उदयपुर| पशुपालन तकनीक साहित्य जितना अधिक हिन्दी एवं सरल भाषा में होगा उतना ही अधिक पशुपालक अपने पशुपालन व्यवसाय से लाभान्वित होंगे। यह जानकारी पशुपालन प्रशिक्षण संस्थान के वरिष्ठ प्रशिक्षण अधिकारी डाॅ. सुरेन्द्र छंगाणी ने दी।
डाॅ. छंगाणी के अनुसार राज्य में अनुमानित 1.5 करोड परिवार 5.78 करोड पशुओं का पालन कर रहे हैं। अगर उन्हें पशुपालन तकनीक का ज्ञान उनकी भाषा में सरल शब्दों में उपलब्ध कराया जाता है तो निश्चित रूप से वे पशुपालन तकनीक से भरपूर लाभ उठा सकते हैं। डाॅ. छंगाणी ने बताया कि पशुपालकों को दिया जाने वाला प्रशिक्षण उनकी भाषा एवं सरल शब्दों में देने पर वह अधिक प्रभावशाली होता है व पशुपालक उस तकनीक को तत्परता से अपनाते हैं।
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