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डॉ. कर्नाटक ‘राष्ट्रीय कृषि-नवाचार रत्न पुरस्कार-2025‘ से सम्मानित

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08 Oct 25
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डॉ. कर्नाटक ‘राष्ट्रीय कृषि-नवाचार रत्न पुरस्कार-2025‘ से सम्मानित

 उदयपुर। भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएसएसआर) नई दिल्ली, द्वारा प्रायोजित दौ दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी “राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भू-स्थानिक दृष्टिकोण: एक सामाजिक परिप्रेक्ष्य” का उद्घाटन 07 अक्टूबर, 2025 को संगम विश्वविद्यालय, भीलवाड़ा में हुआ। इस अवसर पर महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के कुलपति डॉ. अजीत कुमार कर्नाटक को कृषि नवाचार एवं अनुसंधान के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट योगदान, अग्रणी नवाचारों और समर्पित सेवा के लिए प्रतिष्ठित ‘राष्ट्रीय कृषि-नवाचार रत्न पुरस्कार-2025‘ से सम्मानित किया गया है। संगम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर करुणेश सक्सेना ने बताया कि यह सम्मान डॉ. कर्नाटक द्वारा कृषि-प्रौद्योगिकियों और सतत कृषि पद्धतियों के क्षेत्र में किये गये अनुकरणीय प्रयासों सेे देश के कृषि क्षेत्र में हुई उल्लेखनीय प्रगति के लिए  प्रदान किया गया है। डॉ. सक्सेना ने कहा की डॉ. कर्नाटक को शिक्षा, अनुसंधान और प्रसार में 40 वर्षों से अधिक का समृद्ध अनुभव है। उन्हें सर्वश्रेष्ठ कुलपति पुरस्कार (2021), अनेको लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार, डॉ. आर.एस. परोदा पुरस्कार, डॉ. एस.एल. मिश्रा पदक, सीएचएआई मानद फैलोशिप और अमित प्रभुध मनीषी पुरस्कार सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। प्रोफेसर कर्नाटक ने द मिलेट स्टोरी नामक पुस्तक में योगदान दिया है, जिसे 2023 में संयुक्त राष्ट्र से मान्यता प्राप्त हुई है। उन्होंने स्मार्ट ग्राम विकास और ग्रामीण उन्नति में कई पहल की हैं, और जल प्रबंधन प्रणालियों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
डॉ. कर्नाटक ने उद्घाटन संबोधन में जीआईएस, रिमोट सेंसिंग और जीएनएसएस जैसी भू-स्थानिक प्रौद्योगिकियों की राष्ट्रीय एवं खाद्य सुरक्षा को सुदृढ़ करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इन प्रौद्योगिकियों का उत्तरदायी एवं समावेशी उपयोग न केवल निगरानी, आपदा प्रबंधन एवं संसाधन नियोजन को सशक्त बनाता है, बल्कि प्रौद्योगिकी और मानवता के बीच की खाई को भी पाटता है। यह भी साझा किया कि एमपीयूएटी में उपग्रह डेटा, ड्रोन मैपिंग और स्पैटियल एनालिटिक्स का व्यापक उपयोग फसल निगरानी, सूखा प्रबंधन और प्रिसिजन एग्रीकल्चर में किया जा रहा है। इस अवसर पर देशभर के प्रतिष्ठित शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं, नीति विशेषज्ञ एवं प्रतिनिधि उपस्थित थे।


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