उदयपुर । सपनों को आयाम देना मूर्तिकार का काम है और यदि इन भावनाओं को समय रहते नई दिशा नहीं दी जाए तो वे अपना स्वरूप खो देते हैं। यदि इन सपनों को सही दिशा मिल जाए तो वह साकार हो जाते है, और इन्ही सपनों को मूर्तरूप दिया है उदयपुर की कथक नृत्यागंना श्लोका अग्रवाल ने।
दरअसल श्लोका ने कोरोना महामारी के इस दौर में उन तमाम बच्चों का आह्वान किया,जो लंबे समय से अपने घरों में है और अपनी प्रतिभा का उचित मंच पर प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं। उनकी इस पहल से ऐसे बच्चों में अपनी प्रतिभा को लेकर एक अलग सा भाव जागृत हुआ जब उन्हें कोरोना के इस दौर में तनाव के चलतें धर में बैठा रहना पड रहा था ।
पेसिफिक मेडिकल काँलेज एवं हॉस्पिटल और कला आश्रम कालेज ऑफ परफार्म एव आर्टस् के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय नृत्य प्रतियोगिता ’’उडान-२०२१‘‘ में देश विदेश के २४ से ज्यादा प्रतिभागियों नें वर्चुअल माघ्यम से अपनी कला का पूरे जोश और उत्साह के साथ प्रर्दशन किया। कोराना संकट के कारण उत्पन्न सभी चुनौतियों और भावनात्मक उथल-पुथल के बीच,उदयपुर सहित देश विदेश के कलाकारों में सकारात्मक शक्ति भरने और सभी को साहस के साथ आगे बढने के लिए श्लोका ने सोशल मिडिया के माघ्यम से प्रेरित किया। इस आयोजन को सफल बनानें में कथक नृत्यागंना श्लोका अग्रवाल एवं उनकी नृत्य गुरू डॉ सरोज शर्मा के अथक प्रयासो ने सभी वर्गो के लिए एक मंच उपलब्ध कराया।
डॉ सरोज शर्मा ने बताया कि तीन चरणों में आयोजित यह प्रतियोगिता शास्त्रीय नृत्य उस्तादों के एक विशेषज्ञ वैश्वक पैनल के नेतृत्व में की गई साथ ही प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले विजेताओं को क्रमशः इक्कीस हजार,ग्यारह हजार एवं पॉच हजार रुपये की राशि पुरस्कार स्वरूप दी गई। साथ ही उनके नृत्य गुरुओं को उनकी कडी मेहनत और प्रयासों के सम्मान में एक विशेष पुरस्कार नवाजा गया।
इस कार्यक्रम को सफल बनानें में एवं अपनें सामाजिक दायित्वों को निभातें हुए पेसिफिक मैडिकल काँलेज एवं हॉस्पिटल के चैयरमेन राहुल अग्रवाल की ओर से ११ लाख रूपये कोविड-१९ रिलीफ फड में दिए गए।
इस दौरान श्लोका ने कहा कि प्रतियोगिता का लक्ष्य ग्लोबल मच पर देश दुनिया के नृत्य साधकों को जोड कर सिर्फ श्रेष्ठता की सूची बनाना नहीं था बल्कि उन्हें सकारत्मक ऊर्जा से सरोबार करके मन,मस्तिष्क व शारीरिक रुप से संगठित करना था। साथ ही कोविड-१९ से पीढित लोगो को रिलीफ फड जुटाना भी था जिससे कि हर वर्ग के लोगो को मदद मिल सके।