17 वीं लोकसभा का आखिरी सत्र समाप्त होने के बाद भारतीय जनता पार्टी ने आगामी लोकसभा आम चुनाव के लिए और अधिक जोरशोर से चुनावी तैयारियां शुरू कर दी है। भाजपा आगामी 17 एवं 18 फरवरी को नई दिल्ली के रामलीला मैदान में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की एक भव्य बैठक आयोजित करने जा रही है जिसमें देश के हर जिले से कार्यकर्ताओं को आमंत्रित किया गया है।
इस दो दिवसीय बैठक के लिए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा ने हर प्रदेश के भाजपा अध्यक्ष और पदाधिकारियों को जिम्मेदारियां सौंपी हैं। नई दिल्ली में राज्य सरकारों के भवनों अन्य अतिथि गृहों तथा सांसदों के निवासों पर पार्टी कार्यकर्ताओं को ठहराने के प्रबंध किए जा रहे है। राज्य सरकारों के भवनों को अन्य किसी बुकिंग के लिए रोक दिया गया है। वैसे भी 17 और 18 फरवरी को शनिवार और रविवार होने से भारत सरकार के सभी सरकारी कार्यालय बंद होने से प्रदेशों से अधिकारियों आदि का दिल्ली आना जाना नही होगा,फिर भी राज्य सरकारों के हर भवन में आपात कालीन परिस्थितियों के लिए कुछ कमरें आरक्षित भी रखें गए है।
नई दिल्ली के रामलीला मैदान में 17 और 18 फरवरी को होने वाली राष्ट्रीय कार्यकारिणी की दो दिवसीय बैठक को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेता तथा पदाधिकारी गण संबोधित करेंगे। भाजपा का शीर्ष नेतृत्व राष्ट्रीय कार्यकारिणी की दो दिवसीय बैठक के माध्यम से पार्टी में एक नया जोश और उमंग भरना चाहती है और बूथ स्तर पर माकूल चुनावी तैयारियों को अंजाम देना भी इसका मुख्य उद्देश्य है। शीर्ष नेतृत्व यह भी चाहता है कि पार्टी का प्रत्येक नेता केन्द्र सरकार की मोदी सरकार की उपलब्धियों को बिना किसी और विलम्ब के जन जन तक पहुंचाने में जुट जाए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अबकी बार 400 के पार का नारा दिया है और पार्टी इस लक्ष्य को हर हालत में पाना चाहती हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लोकसभा के अंतिम सत्र में यह भी कह चुके है कि भाजपा को अकेले 370 सीटें मिलने में कोई शक नही है और एनडीए के अन्य सहयोगियों को मिला कर 400 सीटें पार होने में भी कोई मुश्किल नहीं आने वाली।
उधर विपक्षी दलों की एकता और वोटों का विभाजन रोक भाजपा को हराने का मंसूबा लेकर बन रहें इण्डिया गठबन्धन में हो रहें बिखराव, ऐन वक्त पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गठबन्धन से अलग होकर एक बार फिर से भाजपा की गौदी में ही बैठ जाने, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल द्वारा कांग्रेस के साथ सीटों का समझौता नहीं करने की घोषणा तथा देश में सबसे अधिक 80 लोकसभा सीटों वाले उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी द्वारा कांग्रेस को मात्र 11 सीटें देने तथा अन्य प्रदेशों में भी इण्डिया गठबन्धन में शामिल पार्टियों के मध्य अभी तक कोई सीट शेयरिंग फार्मूला तैयार नहीं होने आदि के कारणों से भाजपा और एनडीए गठबंधन बहुत आशावादी हो गया है कि केन्द्र में इस बार भी भाजपानीत नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार को लगातार तीसरी बार सत्ता में आने से कोई ताकत रोक नही सकती।
भाजपा अयोध्या में श्री राम लला का भव्य मंदिर और प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा से देशभर में बने वातावरण को भी भुनाने से चूकना नहीं चाहती है। यही कारण है कि 17 वीं लोकसभा के अंतिम सत्र का एक दिन बढ़ा कर राम मंदिर पर विशेष चर्चा कराई गई है और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपानीत सांसदों ने अयोध्या में श्री राम लला के भव्य मंदिर को सदी की सबसे बड़ी ऐतिहासिक घटना के रूप में निरूपित किया है। ऐसा कर भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने इन्डिया गठबंधन के मत विभाजन के स्वप्न को चकनाचूर और हिंदू मतों का पूरी तरह ध्रुवीकरण करने का ताना बाना बुन दिया है। साथ ही संसद में कांग्रेस के डॉ मन मोहन सिंह नेतृत्व वाले यूपीए के दस वर्षों के कार्यकाल में देश की आर्थिक स्थिति पर श्वेत पत्र लाकर कांग्रेस और प्रतिपक्षी दलों के परिवारवाद विशेष कर नेहरू गांधी परिवार तथा प्रतिपक्ष को विभिन्न घोटालों तथा अन्य मुद्दों पर घेरने और देश के सामने विकास की तुलनात्मक तस्वीर पेश करने का प्रयास भी किया गया है ।
नई दिल्ली में 17 एवं 18 फरवरी को हो रही भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक भाजपा द्वारा अपनी राजनीतिक सेना को पूरी तैयारी के साथ चुनावी समर में झोंकने का भागीरथी प्रयास भी है। आगामी अप्रेल और मई में होने वाले लोकसभा चुनाव में अब बहुत कम समय शेष रह गया है, इसलिए भाजपा द्वारा बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने की रणनीति बना कर आगे बढ़ा जा रहा है। 400 से अधिक लोकसभा सीटों को जीतने के लिए उपयुक्त उम्मीदवारों का चयन,अपने एनडीए सहयोगियों के लिए पर्याप्त सीटें छोड़ने तथा विपक्षी खेमे में सेंधमारी आदि व्यूह रचना भी बनाई जा रही है। इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अन्य शीर्ष नेताओं के दिया के विभिन्न भागों में दौरें आदि के कार्यक्रमों को अंतिम रूप देने आदि प्रबंधों को भी अंतिम रूप दिया जा रहा हैं। राजस्थान,मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ आदि प्रदेशों की नई सरकारों के सामने आचार संहिता लागू होने से पूर्व अपने विधान सभा चुनावी घोषणाओं को यथा संभव अधिकाधिक संख्या में पूरा करने तथा प्रदेश के जन हित से जुड़े केन्द्र में लंबित मामलों को तत्काल पूरा कराने, केंद्र सरकार और राज्य की पूर्ण हो गई परियोजनाओं का उद्घाटन कराने तथा नई परियोजनाओं का शिलान्यास कराने आदि कार्य भी समय रहते पूरे कराएं जाने है।
भाजपा के मौजूदा सांसदों के सामने 18 वीं लोकसभा के लिए भी अपनी पार्टी टिकट को सुनिश्चित करना एक चुनौती होगी। राजनीतिक क्षेत्रों में चर्चा है कि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व इस बार भी पिछले चुनावों की तरह कई नए प्रयोग कर सकता है । पिछले विधानसभा चुनावों में मध्य प्रदेश एवं राजस्थान आदि प्रदेशों में कई मौजूदा सांसदों को विधायक का चुनाव लड़ाया गया था। इसी तरह इस बार सिटिंग एमएलए,पूर्व विधायको और सांसदों को चुनाव लड़ाया जा सकता है। यह चर्चा भी जोरों पर है कि इस बार भाजपा का शीर्ष नेतृत्व बड़ी संख्या में सांसदों के टिकट बदल कर युवाओं, महिलाओं,ओबीसी और अन्य पिछड़े वर्ग के लोगों को मौका दे सकता है। साथ ही पिछले चुनावों में हारे कुछ दिग्गज नेताओं को भी लोकसभा चुनाव लड़ाया जा सकता है। आगामी दिनों में राज्यसभा की खाली हो रही सीटों पर पार्टी के दिग्गज नेताओं का समायोजन करना भी भाजपा के लिए किसी अग्नि परीक्षा से कम नही है।
*राजस्थान में भी टिकट कटने का खतरा*
इधर राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के लिए राजस्थान से भी अधिक से अधिक सदस्यों को नई दिल्ली लाने के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा और प्रदेश अध्यक्ष सांसद सी पी जोशी तैयारियों में जुटे हुए हैं लेकिन बताते है कि देश के भौगोलिक दृष्टि से सबसे बड़े इस प्रदेश राजस्थान में भी कई सांसदों के टिकट कटने का खतरा मंडरा रहा है। विशेष कर अजमेर और झुंझुनूं के सांसदों के नाम इसमें शामिल बताए जा रहे है। इन लोकसभा सीटों के मौजूदा सांसदों भागीरथ चौधरी एवं नरेंद्र खीचड़ को पिछले विधानसभा चुनाव में टिकट दिए गए थे लेकिन यह दोनों सांसद विधायक का चुनाव हार गए।
इसी तरह प्रदेश के राजसमंद की सांसद रही दिया कुमारी,जयपुर ग्रामीण के कर्नल राज्य वर्धन सिंह और अलवर के निवर्तमान सांसद बाबा बालक नाथ विधायक का चुनाव जीत गए, इसलिए इन लोकसभा सीटों पर नए उम्मीदवारों का चुनाव लडना तय सा माना जा रहा है। इसके अलावा नागौर सीट पर पिछली बार भाजपा समर्थित हनुमान बेनीवाल चुनाव लड़ सांसद बने थे। अब वे विधायक बन गए है तथा उन्होंने भाजपा से समर्थन भी वापस ले लिया है, ऐसे में नागौर से भी भाजपा नया उम्मीदवार उतार सकती है।
राजस्थान की 25 लोकसभा सीटों में जिन सांसदों की टिकट पक्की मानी जा रही है उनमें लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला का कोटा से, केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत का जोधपुर से, केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल का बीकानेर से, केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी को बाड़मेर से तथा प्रदेश अध्यक्ष सांसद सी पी जोशी को चितौड़गढ़ से टिकट मिलना तय माना जा रहा है। इनके अलावा तीन-चार वर्तमान सांसदों को छोड़ कर किसी सांसद का टिकट तय नहीं माना जा रहा। इसके पीछे सांसदों की उम्र, लोकसभा कार्यकाल में पार्टी की अपेक्षा के अनुसार अच्छा प्रदर्शन नही होना,निजी और राजनीतिक आदि कई कारण शामिल माने जा रहें हैं।
देखना है आने वाले लोकसभा आम चुनाव में भाजपा के वे कौन से खुश किस्मत सांसद होंगे जिन्हें पुनः 18 वीं लोकसभा की बैंचों पर बैठा देखा जा सकेगा?