(MOHSINA BANO)
प्रबुद्ध चिंतन प्रकोष्ठ व विज्ञान समिति की बैठक में पहलगांव में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले की घोर निंदा की गई। बैठक में सभी दिवंगत नागरिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई और सर्वसम्मति से निम्नलिखित प्रस्ताव पारित किया गया:
“निहत्थे पर्यटकों पर हुआ यह अमानवीय हमला पूरे देश को झकझोर देने वाला है। हम इस अक्षम्य कृत्य की कड़ी भर्त्सना करते हैं और उन पड़ोसी देशों की भी निंदा करते हैं जो आतंकवादियों को आश्रय, प्रशिक्षण व प्रोत्साहन देते हैं। समिति भारत सरकार द्वारा आतंकवाद के खिलाफ उठाए जा रहे सभी कठोर कदमों का पूर्ण समर्थन करती है और आग्रह करती है कि आतंकी गतिविधियों में संलिप्त तत्वों और उनके प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष सहयोगियों पर भी कठोरतम कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। नागरिकों और सैन्य बलों की शहादत व्यर्थ नहीं जानी चाहिए।”
सदस्यों के सुझाव:
सिंधु जल संधि की पूर्ण समाप्ति: भारत को बिना पाक सहमति के अपने जल संसाधनों का संपूर्ण उपयोग करना चाहिए। सहायक नदियों पर शीघ्र डैम निर्माण और जल प्रवाह बदलने की प्रक्रिया तेज की जाए।
संयुक्त राष्ट्र से जांच की मांग: भारत को उन क्षेत्रों की जांच का अधिकार मिलना चाहिए जहां आतंकियों के प्रशिक्षण शिविर व लॉन्चपैड बनाए गए हैं।
सीमापार आतंकी ढांचे पर कार्रवाई: भारत को पाकिस्तान के आतंकी नेटवर्क और बुनियादी ढांचे के विरुद्ध सख्त सैन्य और रणनीतिक विकल्प अपनाने चाहिए।
अनधिकृत विदेशी नागरिकों की पहचान: विशेष रूप से पाकिस्तानी और बांग्लादेशी नागरिकों की पहचान कर उन्हें देश से निष्कासित किया जाए।
फर्जी दस्तावेज़ों पर कार्रवाई: जो विदेशी नागरिक अवैध रूप से पहचान पत्र जैसे आधार, पैन आदि बनवा कर देश विरोधी गतिविधियों में शामिल हैं, उनके विरुद्ध कठोर कार्रवाई हो।
निजी सेवा प्रदाताओं की जांच: आधार, पैन, ड्राइविंग लाइसेंस व सिम कार्ड जारी करने वाले संस्थानों की पहचान व कार्यप्रणाली की जांच की जाए।
कूटनीतिक दबाव: भारत को अपने हितों की रक्षा के लिए पड़ोसी राष्ट्रों को सार्थक बातचीत हेतु कूटनीतिक रूप से बाध्य करना चाहिए।
देशविरोधी उन्माद फैलाने वाली संस्थाओं पर प्रतिबंध: जो संस्थाएं युवाओं को उन्मादी बना रही हैं और देश में भय का माहौल फैला रही हैं, उन पर कठोर रोक लगाई जाए।