सिरोही। राजस्थान न्यायिक सेवा के ९४ प्रशिक्षु अधिकारियों के एक दल ने जिला सत्र न्यायाधीश श्रीमती पुनम दरगन एवं एडजीजे गणपत विश्नोई के नेतृत्व मे पावापुरी तीर्थ जीव मैत्रीधाम का अवलोकन कर भगवान शंखेश्वर पार्श्वनाथ के दर्शन पूजन किए। दल ने पावापुरी आर्ट गेलेरी, गौशाला एवं यहॉ की विभिन्न व्यवस्थाओं को देखा। दल ने पावापुरी तीर्थ पर बनी १५ मिनट की डोकुमेन्टरी फिल्म को भी देखा।
न्यायिक अधिकारियो ने वहां विराजित आर्चाय भवगंत रविरत्नसूरीजी से भेट कर उनका प्रवचन सुना ओर आर्शीवाद लिया। आर्चायश्री ने कहा कि उन्होने स्कुलो, जेलो, सार्वजनिक स्थलो मे अनेक बार प्रवचन दिये लेकिन पहली बार वे न्याय देने वाले न्यायिक अधिकारियो के बीच प्रवचन दे रहे है। उन्होने कहा कि संसार मे जनता दो मंदिरो मे ही जाती हैं। एक तो भगवना का व दुसरा न्याय का । इन मंदिरो मे जनता इस उम्मीद के साथ जाती है कि उन्हे वहॉ न्याय मिलेगा।
उन्होने कहा कि जीवन मे शिक्षा से ज्यादा संस्कारो का महत्व हैं ओर जिसको अच्छे संस्कार मिलते हैं वो कभी भी गलत रास्ते पर नही जाता हैं। उन्होने न्याय के महत्व को अनेको उदाहरणो से रेखांकित करते हुऐ जज बनने वालो से कहा कि वे हमेशा सत्य पर चल कर न्याय कर अपने जीवन को आनन्दित बनावें। गौशाला मे उन्होने पशुओ को गुड खिलाया। प्रारम्भ मे पावापुरी ट्रस्ट की ओर से मेनेजिंग ट्रस्टी महावीर जैन ने न्यायिक अधिकारियो का स्वागत करते हुऐ उनको तीर्थ व गौशाला की व्यवस्थाओं की सम्पूर्ण जानकारी दी। न्यायिक अधिकारी सार्थक पवांर ने सभी अधिकारियो की तरफ से बात रखते हुऐ कहा कि आचार्यश्री ने संक्षिप्त प्रवाचन मे जो सीख व आर्शीवचन कहे हैं उन्हे सभी ध्यान मे रखते हुऐ न्यायिक कार्य करेगें। उन्होने कहा कि पावापुरी तीर्थ जीव मैत्री धाम का अवलोकन कर सभी न्यायिक अधिकारियो को बहुत खुशी हुई ओर यह महसुस किया कि आज भी प्रदेश मे ऐसे दानदाता हैं जो तीर्थ व गौशाला को एक उपक्रम की तरह चला सकते हैं। न्यायिक अधिकारियो ने के पी संघवी परिवार की उदारता व मेनेजमेंट की सराहना करते हुऐ कहा कि इसके अवलोकन से बहुत कुछ सीखने को मिला है।