विभाजन की पीड़ा को याद कर विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी के छलके आंसु, उपस्थित बुजुर्ग भी रो पड़े

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15 Aug 25
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विभाजन की पीड़ा को याद कर विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी के छलके आंसु, उपस्थित बुजुर्ग भी रो पड़े

  गोपेन्द्र नाथ भट्ट 

 

अजमेर/ जयपुर, देश की आजादी के समय विभाजन की विभीषिका, सिंध के लोगों का बड़ी संख्या में पलायन, अपना घर, जमीन, धन और सबकुछ छोड़ना, राह में लूटपाट, बलात्कार, सामूहिक हत्याएं और फिर एक नए शहर में शरणार्थी जैसा जीवन, जिन्दगी को फिर से शुरू करना, पाई-पाई को मोहताज होना, बिस्किट, कपड़े, सब्जी बेचना, ठेला लगाना, पढ़ना, पढ़ाना और ना जाने कितने संघर्ष। यह तस्वीर है भारत के विभाजन की, जो तस्वीरों, प्रदर्शनी में फिर सामने आई। 

 

विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस पर गुरूवार को अजमेर के राजकीय संग्रहालय में आयोजित प्रदर्शनी के दौरान विभाजन की मार्मिक यादों का स्मरण करते हुए विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी भी खुद पर काबू नहीं रख पाए और बोलते-बोलते उनका गला रूंघ गया एवं आंखें छलक आई। उनके साथ कार्यक्रम में मौजूद बुजुर्ग भी रो पड़े। दिन विभाजन विभीषिका को याद करने का था और मौजूद हर शख्स के सामने पुरानी तस्वीरें उभर आईं।प्रदर्शनी में विभाजन के दौरान हुई गतिविधियों को चित्रों के माध्यम से दर्शाया गया है।

 

इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए देवनानी ने कहा कि यह विभाजन हमारे भौगोलिक भाग पर नहीं होकर संस्कृति और सामाजिक आत्मा का हुआ था। उस समय बंगाल, पंजाब तथा सिंध प्रान्त विभाजन से सर्वाधिक प्रभावित हुए थे। बंगाल और पंजाब का कुछ भाग भारत में रहा। सिंध तो पूरा ही अलग हो गया। यह विभाजन भौगोलिक सीमाओं से आगे बढ़कर सांस्कृतिक और सामाजिक आत्मा का हुआ था। तत्कालीन नेताओं ने नेतृत्व प्राप्ति की चाह से विभाजन कराया। इसके लिए दोषी व्यक्तियों को समाज को हमेशा याद रखना चाहिए।

उन्होंने कहा कि अपने इतिहास को भूलने वाली संस्कृति नष्ट हो जाती है। इतिहास नई पीढ़ी लिए मार्ग निर्धारक होता है। विभाजन की पीड़ा को भी नई पीढ़ी को बताया जाना आवश्यक है। तभी उन्हें अहसास होगा कि आज की पीढ़ी की उपलब्धि पुरानी पीढ़ी के पुरूषार्थ का फल है। उस समय सनातन की रक्षा के लिए भारत का चुनाव किया गया था। उन्होंने अत्याचार सहे। हिन्दुओं की लाशों से भरी हुई रेलें भेजी गई।

 

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विभाजन विभीषिका दिवस मनाने की परम्परा आरम्भ की। यह उस समय मारे गए व्यक्तियों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है। अखण्ड भारत अवश्य बनेगा। राष्ट्रगान में गाए जाने वाले शब्द हमें इसके लिए प्रेरणा देते रहेंगे। देवनानी ने घोषणा की कि राजकीय संग्रहालय में भारत विभाजन की गैलेरी निर्मित की जाएगी। इससे आगन्तुकों को उस समय हुए अत्याचारों की जानकारी मिलेगी। संग्रहालय के लिए राज्य सरकार के द्वारा 5 करोड़ की राशि उपलब्ध कराई जाएगी। इसकी स्वीकृति जारी हो चुकी है। इसका निर्माण कार्य शीघ्र ही आरम्भ होगा। इसके लिए व्यक्ति सुझाव भी दे सकते हैं।  देवनानी ने कहा कि सिन्ध में अपना घर, दुकान, जमीन, धन और पूरी संस्कृति को छोड़ कर जब हम नए शहरों में बसे तो हमारे पास कुछ नहीं था। हम जमींदार से शरणार्थी बन गए थे। लेकिन हमने हार नहीं मानी। सिंधी पुरूषार्थी कौम है, हमने काम किया और तरक्की की। आज देश की अर्थव्यवस्था में सिंधी समाज का बड़ा योगदान है। हम सर्वाधिक इनकम टैक्स देने वाले समाज से हैं। हमने राष्ट्र को प्रथम मानकर सदैव काम किया है। सनातन की रक्षा के लिए हम सदा काम करते रहेंगे।

 

कार्यक्रम में रमेश सोनी ने कहा कि सिन्धी समाज ने विभाजन की वेदना को भोगा है। उस समय के नेताओं ने नक्शे के टुकड़े नहीं किए सिंध की सभ्यता पर प्रतिघात किया। जीवन रक्षा के लिए जन्म स्थान और सभ्यता छोड़नी पड़ी। लाखों व्यक्ति मारे गए। पुरूषार्थी व्यक्ति अर्श से फर्श पर आ गए। उस हदय विदारक दृश्य से नई पीढ़ी को भी रूबरू करवाया जाना चाहिए। संगठन प्रभारी विरम देव सिंह ने कहा कि भारत का विभाजन करने से लाखों जानें गई। उस समय के नेताओं का स्वार्थ इसके लिए जिम्मेदार है। हिन्दुओं का नरसंहार हुआ। वर्तमान राष्ट्रवादी सरकारें विभाजन विभीषिका दिवस के माध्यम से नई पीढ़ी को उस समय के अत्याचारों को बता रही हैं। नरेगा लोकपाल श्री सुरेश सिन्धी ने कहा कि भारत का विभाजन दुर्भाग्यपूर्ण था। जमींदार और सेठ अगले दिन गुब्बारे बेच रहे थे। 

 

*विभीषिका के गवाह रहे व्यक्तियों का सम्मान*

 

समारोह में उस समय की विभीषिका के गवाह रहे व्यक्तियों वासुमल टोपनदास पिंजानी, बलराम टेकवाणी, चतरूमल मूलचंदानी, ठाकुरी देवी आडवाणी, खुशालदास चंदवानी, ईश्वरदास मास्टर ज्ञानानी, वासुदेव भोजवानी, पार्वती देवी तीर्थदास, टोपनदास कलवानी, भगवान दास कलवानी, के जी ज्ञानी, रोचीराम, बुलचन्द खत्री, जीवत राम टिलवानी, जसोदा देवी, भगवती देवी सदनानी, नरेन्द्र शर्मा, देवी बाई, माया मीरपुरी, मनोहरलाल शर्मा, श्रीचंद मोतियानी, सुन्दरदास, जीवतराम पुत्र सामनदास मेघानी, हरी देवी, दौलतराम थदानी, खिमन थदानी, खियालदास नारवानी, धनराज पिंजानी, किशन चंद टेकवानी, जयराम दास लखयानी, ढालुमल चेटवानी, नारायण दास चंदनानी, गोपी चंद, मीरा सचिरनंदानी, टीकम दास कोटवानी, ज्योति मंघानी, इन्द्र चैनानी, इन्द्रश्वरी नाई, अशोक मटाई, ईश्वर ठारानी, प्रभु ठारानी, पंजुमल आडवाणी, श्री ओडरमल केवलरामानी, गुलाब रायसिंघानी, राम कल्याणी, आसकरण केसवानी, रेउमल धर्मवानी, असकरण दास लखानी, वीरूमल, जयराम तथा श्री मेवाराम का सम्मान किया गया। 

 

* देवनानी ने संघर्ष के दिनों को याद किया*

 

विधानसभाध्यक्ष देवनानी ने कार्यक्रम में विभाजन के बाद अपने परिवार के संघर्ष के दिनों को याद किया। उन्होंने कहा कि माता-पिता विभाजन के बाद अजमेर आए तो परिवार के पास कुछ नहीं था। यहां छोटे-मोटे काम कर स्वयं को स्थापित किया। उन्होंने बताया कि कैसे एक पैसे से बिस्किट बेचे, दो पैसे में चवले बेचे, किस तरह पढ़े, सुभाष उद्यान की लाइट के नीचे बैठ कर बोर्ड परीक्षा की तैयारी की। किस तरह जीवन संघर्षों से हार नहीं मानी। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी को अपने बुजुर्गों के संघर्ष को याद रख उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए।

 

*पृथ्वीराज फाउंडेशन ने भेंट की तस्वीर*

 

कार्यक्रम में विधानसभा अध्यक्ष देवनानी को पृथ्वीराज फाउंडेशन की ओर से सीनियर फोटो जर्नलिस्ट दीपक शर्मा ने तारागढ़ एवं  आनासागर को दर्शाते हुए फोटो भेंट की। इस अवसर पर संजय कुमार सेठी, ऋषिराज सिंह, कुसुम शर्मा, ऋषभ प्रताप सिंह आदि उपस्थित रहे।


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