिया में जब तक निर्दोष मरते रहेंगे, शान्ति संदिग्ध बनीं रहेगी। उन्होंने पर्यावरण प्रणीत त्रासदियों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आज दुनिया दहशत में जीवनयापन करने को बाध्य है और यह भी एक पराधीनता है  जिससे मुक्त होने के लिए आत्मा में छिपी शान्ति की खोज प्रक्रिया आज का विश्व धर्म हो सकता है।

अध्यक्षता करते हुए नगर परिषद् के पूर्व आयुक्त एवं कला विद् दिनेश कोठारी ने दुखान्तिकाओं की विस्तृत विवेचना करते हुए कहा कि परमाणु ऊर्जा विनाशकारी भी है और सृजनात्मक भी। हमें विवेकपूर्ण उपयोग किये जाने का वातावरण निर्मित करना चाहिए ।

समिधा संस्था के प्रमुख एवं समाज सेवी चंद्रगुप्त सिंह चौहान ने युवा प्रतिभागियों को इंगित करते हुए कहा कि वे अपनी पसंद की न। न‌ई दुनिया बनाएं जहां हिंसा, आतंक और अस्तित्व पर संकट की चिंता न हो। रेजीडेंसी स्कूल की प्राचार्या रंजना मिश्रा, बी एन विश्वविद्यालय में अंग्रेजी विभागाध्यक्ष डॉ जयश्री सिंह ने भी विचार व्यक्त किए। सेंट एंथोनी स्कूल के छात्र छात्राओं ने नाटिका प्रस्तुत की । सेंट टेरेसा, स्कालर एरेना आदि के छात्रों ने भी विचार व्यक्त किए। सेंट्रल एकेडमी के छात्रों ने शान्ति गीत प्रस्तुत किया। आलोक पंचवटी, एम एम पी स्कूल,राज नवल कालेज के एन सी सी केडेट, राजकीय रेलवे ट्रैनिंग स्कूल आदि रैली में कार्य क्रम स्थल पहुंचे। प्रारंभ में मां शारदा की मूर्ति के समक्ष अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित किया गया। प्रतिभागियों ने खड़े होकर राष्ट्रीय एकता, पर्यावरण संरक्षण, न्याय, विश्व शान्ति एवं आणविक नि: शस्त्रीकरण के लिए अपनी प्रतिबद्धता को लेकर प्रतिज्ञा की। दो मिनट का मौन रख कर दिवंगत आत्माओं को शान्तिमंत्र के साथ श्रद्धांजलि दी। राष्ट्र गान के साथ समापन हुआ।

डा भूपेंद्र शर्मा ने कार्य क्रम का संचालन किया तथा बी एन विश्व विद्यालय में फार्मेसी विभागाध्यक्ष डॉ कमल सिंह राठौड़ ने धन्यवाद ज्ञापित किया। 


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