उदयपुर। तेरापंथ धर्मसंघ के संजय मुनि ने कहा कि कामना मोक्ष की करें स्वर्ग की नहीं। दान, दया आदि सामाजिक (लौकिक) सेवा है। परस्परता के लिए आवश्यक है लेकिन आत्म धर्म नहीं हैं। वर्तमान में लोकोत्तर पर लौकिक धर्म छाया हुआ है।
वे बुधवार को तेरापंथ धर्मसंघ के आद्य प्रवर्तक आचार्य भिक्षु के २१७ वें चरमोत्सव (महाप्रयाण दिवस) पर महाप्रज्ञ विहार में आयोजित धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने श्रावकों को प्रेरणा दी कि व्यक्ति को अपना दृष्टिकोण सही रखना चाहिए। दिखावे का धर्म भ्रम बढाता है। शुद्ध साध्य और साधन की जानकारी देने वाले भिक्षु ने संदेश दिया कि जीयो और जीने दो लोक व्यवहार में ठीक हो सकता है लेकिन उत्तम है संयम से जीना और संयम से मरना।
मुनि प्रकाश कुमार ने गीतिका का संगान करते हुए कहा कि नया पंथ चलाना भिक्षु का लक्ष्य नहीं था लेकिन आचार शुद्धि की दिशा में कदम बढे और पंथ (तेरापंथ) की शुरूआत हो गई। इस अवसर पर तेरापंथ सभा के मुख्य संरक्षक शांतिलाल सिंघवी, अध्यक्ष सूर्यप्रकाश मेहता, तेयुप अध्यक्ष अभिषेक पोखरना, महिला मंडल अध्यक्ष सीमा बाबेल एवं कई गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। धम्म जागरण का कार्यक्रम शाम को महाप्रज्ञ विहार में हुआ।
सभाध्यक्ष सूर्यप्रकाश मेहता ने बताया कि मुनि प्रसन्न कुमार और मुनि धैर्य कुमार महाप्रज्ञ विहार से विहार कर तेरापंथ भवन पधारे और कुछ दिनों तक वे वहीं विराजित रहेंगे।