GMCH STORIES

राजस्थान में 'कर्कटोल' से कैंसर पीड़ित लाभांवित करीब 45—50 साल पहले खोजी थी 'कर्कटोल' दवाई

( Read 809 Times)

09 Jul 25
Share |
Print This Page
राजस्थान में 'कर्कटोल' से कैंसर पीड़ित लाभांवित करीब 45—50 साल पहले खोजी थी 'कर्कटोल' दवाई

देश—विदेश में सैंकड़ों कैंसर मरीज लाभांवित

जयपुर। राजस्थान की राजधानी जयपुर निवासी वैद्य नंदलाल तिवाड़ी ने अपने अथक प्रयासों और गहन अनुसंधान के बदौलत करीब 45—50 साल पहले 8 ​जड़ी बूटियों को मिलाकर एक 'कर्कटोल' नामक मिश्रण तैयार किया था, जिसके सेवन से देश—विदेश के सैकड़ों कैंसर मरीज लाभांवित हो चुके है। वैद्य तिवाड़ी के पास आज भी ऐसे कुछ कैंसर पीड़ित रोगियों का विवरण सुरक्षित है, जो इस 'कर्कटोल' नामक मिश्रण का सेवन कर लाभांवित हो चुके है। यह रोगी आज भी अपना आरामदायक जीवनयापन कर रहे है।


जैसा की वैद्य तिवाड़ी के अनुसार 2004 में कर्कटोल का सेवन कर लाभांवित हुए मरीजों का ​डेटा और विवरण राज्य सरकार के आयुर्वेद विभाग को साझा किए जा चुके थे। इस संबंध में आयुर्वेद विभाग की ओर से एक उच्चस्तरीय कमेटी गठित की गई थी। कमेटी ने भी अपने अध्ययन और पड़ताल के बाद यह पाया था कि 'कर्कटोल' नामक मिश्रण के सेवन से देश—विदेश के कैंसर मरीज लाभांवित हो रहे है।


चूंकि वैद्य नंदलाल तिवाड़ी की आयु करीब 90 वर्ष होने और अस्वस्थता के चलते उनकी इच्छा है कि उनके द्वारा बनाया गया मिश्रण 'कर्कटोल' का जो कैंसर मरीज आज भी लाभ ले रहे हैं। आमजन को हमेशा मिलता रहे, इसी कड़ी में डॉ. नन्दलाल तिवाड़ी ने अपने पौत्र डॉ. विपिन तिवाड़ी जो कि चिकित्सक है, को अपने इस गूढ़, ज्ञान, गहन अध्ययन के बारे में बारीकी से अवगत करा दिया गया है, ताकि इस चिकित्सकीय विधा का लाभ सतत् मरीजों को मिलता रहे। अब डॉ. विपिन अपने यहां आने वाले मरीजों को अपने साथ अनुभवी टीम द्वारा सेवाएं दे रहे है और कैंसर से पीड़ित मरीजों को लाभ दिलाने के लिए कृतसंकल्प है।


28 अक्टूबर, 2009 को तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील द्वारा नई दिल्ली में अखिल भारतीय आयुर्वेद सम्मेलन को संबोधित करते समय उन्होंने राजस्थान के वैद्य श्री नंदलाल तिवाड़ी जी द्वारा मरीजों को दिए जा रहे इस 'कर्कटोल' मिश्रण के संदर्भ में टाटा कैंसर इस्टीट्यूट मुंबई के निदेशक को भी इस विषय पर ध्यान देने के लिए कहा था। उन्होंने कहा था कि इसका प्रमाणीकरण होने पर ज्यादा से ज्यादा कैंसर रोगी इस इलाज का लाभ उठा सकेगें।

डॉ. तिवाड़ी द्वारा बताया गया की कैंसर मरीजों को लाभ मिलने की चर्चा जब पूरे देश में फैलने लगी तब 2009 में दिल्ली की राज्यसभा में भी कैंसर के ईलाज व दवा को लेकर सवाल उठा। तब राजस्थान सरकार के आयुर्वेद विभाग द्वारा हमसे सम्पर्क किया गया। इसी सिलसिले में फिर भारत सरकार के आयुष मंत्रालय की शाखा केन्द्रीय आयुर्वेदीय विज्ञान अनुसंधान परिषद (C.C.R.A.S.) ने हमारे साथ इस कर्कटोल नामक मिश्रण का परीक्षण करने संबंधित पत्राचार शुरू किया।

पौत्र डॉ० विपिन तिवाड़ी द्वारा बताया गया की दादाजी द्वारा जो कर्कटोल नामक मिश्रण तैयार किया गया था, उसके टेस्ट, विधिवत परीक्षण के लिए (C.C.R.A.S.) केन्द्रीय आयुर्वेदीय विज्ञान अनुसंधान परिषद द्वारा हमसे जब-जब मिश्रण मांगा गया हमारे द्वारा तुरंत उपलब्ध करवा दिया गया।

इसी कर्कटोल मिश्रण का भारत सरकार के आयुष मंत्रालय की शाखा (C.C.R.A.S) केन्द्रीय आयुर्वेदीय विज्ञान अनुसंधान परिषद द्वारा जांच में स्टेंडराईजेशन व सुरक्षा मानकों में भी सही पाया गया है।


डॉ. विपिन तिवाड़ी ने जानकारी दी की कर्कटोल नामक मिश्रण की जो टोक्सी सीटी भी पूर्ण हो चुकी है। 30 जून 2023 को Toxicology International Journals में भी प्रकाशित हो गई है। की जांच रिपोर्ट में भी यह (CARCTOL) कर्कटोल मिश्रण सुरक्षित पाया गया है।

आयुष मंत्रालय (C.C.R.A.S) द्वारा कर्कटोल नामक मिश्रण की विधिवत क्लिनिकल ट्रायल फेज वन कंप्लीट होकर फेज टू मुम्बई स्थित टाटा मेमोरियल सेंटर (एडवांस सेंटर फार ट्रिटमेंट रिसर्च एण्ड एज्युकेशन इन कैंसर) मे शुरू हो गई है, जिसके स्वरूप नन्दलाल तिवाड़ी व आयुष मंत्रालय के (C.C.R.A.S.) के बीच एक अनुबंध हुआ है, जिस पर विधिवत रूप से क्लिनिकल ट्रायल चल रही है।


Source :
This Article/News is also avaliable in following categories :
Your Comments ! Share Your Openion

You May Like