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राजस्थान जैसे अहम प्रदेश में हवाई सेवाओं का विस्तार से विकास और पर्यटन को लगेगे पँख  

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09 Jul 25
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राजस्थान जैसे अहम प्रदेश में हवाई सेवाओं का विस्तार से विकास और पर्यटन को लगेगे पँख  

गोपेन्द्र नाथ भट्ट 

भौगोलिक दृष्टि से भारत के सबसे बड़े और देश एवं विश्व पर्यटन मानचित्र पर अहम स्थान रखने वाले राजस्थान में देश के अन्य प्रदेशों की तुलना में अपेक्षाकृत कम हवाई सेवाएं उपलब्ध है। राज्य में मुख्य रूप से तीन हवाई अड्डों प्रदेश की राजधानी जयपुर,राज्य के दूसरे सबसे बड़े शहर जोधपुर और झीलों की पर्यटन नगरी उदयपुर से नियमित हवाई सेवाएं उपलब्ध होती रही है। पिछले कुछ वर्षों में सीमावर्ती रेगिस्तानी शहरों 

जैसलमेर और बीकानेर के अलावा पुष्कर एवं ख्वाजा की नगरी किशनगढ़ (अजमेर )भी हवाई सेवाओं से जुड़ा है। इन हवाई अड्डों पर पर्यटन सत्र सितम्बर से फरवरी तक पर्याप्त संख्या में हवाई सेवाएं उपलब्ध होती है अन्यथा वर्ष के शेष महीनों में इन स्थलों से भी सीमित संख्या में ही हवाई सेवाएं उपलब्ध होती है। प्रदेश में अंतरराष्ट्रीय हवाई सेवाओं की भी सीमित सुविधा केवल राजधानी जयपुर में ही उपलब्ध है। प्रदेश से विदेश जाने वाले लोगों और देशी विदेशी पर्यटकों को इसके लिए राजस्थान से सटे राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली और गुजरात के अहमदाबाद अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों से आना-जाना पड़ता है। क्षेत्रीय हवाई संपर्क (आरसीएस) उड़ानों के लिए भी राजस्थान अपने चार पांच हवाई अड्डों तथा निकटवर्ती नई दिल्ली,अहमदाबाद और मुम्बई के सिविल हवाई अड्डों पर ही निर्भर है। हालांकि प्रदेश में राजस्थान में शिक्षा की काशी माने जाने वाले कोटा शहर में ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट बनाया जा रहा है। इसके अलावा किशनगढ़ (अजमेर) और उदयपुर हवाई अड्डों के विकास एवं विस्तार के कार्य भी हाथ के लिए गए है। साथ ही जोधपुर नगर में वर्तमान के डिफेन्स हवाई अड्डे को उपयोग में लिए जाने के स्थान पर नया सिविल हवाई अड्डा बनाया जा रहा है ताकि निकट भविष्य में यात्रियों को यहां से भी अंतरराष्ट्रीय हवाई सेवाओं की सुविधाएं मिल सके।

राजस्थान में लगभग हर जिले के पास एक न एक हवाई पट्टी अथवा हैलीपेड की सुविधा उपलब्ध है जिनका उपयोग प्रायः वीआईंपी आवागमन के लिए सरकारी स्तर पर अथवा कतिपय बड़े उद्यमियों एवं उद्योगपतियों के लिए किया जाता है। प्रदेश में 19 हवाई पट्टियां और लगभग 118 हैलीपेड हैं । इससे प्रदेश में क्षेत्रीय हवाई संपर्क (आरसीएस) उड़ानों के लिए व्यापक संभावनाएं मौजूद है। राजस्थान में अनेक पर्यटन और धार्मिक स्थल,बड़ी संख्या में औद्योगिक क्षेत्र और शैक्षिक संस्थान हैं। साथ ही राजस्थान में मेडिकल ट्यूरिज्म और फिल्म शूटिंग ट्यूरिज्म तथा डेस्टिनेशन मैरिज की भी भरमार है। जिसके दृष्टिगत क्षेत्रीय हवाई संपर्क योजना राज्य के लिए अत्यंत उपयोगी एवं महत्पूर्ण है। दक्षिणी राजस्थान के दाऊदी बोहरा सम्प्रदाय सहित अन्य समुदाय के हजारों लोग रोजगार के लिए खाड़ी देशों में आते- जाते है। इधर पश्चिम राजस्थान में भी पचपदरा तेल रिफाइनरी और पेट्रो कॉम्पलेक्स का कार्य पूरा होते ही व्यावसायिक तौर पर हवाई यात्रियों की संख्या में भारी इजाफा होना तय है। राजस्थान खान और खनिज तथा हस्त शिल्प के साथ ही धार्मिक पर्यटन की दृष्टि से एक सम्पन्न प्रदेश है। पश्चिम राजस्थान का बड़ा इलाका सोलर एनर्जी तथा विंड एनर्जी के लिहाज से दुनिया का सबसे बड़ा हब बनने की ओर अग्रसर है। खनिजों पर आधारित उद्योग धंधों तथा अन्य व्यवसायों से जुड़े लोग भी समय की बचत करने के लिए राजस्थान में अधिक हवाई सेवाएं चाहते है।

केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार और राजस्थान की भजन लाल सरकार ने राजस्थान में हवाई सुविधाओं का विकास और विस्तार करने में  गहरी रुचि दिखाई है। केन्द्र  में राजस्थान के नेताओं उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, लोकसभाध्यक्ष ओम बिरला,भारत सरकार में प्रदेश के मंत्रियों गजेन्द्र सिंह शेखावत,अश्विनी वैष्णव, भूपेन्द्र यादव,अर्जुनराम मेघवाल और भागीरथ चौधरी के साथ ही राज्य के सांसद गण भी इसके लिए गंभीर होकर प्रयासरत है।

हाल ही उत्तराखंड  के देहरादून में आयोजित उत्तरी क्षेत्र नागरिक उड्डयन मंत्रियों के सम्मेलन में

राजस्थान  की भजन लाल सरकार के नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)  गौतम कुमार दक ने बताया कि राज्य सरकार ने नागरिक उड्डयन के समग्र विकास के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं और क्षेत्रीय हवाई संपर्क (आरसीएस) उड़ानों के लिए विमान ईंधन पर वैट को 26 प्रतिशत से घटाकर एक प्रतिशत कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण को कोटा ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट के निर्माण तथा किशनगढ़ हवाई अड्डे के विकास एवं विस्तार के लिए नि:शुल्क एवं बाधामुक्त भूमि उपलब्ध करवाई गई है। साथ ही, उदयपुर हवाई अड्डे के विकास एवं विस्तार तथा उत्तरलाई (बाड़मेर) में सिविल एन्क्लेव के निर्माण के लिए भी नि:शुल्क एवं बाधामुक्त भूमि आवंटन का कार्य भी प्रक्रियाधीन है। नागरिक उड्डयन मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने वर्ष 2024 में नागरिक उड्डयन नीति लागू की है, जिसके अंतर्गत हम पूरे क्षेत्र का सुनियोजित और सतत विकास करना चाहते हैं। उन्होंने इस कार्य में केन्द्र सरकार से वित्तीय सहायता, तकनीकी मार्गदर्शन और नीतिगत सहयोग की अपेक्षा की।  वर्तमान में राज्य में तीन हवाई अड्डों से आरसीएस उड़ाने संचालित हैं। राज्य सरकार ने केन्द्र सरकार को राज्य के हिल स्टेशन माउंट आबू, शेखावाटी के सीकर, बाघ अभ्यारण सवाई माधोपुर, टेक्सटाइल सिटी भीलवाड़ा और अन्न उत्पादन में अग्रणी श्रीगंगानगर जैसे महत्वपूर्ण स्थलों को भी क्षेत्रीय हवाई संपर्क (आरसीएस) योजना में शामिल करने का प्रस्ताव भेजा है। इससे प्रदेश में पर्यटन और रोजगार के नये द्वार खुलेंगे। साथ ही, केन्द्र सरकार से बीकानेर,जोधपुर और किशनगढ़ तथा प्रदेश के अन्य सभी हवाई अड्डों से मुम्बई, कोलकाता, सूरत और बेंगलुरू जैसे महानगरों के लिए नियमित उड़ानें शुरु किए जाने का भी  आग्रह किया गया है।  

दक ने यह भी बताया कि  प्रदेश में राज्य सरकार की 19 हवाई पट्टियां हैं, जिनकी लम्बाई 3,300 फीट से लेकर 9,800 फीट तक है। इन हवाई पट्टियों को विभिन्न प्रकार की गतिविधियों जैसे फ्लाइंग ट्रेनिंग ऑर्गेनाइजेशन, एयर स्पोर्ट्स एवं एमआरओ संचालन आदि के लिए उपलब्ध करवाया जा रहा है। निवेश को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार द्वारा राइजिंग राजस्थान ग्लोबल इन्वेस्टमेंट समिट - 2024 का सफल आयोजन किया गया है। साथ ही, प्रदेश के बिजनेस रूल्स तथा राजस्थान इन्वेस्टमेंट प्रमोशन स्कीम (रिप्स) में भी विशेष प्रावधान किये गए हैं। किशनगढ़ में एक फॉर्म फंड ट्रांसफर ऑर्डर (एफटीओ ) कार्यरत है एवं भीलवाड़ा में अगस्त, 2025 से नया एफटीओ शुरू होगा। निवेशकों से अब तक 10 से अधिक एमओयू किए जा चुके हैं, जिनसे लगभग 1500 करोड़ रुपये का निवेश संभावित है।

 

हेलीकॉप्टर सेवाओं के क्षेत्र में भी राजस्थान में अपार संभावनाएं हैं। राज्य में लगभग 118 हैलीपेड हैं। राज्य सरकार द्वारा सभी जिला मुख्यालयों सहित प्रमुख पर्यटन स्थलों तथा चिकित्सा सहायता एवं मेडिकल तथा अन्य इमरजेंसी रेस्पॉंंन्स के लिए भी अतिरिक्त हैलीपेड का निर्माण प्रक्रियाधीन है।  राज्य में हेलीकॉप्टर पर्यटन, धार्मिक यात्रा, जॉय राइड जैसी सेवाओं की योजनाएं प्रस्तावित है। साथ ही, हेलीकॉप्टर आपात चिकित्सा सेवा की व्यवस्था पर भी कार्य किया जा रहा है।  इसके लिए व्यावहारिक ऑपरेशनल मॉडल के विकास एवं मानक प्रक्रियाओं के निर्धारण में केन्द्र सरकार से सहयोग अपेक्षित है।

राजस्थान के कुछ जिले जैसे उदयपुर (नगर की झीलें एवम् सलूंबर के निकट जयसमन्द तथा राजसमंद झील), कोटा (चम्बल), बांसवाड़ा (माही बांध का बैकवाटर क्षेत्र ), टोंक (बीसलपुर) आदि में सी-प्लेन सेवाओं के लिए भी  बहुत अधिक संभावनाएं हैं।  केन्द्र सरकार से इन स्थलों की व्यवहार्यता का अध्ययन करवा सी-प्लेन संचालन के लिए इन स्थलों को आरसीएस योजना के अंतर्गत शामिल किए जा सकते है। 

कुल मिला कर राजस्थान जैसे विशाल क्षेत्रफल वाले प्रदेश में हवाई सेवाओं का विस्तार होने से प्रदेश के विकास और पर्यटन को नए पँख लगेगे इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं है।

 


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