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यूसीसीआई ने सरकार को भेजा उदयपुर सम्भाग के लिये एक्सपोर्ट प्लान

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05 Jun 20
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यूसीसीआई ने सरकार को भेजा  उदयपुर सम्भाग के लिये एक्सपोर्ट प्लान

उदयपुर ।  उदयपुर जिला एवं उदयपुर के निकट स्थित सात जिलों यथा - राजसमन्द, चित्तौडगढ, भीलवाडा, प्रतापगढ, बांसवाडा, डूंगरपुर एवं सिरोही से निर्यात किये जाने वाली सामग्रियों का वैश्विक बाजार में बहुत मांग रहती है। यह जानकारी तब सामने आई जब उदयपुर चेम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्ट्री द्वारा  निर्यातकों को जारी किये जाने वाले सर्टीफिकेट ऑफ ओारजन के आंकडों का विश्लेषण किया गया।

यूसीसीआई के अध्यक्ष श्री रमेश कुमार सिंघवी ने यह जानकारी दी कि विगत ३ वर्षों के निर्यात आंकडों को जब खंगाला गया तो उससे यह ज्ञात हुआ कि वर्ष २०१७-१८ में ६,८७७ करोड रूपये, वर्ष २०१८-१९ में ५,०८० करोड रूपये एवं वर्ष २०१९-२० में ५,९३० करोड रूपये का निर्यात हुआ है। उदयपुर सम्भाग एवं आसपास के जिलों से मुख्यतः लेड एवं जिंक मेटल, इलेक्ट्रीकल एवं इलेक्ट्राॅनिक्स आईटम्स, प्लास्टिक उत्पाद, एचडीपीई वुवन सैक, मार्बल, ग्रेनाईट, सोपस्टोन एवं अन्य मिनरल, क्वार्ट्ज एवं अन्य डायमेन्शनल स्टोन्स आदि का मुख्य रूप से निर्यात किया गया।

इस एक्सपोर्ट प्लान में यह भी बताया गया है कि उदयपुर सम्भाग से केमिकल व फार्मास्यूटिकल, प्लास्टिक उत्पाद तथा टैक्सटाईल उत्पाद (यार्न व डेनिम) तथा हैण्डीक्राफ्ट उत्पाद के निर्यात की काफी सम्भावनाएं हैं।

कोविड - १९ के असर के असर के चलते वर्ष २०२०-२१ की शुरूआत काफी निराशाजनक हुई है किन्तु यूसीसीआई की सरकार से यह दरखास्त है कि ऐसे में मन्दी की चिन्ताओं को दरकिनार करते हुए उदयपुर सम्भाग में एक्सपोर्ट हब की स्थापना करने की प्रक्रिया प्रारम्भ करे जिससे कि निर्यातक जल्द से जल्द अपनी उत्पादकता को बढाते हुए ज्यादा से ज्यादा निर्यात कर नुकसान की भरपाई कर सके। एक्सपोर्ट प्लान का प्रारूप तैयार करने वाले चार्टर्ड अकाउनटेन्ट श्री पवन तलेसरा ने बताया कि सरकार को काफी विस्तृत रिपोर्ट सौंपी गई है जिसमें कि यहां की हैण्डीक्राफ्ट, मार्बल एवं ग्रेनाईट, इंजीनियरिंग एवं फैब्रीकेशन, केमिकल व फार्मास्यूटिकल, प्लास्टिक उत्पाद एवं कृषि आधारित क्षेत्रों से निर्यात पर विशेष ध्यान देने का सुझाव दिया गया है।

मुख्य सुझावों में खेमली स्थित इनलैण्ड कन्टेनर डिपो के अलावा उदयपुर के नजदीक और इनलैण्ड कन्टेनर डिपो की स्थापना करना तथा इन इनलैण्ड कन्टेनर डिपो में कस्टम विभाग द्वारा सामान की जांच की व्यवस्था करना और उदयपुर के निर्यातकों को फ्रेट सबसिडी उपलब्ध कराना, मार्बल व ग्रेनाईट तथा हैण्डीक्राफ्ट के कलस्टर का विकास करना, महाराणा प्रताप अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे को निर्यात हेतु स्वीकृति के लिये अधिसूचित करना, आईजीएसटी के पुराने मामलों को निपटाना तथा मार्बल की निर्यात नीति का सरलीकरण करते हुए इसे ओजीएल से बाहर निकालना इत्यादि मुख्य बिन्दु हैं।

निर्यातकों की सुविधा की दृष्टि से राजस्थान की औद्योगिक नीति में वेयरहाउस को उद्योग की श्रेणी में घोषित किये जाने के लिये भी सरकार से मांग की गई है जो कि उद्यमियों के लिये भी काफी फायदेमन्द हो सकती है।

एमएसएमई द्वारा निर्यात पर एक्सपोर्ट इनश्योरेन्स के प्रीमियम की दर को भी घटाए जाने की मांग की गई है तथा यह सुझाव भी दिया गया है कि बैंक इन निर्यातक उद्यमियों को बिना धरोहर के ऋण सुविधा मुहैया करवाई जावे।

स्टोन प्रोसेसिंग के क्षेत्र में कीमतों को घटाने के लिए बेहतर प्रोसेसिंग मशीनों की आवश्यकता है जो कि भारतीय निर्माताओं के पास उपलब्ध है। आत्मनिर्भर भारत के तहत उदयपुर सम्भाग में ऐसी स्टोन प्रोसेसिंग मशीनों के निर्माताओं के लिए भी क्लस्टर का विकास करने पर विचार किया जाना चाहिये।

कोविड - १९ के चलते काफी निर्यातकों के यहां कार्यरत कार्मिक अपने गांवों की तरफ प्रस्थान कर गये हैं जिस कारण से निर्यातकों के लिये निकट भविष्य के लिये कामगारों की कमी की समस्या उत्पन्न हो गई है। ऐसे में एक्सपोर्ट हब स्थापित करने के साथ ही कौशल विकास पर भी ध्यान देना चाहिये तथा स्थानीय मजदूरों और कामगारों को एकत्रित कर प्रशिक्षित करने की कोशिश की जानी चाहिये।

 


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