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रेट्रोग्रेड इंट्रारीनल सर्जरी से पथरी को हटाया

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07 Jun 18
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रेट्रोग्रेड इंट्रारीनल सर्जरी से पथरी को हटाया उदयपुर, गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल के यूरोलोजिस्ट डॉ विष्वास बाहेती व टीम ने २३ वर्शीय महिला रोगी के किडनी में पथरी को बिना चीर-फाड के लेजर पद्धति की मदद से क्रष कर स्वस्थ किया। इस टीम में यूरोलोजिस्ट डॉ पंकज त्रिवेदी, एनेस्थेटिस्ट डॉ उदय प्रताप, नर्सिंग स्टाफ पुश्कर, जय प्रकाष, अविनाष, चंद्रकला एवं प्रवीण षामिल है।
ओस्टीयोजेनिसिस इम्परफेक्टा, जन्मजात विकृति से पीडत भीलवाडा निवासी षेहनाज की उम्र २३ वर्श है। उसका वजन मात्र १४ किलो एवं लम्बाई लगभग २ फीट है। पिछले काफी समय से पेट की दायीं तरफ में दर्द, उल्टी एवं पेषाब में तकलीफ की षिकायत के चलते उसने गीतांजली हॉस्पिटल के यूरोलोजिस्ट डॉ विष्वास बाहेती से परामर्ष लिया। सोनोग्राफी की जांच में १.५ सेंटीमीटर व ८ मिलीमीटर के दो स्टोन (पथरी) पाए गए। इस जन्मजात विकृति के चलते रोगी को स्पाइन की परेषानी, हाथ व पैर की टूटी हुई हड्डियां, सीने में विकृति, षरीर के कई हिस्सों में फ्रैक्चर इत्यादि जैसी परेषानियां थी। इस वजह से रोगी का ब्लड प्रेषर नापने के लिए धमनी में इन्वेसिव लाइन डालनी पडी। और इसी कारण रोगी की ओपन सर्जरी करना काफी जोखिमपूर्ण था। इसलिए डॉक्टरों ने लेजर पद्धति द्वारा इलाज करने का निर्णय लिया। रोगी की सर्जरी करने से पूर्व उसकी कई तरह की जांचें की गई जैसे फेफडों की जांच, ईकोकार्डियोग्राफी द्वारा हृदय की जांच आदि जिससे लेजर प्रक्रिया को सफलतापूर्वक अंजाम दिया जा सके।
इस प्रक्रिया में चिकित्सक रोगी के पेषाब के रास्ते से दूरबीन की मदद से गुर्दे तक पहुँचे एवं लेजर की मदद से पथरी को चूरा/धूल कर स्टेंट डाल दिया। इससे रोगी के पेषाब के साथ ही स्टोन बाहर निकल गया। इस प्रक्रिया को रेट्रोग्रेड इंट्रारीनल सर्जरी ¼RIRS½ कहते है। इसमें कुल ९० मिनट का समय लगा। रोगी अब स्वस्थ है।
क्यों जटिल थी यह सर्जरी?
डॉ बाहेती ने बताया कि रोगी की जन्मजात विकृति के कारण यह सर्जरी काफी जटिल थी। रोगी की किडनी एवं नलियां घुमी हुई थी जिससे पेषाब के रास्ते से किडनी तक पहुँचना काफी जोखिमपूर्ण था। साथ ही षरीर के कई हिस्सों में फ्रैक्चर के कारण सर्जरी काफी ध्यानपूर्वक की गई जिससे षरीर को कोई नुकसान न हो। और यदि ओपन सर्जरी की जाती तो रोगी ऑपरेषन थियेटर के टेबल पर ही दम तोड देती। एवं एनेस्थीसिया भी काफी सावधानीपूर्वक दिया गया क्योंकि इस विकृति के कारण रोगी के हाथ व पैर की टूटी हुई हड्डियां, सीने में विकृति जैसी परेषानियां थी जिससे रोगी को दुबारा पूर्वरुप में लाया जा सके।
क्या होती है रेट्रोग्रेड इंट्रारीनल सर्जरी (RIRS)
डॉ बाहेती ने बताया कि रेट्रोग्रेड इंट्रारीनल सर्जरी (RIRS) फ्लेक्सिबल यूरेट्रोस्कोप की मदद से गुर्दे के भीतर षल्य चिकित्सा करने की प्रक्रिया है। इस एंडोस्कोप को मूत्रमार्ग से मूत्राषय में और फिर मूत्राषय से यूरेटर के माध्यम से किडनी में पहुँचाया जाता है। इसमें पथरी को एंडोस्कोप के माध्यम से देखा जाता है और फिर लेजर (हॉलियम) द्वारा क्रष/चूरा किया जाता है और छोटे टुकडों को फोरसेप द्वारा बाहर खींच लिया जाता है। यह प्रक्रिया विषेश प्रषिक्षण प्राप्त यूरोलोजिस्ट द्वारा की जाती है। इस प्रक्रिया द्वारा इलाज कराने पर त्वरित समाधान, अत्यधिक कम रक्तस्त्राव, बिना किसी चीरे या छेद के सर्जरी, ओपन सर्जरी के बाद लंबे समय तक दर्द का उन्मूलन एवं जल्दी स्वस्थ होना जैसे फायदे षामिल है। वर्तमान इस प्रक्रिया द्वारा इलाज दक्षिणी राजस्थान में केवल गीतांजली हॉस्पिटल में ही संभव हो पा रहे है।

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