उदयपुर, पशुओं में पाये जाने वाले बाह्य परजीवियों से पशुपालकों को प्रतिवर्ष करोड़ों का नुकसान होता है। यह बात पशुपालन प्रशिक्षण संस्थान के डॉ. सुरेन्द्र छंगाणी ने बुधवार को संस्थान के विद्यार्थियों के साथ आयोजित ऑनलाईन वेबीनार में कही।
उन्होंने कहा कि पशुओं के शरीर पर चिचडे़ं टीक्स, जूं इत्यादि होने से पशुओं में बैचेनी, रक्त की कमी एवं अत्यधिक मात्रा में उत्पादन में गिरावट आती है। पशुपालक अपेक्षित पशु प्रबन्धन से इस आर्थिक नुकसान से बच सकते हैं। संस्थान के उपनिदेशक डॉ. राकेश पोखरना डॉ. सुरेश शर्मा, डॉ. पद्मा मील आदि ने भी विचार रखे एवं बचाव के तरीके बताएं। विद्यार्थियों ने भी इस संबंध में प्रश्न पूछकर अपनी जिज्ञासाओं को शांत किया।