नई दिल्ली । संविधान दिवस समारोह में राष्ट्रपति ने लंबित मामलों और न्यायाधीशों की नियुक्ति के बारे में भी बात की और स्पष्ट किया कि उनका दृढ़ विचार है कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता के साथ कोई समझौता नहीं किया जा सकता। हालांकि‚ उन्होंने पूछा कि इसे थोड़ा भी कम किए बिना‚ क्या उच्च न्यायपालिका के लिए न्यायाधीशों का चयन करने का एक बेहतर तरीका खोजा जा सकता है। कोविंद ने कहा कि उदाहरण के लिए‚ एक अखिल भारतीय न्यायिक सेवा हो सकती है जो निचले स्तर से उच्च स्तर तक सही प्रतिभा का चयन कर सकती है और इसे आगे बढ़øा सकती है। उन्होंने कहा कि यह विचार नया नहीं है और बिना परीक्षण के आधी सदी से भी अधिक समय से है। राष्ट्रपति ने कहा कि मुझे यकीन है कि व्यवस्था में सुधार के लिए बेहतर सुझाव भी हो सकते हैं। आखिरकार‚ उद्देश्य न्याय प्रदायगी तंत्र को मजबूत करना होना चाहिए। उन्होंने कहा कि मामलों के लंबित होने से जुड़े मुद्दे का आर्थिक वृद्धि और विकास पर भी असर पड़ता है।