उदयपुर / जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ (डीम्ड टू बी विश्वविद्यालय) के कुलपति प्रो. कर्नल एस.एस. सारंगदेवोत ने राजस्थान में आजादी आंदोलन के अग्रदूत केसरी सिंह बारहठ की 79वीं पुण्य स्मरण दिवस पर नमन करते हुए कहा कि राजधानी में उनकी कालजयी रचना ‘‘चेतावनी रा चुंगट्या’’ सन् 1903 में वायसराय लार्ड कर्जन की और से आयोजित दिल्ली दरबार के अवसर पर महाराणा फतहसिंह के ऐतिहासिक उद्बोधन के रूप में प्रेषित की गई थी। यह कवि थे जिसके दोहो ने मेवाड़ के महाराणाओं को अंग्रेजो के दिल्ली दरबार में उन्हें जाने से रोका। पं. झाबरमल शर्मा ने कहा की ‘राजस्थान में एक ही ऐसा परिवार है जिसकी तीन पीढ़ी ने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ लोहा लिया।’ केसरीसिंह संस्कृत, हिन्दी एवं प्राकृत के पंडित होने के साथ-साथ गुजराती, मराठी व बांग्ला भाषा के विद्धान थे। महाकवि अश्वघोष की विश्व प्रसिद्ध कृति बुद्धचरित का उन्होंने हिन्दी में अनुवाद किया। वे डिंगल व पिंगल के उत्कृष्ठ कवि थे। स्पोर्ट्स बोर्ड सचिव डॉ. भवानी पाल सिंह राठौड़, जनसम्पर्क अधिकारी डॉ. घनश्याम सिंह भीण्डर, निजी सचिव कृष्णकांत कुमावत, डॉ. आशीष नन्दवाना, जितेन्द्र सिंह चौहान, भगवती लाल सोनी, लहरनाथ सहित कार्यकर्ता उपस्थित थे।