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गांधीवादी चिंतक यासीन भारती की स्मृति में हुआ अखिल भारतीय कवि सम्मेलन

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23 Oct 19
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फिल्मफेयर अवार्ड एवं दादासाहब फालके पुरस्कार से सम्मानित गीतकार संतोष आनंद ने बांधा समां

राजस्थान पुलिस फाउंडेशन शाखा प्रतापगढ़ द्वारा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150 वी जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में मेवाड़ वागड़ के प्रसिद्ध गांधीवादी चिंतक कवि लेखक

गांधीवादी चिंतक यासीन भारती की स्मृति में हुआ अखिल भारतीय कवि सम्मेलन

उदयपुर /  राजस्थान पुलिस फाउंडेशन शाखा प्रतापगढ़ द्वारा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी  की 150 वी जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में  मेवाड़ वागड़ के प्रसिद्ध गांधीवादी चिंतक कवि लेखक साहित्यकार समाजसेवी एवं शिक्षाविद स्व. शेख यासीन भारती कुशलगढ़ (बांसवाड़ा) की स्मृति में सम्मान समारोह एवं अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया।
फिल्मफेयर अवार्ड एवं दादासाहब फालके पुरस्कार से सम्मानित प्रख्यात कवि गीतकार संतोष आनंद ने क्रांति एवं प्रेम योग जैसी प्रसिद्ध भारतीय फिल्मों में लिखे गए गीतों को सुनाकर श्रोताओं को काव्य सरोवर में डुबो दिया। उनके कालजीय  गीत ‘एक  प्यार का नगमा है.. मौजों की रवानी है... जिंदगी और कुछ भी नहीं तेरी मेरी कहानी है... जिंदगी की ना टूटे लड़ी प्यार कर ले घड़ी दो घड़ी... सुनकर श्रोता अपने स्थान पर खड़े हो गए और संतोष आनंद जी को स्टैंड अवेसेंगी दी गई ।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि स्थानीय विधायक रामलाल मीणा थे एवं कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रतापगढ़ नगरपरिषद सभापति कैलाश डोसी द्वारा की गई। स्व. यासीन भारती  के सामाजिक एवं शैक्षणिक कार्यों को उल्लेखित करते हुए मंच से उनके सम्मान में ‘सम्मान पत्र’ का वाचन किया गया एवं मंचासीन अतिथियों द्वारा उनकी बेटी कवयित्री मेहर माही को सम्मान पत्र एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया। समारोह में प्रतिभाओं को ‘शेख यासीन पुरस्कार‘ प्रदान किया गया। आमंत्रित कवि प्रख्यात गीतकार संतोष आनंद, सुप्रसिद्ध शायर शकील आजमी सहित डॉ प्रवीण शुक्ला दिल्ली, संजय झाला जयपुर, वाहिद अली ‘वाहिद’ लखनऊ, कवयित्री मेहर माही कुशलगढ़ (बांसवाड़ा), विक्रम शाह रामनगर पश्चिम चंपारण बिहार, पार्थ नवीन प्रतापगढ़, हिमांशु बवंडर मुंबई एवं विजय विद्रोही प्रतापगढ़ को ‘स्व. यासीन भारती सम्मान’ से सम्मानित किया गया। उपस्थित श्रोताओं ने देश के श्रेष्ठ शायरों एवं कवियों को देर रात 3 बजे तक सुना।
  कवयित्री मेहर माही की सरस्वती वंदना से अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का प्रारंभ हुआ। सुप्रसिद्ध शायर शकील आजमी की उम्दा गजल नज्म शायरी को श्रोताओं ने बहुत सराहा। साथ ही सुप्रसिद्ध कवि डॉ प्रवीण शुक्ल की चर्चित कविता ‘भीष्म प्रतिज्ञा’ एवं कवि वाहिद अली वाहिद लखनऊ की प्रसिद्ध रचना ‘तू भी है राणा का वंशज फेंक जहां तक भाला जाये’ को सुनाकर श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया। रामनगर पश्चिम चंपारण बिहार से आए देश के सबसे युवा चर्चित वीर रस के कवि वीर विक्रम शाह की देशभक्ति की कविताओं ने श्रोताओं में जोश भर दिया। मेवाड़ वागड़ के प्रसिद्ध कवि, साहित्यकार स्व. शेख यासीन भारती की बेटी प्रसिद्ध कवियत्री मेहर माही ने अपनी विशुद्ध साहित्यिक काव्य रचना जिसमें कन्या भ्रुण हत्या  एवं बेटियों की शिक्षा एवं महिला सशक्तिकरण पर सुनाई कविता ने श्रोताओं की सर्वाधिक तालियां बटोरी। कवयित्री मेहर माही ने अपनी भावपूर्ण चर्चित कविता ‘तेरी मासूम सी जान गर्भ से तुझे पुकारे माँ... पुष्प थी अंगार बन कर आ रही है बेटियां...। श्रृंगार रस की सर्वाधिक चर्चित कविता जिसने कवयित्री मेहर माही को सारे देश नई पहचान दिलाई है‘  तेरा नजदीक ना होना मुझे कितना सताता है..तेरी यादो की बारिस मे मेरा मन भीग जाता है...  वो देखो सल्तनत को छोड़कर दिन के उजालों की, फकत एक चांद से मिलने को सूरज डूब जाता है... सुना कर श्रोताओं मंत्रमुग्ध कर दिया। चर्चित कवि संजय झाला का मंच संचालन भी मुख्य आकर्षण का केंद्र रहा।


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