बालश्रम मुक्त समाज के निर्माण हेतु योजनाबद्ध तरीके से सामूहिक प्रयास करने होंगे- क़ानूनगो 

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06 Aug 25
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बालश्रम मुक्त समाज के निर्माण हेतु योजनाबद्ध तरीके से सामूहिक प्रयास करने होंगे- क़ानूनगो 

उदयपुर,  बालश्रम मुक्त समाज के निर्माण हेतु योजनाबद्ध तरीके से सामूहिक एवं सतत् प्रयास करने होंगे, साथ ही रेस्क्यू से ज्यादा रेस्क्यू किए गए बच्चों का पुनर्वास एवं नियोक्ताओं के ख़िलाफ़ विभिन्न कानूनों के तहत सख्त कार्यवाही आवश्यक है l छोटे व्यापारी नहीं कई बड़े नेटवर्क के तार बाल दुर्व्यापार से जुड़े होंगे यदि तह तक जाँच की जाए इन के ख़िलाफ़ कानूनी कार्यवाही एवं जाँच होनी चाहिए l राजस्थान में बालश्रम की रोकथाम हेतु डॉ. शैलेन्द्र पंड्या द्वारा किए प्रयास एवं नवाचार पर आधारित पुस्तक होप रिस्टॉर्ड निश्चित ही विभिन्न हितधारकों के लिए मार्ग प्रशस्त करेगी l उक्त विचार गायत्री सेवा संस्थान, उदयपुर द्वारा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण एवं जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ के संयुक्त तत्वावधान में शहर के प्रतापनगर स्थित विद्यापीठ ऑडिटोरियम में आयोजित बालश्रम एवं मानव दुर्व्यापार विषय पर राज्य स्तरीय कंसल्टेशन होप रिस्टॉर्ड:2025 एवं पुस्तक विमोचन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, भारत सरकार के सदस्य एवं पूर्व अध्यक्ष, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग प्रियंक कानूनगो ने व्यक्त किए l 




क़ानूनगो ने इस प्रकार के आयोजन एवं सामूहिक संवाद को बाल अधिकारों के संरक्षण की दिशा में एक सशक्त पहल बताया।

विशिष्ट अतिथि के रूप में जस्टिस विजय कुमार व्यास, पूर्व न्यायाधीश, राजस्थान उच्च न्यायालय ने बाल श्रमिकों की कानूनी सुरक्षा और राज्य की जिम्मेदारी पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि सिर्फ कानून बनाना पर्याप्त नहीं, बल्कि उनके प्रभावी क्रियान्वयन हेतु प्रशासन, न्यायपालिका और समाज का समन्वय आवश्यक है।


इस अवसर पर बाल अधिकार विशेषज्ञ एवं होप रिस्टॉर्ड के लेखक डॉ. शैलेंद्र पंड्या कहा कि यह पुस्तक न केवल एक दस्तावेज है, बल्कि उन तमाम मासूम आवाज़ों का प्रतिनिधित्व करती है, जिन्होंने बालश्रम की दासता को वर्षों तक सहा है l इस पुस्तक के माध्यम से एक नई आशा और नई चेतना का संचार होगा। यह पुस्तक बालश्रम रेस्क्यू से बेहतर पुनर्वास की पूरी प्रक्रिया एवं कानूनी प्रावधानों को सरलता से बताएगी l 

कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. कर्नल एस. एस सारंगदेवोत, कुलपति, राजस्थान विद्यापीठ, उदयपुर ने की। उन्होंने कहा कि शिक्षण संस्थानों की भूमिका बाल अधिकारों के प्रति जनजागरूकता में अत्यंत महत्वपूर्ण है, और इस आयोजन से छात्र-छात्राओं को वास्तविक सामाजिक चुनौतियों को समझने का सशक्त अवसर मिला है।

इस अवसर पर अतिथि वक्ता के रूप में संबोधित करते हुए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, उदयपुर के सचिव कुलदीप शर्मा ने दक्षिण राजस्थान और बालश्रम विषय पर चर्चा करते हुए विधिक सेवा से जुड़ी जानकारी से अवगत करवाया l 

कार्यक्रम में सेवानिवृत भारतीय प्रशासनिक अधिकारी एवं विषय विशेषज्ञ सुमति लाल बोहरा, राजस्थान पुलिस अधिकारी चेतना भाटी, राजस्थान बाल आयोग से ध्रुव कुमार कविया, शिक्षाविद् डॉ. शरद चंद्र पुरोहित, गायत्री सेवा संस्थान के अध्यक्ष डॉ. एन. के पण्ड्या, डॉ. राजकुमारी भार्गव ने भी तकनीकी सत्र में संबोधित किया l 

कार्यक्रम में होप रिस्टॉर्ड पुस्तक का विमोचन करते हुए पुस्तक हेतु देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा जारी शुभकामना संदेश पढ़ कर सुनाया गया l 

कार्यक्रम में देशभर से आए लगभग 200 प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिनमें विधिक सेवा प्राधिकरण, बाल कल्याण समिति, पुलिस विभाग, शिक्षाविदों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, और विधि एवं समाजसेवा के विद्यार्थियों की सक्रिय भागीदारी रही।

सभी वक्ताओं ने अपने विचार रखते हुए बालश्रम एवं मानव तस्करी को समाप्त करने हेतु सशक्त नीति, सतत जनजागरूकता और संस्थागत सहयोग पर बल दिया।

कार्यक्रम का संचालन प्रभावी रूप से आशीता जैन द्वारा किया गया तथा अंत में गायत्री सेवा संस्थान के नितिन पालीवाल द्वारा आभार व्यक्त किया गया।


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